हाइलाइट्स
- Go First एयरलाइन ने इनसॉल्वेंसी प्रॉसीडिंग के लिए आवेदन किया
- इंजन नहीं मिलने का कारण कंपनी के आधे से अधिक विमान खड़े हैं
- इस कारण एयरलाइन को भारी नुकसान, तेल भरने के लिए भी कैश नहीं
- कंपनी ने तीन और चार मई को सारी फ्लाइट्स कैंसल कर दी हैं
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देश में एक और एयरलाइंस कंपनी दिवालिया होने के कगार पर पहुंच गई है. दरअसल, वाडिया ग्रुप की एयरलाइन गो फर्स्ट (Go First) ने मंगलवार को एनसीएलटी (NCLT)में वॉलंटरी इनसॉल्वेंसी प्रॉसीडिंग (Voluntary Insolvancy Proceedings) के लिए आवेदन दे दिया है. वहीं इस बीच Go First की सभी उड़ानें कल और परसों यानी 3 और 4 मई 2023 को रद्द कर दी गई हैं.
विमानन क्षेत्र का बड़ा नाम और वाडिया समूह की गो फर्स्ट एयरलाइन ने खुद को दिवालिया घोषित करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। बढ़ते घाटे की वजह से कंपनी ने ये फैसला लिया है। कंपनी ने सीईओ कौशिक खोना ने बताया कि, कंपनी ने अपने 28 फ्लाइट्स को ग्राउडेंड किया है।
गो फर्स्ट एयरलाइन ने आगामी 3 दिनों के लिए अपनी बुकिंग बंद कर दी है। कंपनी के सीईओ कौशिक खोना के मुताबिक, ‘फंड की भारी कमी की वजह से 3 और 4 मई को उड़ानों को अस्थायी रूप से सस्पेंड रखा जाएगा। पीएंडडब्ल्यू की ओर से इंजनों की आपूर्ति नहीं किए जाने के कारण ‘गो फर्स्ट’ को वित्तीय संकट का सामना करना पड़ रहा है। जिसके कारण 28 विमानों को खड़ा करना पड़ा है।
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खोना ने कहा कि इनसॉल्वेंसी प्रॉसीडिंग के लिए फाइल करना एक दुर्भाग्यपूर्ण फैसला है लेकिन कंपनी के हितों को बचाने के लिए मजबूरन ऐसा करना पड़ा है। एयरलाइन ने इस बारे में सरकार को भी जानकारी दे दी है। साथ ही वह सिविल एविएशन रेगुलेटर डीजीसीए (DGCA) को भी इस बारे में इस व्यापक रिपोर्ट देगी। इस बीच डीजीसीए ने कंपनी को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। इसमें कहा गया है कि उसके बिना जानकारी दिए फ्लाइट्स कैसे कैंसल कर दी। कंपनी से 24 घंटे के भीतर जवाब देने को कहा गया है।
वहीं, दूसरी तरफ गो फर्स्ट ने मंगलवार को दिल्ली में राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (NCLT) दिवालिया ऋण शोधन अक्षमता संहिता की धारा- 10 के तहत समाधान के लिए एक आवेदन दायर किया है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार के अनुसार, ‘गो फर्स्ट एयरलाइन की 60 प्रतिशत से ज्यादा फ्लाइट ग्राउंडेड हो चुकी हैं। इन फ्लाइट्स के ग्राउंडेड होने से कई रूटों पर एयरलाइन की बुकिंग कैंसिल हो रही है। माना जा रहा है कि वाडिया के स्वामित्व वाली गो फर्स्ट ने तेल विपणन कंपनियों के बकाए के कारण 3 और 4 मई के लिए उड़ानें निलंबित कर दी हैं।’
मंगलवार सुबह खबर प्राप्त हुई थी कि, पेट्रोलियम कंपनियों का बकाया न चुका पाने की वजह से गो फर्स्ट एयरलाइन ने 3 और 4 मई को अपनी उड़ानों को कैंसिल कर दिया है। एयरलाइन गंभीर ‘कैश क्रंच’ झेल रही है। इसके अलावा, कंपनी को बार-बार होने वाले इश्यू और प्रैट एंड व्हिटनी इंजनों की सप्लाई होने की वजह से आधे से ज्यादा विमानों को ग्राउंडेड करना पड़ा है। ये इंजन एयरबस ए 320 नियो एयरक्राफ्ट को पॉवर सप्लाई करते हैं।
वाडिया ग्रुप की गो फर्स्ट एयरलाइन ‘स्ट्रैटिजिक इंवेस्टर’ की तलाश में जुटी है। कंपनी संभावित निवेशकों से बात कर रही है। ऑयल मार्केटिंग कंपनी के एक अधिकारी के मुताबिक गो फर्स्ट एयरलाइन ‘कैश एंड कैरी’ मोड पर है। इसका मतलब है कि, इसे ऑपरेट करने वाली उड़ानों की संख्या के लिए दैनिक भुगतान करना होगा। इस बात पर सहमति बनी है कि अगर भुगतान नहीं होता है तो वेंडर कारोबार बंद कर सकता है। इसका मतलब साफ है कि, विमानन कंपनी उसी ट्रैक की ओर जा रही है जिस तरह कभी किंगफिशर गई थी। गो फर्स्ट की ओर से इस मामले में कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है।
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इंजन की सप्लाई नहीं होने से कैश की समस्या
इंजन की सप्लाई से जुड़ी समस्या के कारण एयरलाइन इस स्थिति में पहुंची है। एयरक्राफ्ट इंजन मैन्युफैक्चरर प्रैट एंड व्हिटनी (PW) को गो फर्स्ट को इंजन की सप्लाई करनी थी, लेकिन उसने समय पर इसकी सप्लाई नहीं की।
ऐसे में गो फर्स्ट को अपनी प्लीट के आधे से ज्यादा एयरक्राफ्ट ग्राउंडेड करने पड़े। फ्लाइट नहीं उड़ने के कारण उसके पास कैश की कमी हो गई और फ्यूल भरने के लिए भी भी पैसे नहीं बचे। एयरलाइन के A20 नियो एयरक्राफ्ट में इन इंजनों का इस्तेमाल होता है।
गो फर्स्ट के साथ PW के कॉन्ट्रैक्ट में तीन बड़ी शर्तें थी:
- विमान का इंजन खराब हो जाता है तो 48 घंटे के भीतर स्पेयर इंजन देना होगा।
- फॉल्टी इंजनों की फ्री में रिपेयरिंग करानी होगी क्योंकि सभी इंजन वॉरंटी में है।
- ग्राउंडेड विमानों के कारण हुए नुकसान का कंपनसेशन भी देना होगा।
बिजनेस स्टैंडर्ड की एक रिपोर्ट के मुताबिक मार्च 2020 तक, PW ने समय पर स्पेयर इंजन उपलब्ध कराए, फ्री में रिपेयरिंग की और कंपनसेशन भी दिया। हालांकि, उसके बाद एयरलाइन को कुछ भी नहीं मिला। सीरियम के आंकड़ों के अनुसार, एयरलाइन ने पिछले साल मार्च में एक हफ्ते में 2,084 फ्लाइट ऑपरेट की थी। विमानों के ग्राउंडेड होने के साथ इस साल मार्च तक ये आंकड़ा घटकर 1,642 पर आ गया।
एयरलाइन ने अमेरिका की कोर्ट में याचिका लगाई
इंडियन एविएशन रेगुलेटर के आंकड़ों से पता चलता है कि फ्लाइट के ग्राउंडेड होने के कारण मार्च में गो फर्स्ट की बाजार हिस्सेदारी जनवरी में 8.4% से गिरकर 6.9% हो गई है। एयरलाइन ने इसे लेकर अमेरिका की डेलावेयर कोर्ट में पिटीशन भी दाखिल की है। एयरलाइन ने दावा किया है कि अगर इंजनों की जल्द सप्लाई नहीं की गई तो वह दिवालिया हो जाएगी
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