पंजाब कांग्रेस के प्रभारी और उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा है कि नवजोत सिंह सिद्धू को अपने सलाहकारों को बर्खास्त कर देना चाहिए और अगर वह ऐसा करने में विफल रहते हैं, तो पार्टी उन्हें बर्खास्त कर देगी. NDTV से बात करते हुए हरीश रावत ने पंजाब कांग्रेस के नए प्रमुख को स्पष्ट संदेश दिया है. उनका यह संदेश मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह के खिलाफ विद्रोह के एक नए विस्फोट के बाद आया है. उन्होंने सिद्धू के सलाहकारों की टिप्पणी को गलत मानसिकता वाला बताया है.
प्यारे लाल गर्ग और मलविंदर माली, जो हाल ही में सिद्धू की टीम में शामिल हुए थे, ने पिछले हफ्ते पाकिस्तान और कश्मीर पर अपनी टिप्पणियों से सुर्खियां बटोरीं. एक फेसबुक पोस्ट में माली ने कहा था कि भारत और पाकिस्तान दोनों अवैध रूप से कश्मीर पर कब्जाधारी हैं.
रावत ने कहा, “यह खेमों की बात नहीं है, जिसने (उन बयानों पर) आपत्ति जताई है. पूरी पार्टी और राज्य को भी आपत्ति है. जम्मू-कश्मीर पर पार्टी की एक लाइन है – और वह यह है कि वह प्रदेश भारत का अभिन्न हिस्सा है.”
यह पूछे जाने पर कि पार्टी इस विवाद से कैसे निपटेगी? रावत ने कहा, “इन सलाहकारों को पार्टी द्वारा नियुक्त नहीं किया गया था. हमने सिद्धू से उन्हें बर्खास्त करने के लिए कहा है. अगर सिद्धू ऐसा नहीं करते हैं, तो मैं करूंगा. हम ऐसे लोग नहीं चाहते जो पार्टी को शर्मिंदा करें
इंदिरा गांधी के पोस्टर में सिरे पर लटक रही है खोपड़ी
माली ने अपने फेसबुक के अपने कवर पेज पर 1990 के आसपास प्रकाशित होने वाली एक मैगजीन ‘जनतक पैगाम’ के मुख्य पृष्ठ का फोटो लगाया है. इसमें पूर्व प्रधानमंत्री स्व. इंदिरा गांधी को हाथ में बंदूक लिए दिखाया गया है, जिसके एक सिरे पर खोपड़ी लटक रही है. इंदिरा गांधी के पीछे भी खोपडियों का ढेर लगा हुआ है. इस पेज पर पंजाबी में लिखा है, ‘हर जबर दी इही कहाणी, करना जबर ते मुंह दी खाणी’ यानि ‘हर जुल्म करने वाले कि यही कहानी है अंत में उसे मुंह की खानी पड़ती है.’
बता दें कि ये फोटो 1984 में हुए सिख कत्लेआम को दर्शाता है. इस मुद्दे पर कांग्रेस हमेशा घिरती रही है. कुछ वरिष्ठ नेताओं ने इस पर कड़ी आपत्ति भी जताई है. हालांकि विवाद बढ़ने पर माली ने इस पोस्ट को अपने फेसबुक पेज से हटा लिया है.
सिद्ददू ने साधी चुप्पी
बड़ी बात यह है कि इस पर पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू मौन हैं. शिरोमणि अकाली दल और बीजेपी ने माली के बयानों को लेकर नवजोत सिंह सिद्धू पर निशाना भी साधा है. विरोधी दलों ने सिद्धू से इस प्रकरण में जवाब भी मांगा है, लेकिन वो चुप हैं.