नवजोत सिंह सिद्धू खेमे के नेता और पंजाब के कैबिनेट मंत्री तृप्ति इंदर बाजवा ने कहा कि पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह को हटा देना चाहिए और पंजाब में नया चेहरा लाना चाहिए। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, सिद्धू खेमे से 4 कैबिनेट मंत्रियों और एक विधायक का डेलिगेशन नियुक्त किया गया है जो दिल्ली जाकर आलाकमान से मुलाकात करेगा।
पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Sidhu) और मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह (Amarinder Singh) के बीच कलह अभी पूरी तरह से शांत भी नहीं हुई थी कि राज्य में एक और विवाद ने सर उठा लिया है. जानकारी के मुताबिक, सिद्धू खेमा पंजाब में तख्तापलट की बड़ी तैयारी कर रहा है. सिद्धू खेमे के कुछ नेताओ ने कैप्टन अमरिंदर सिंह पर वादे पूरे नहीं करने का आरोप लगाया है.
दरअसल, कैप्टन अमरिंदर सिंह को सीएम पद से हटाने के लिए सिद्धू गुट के 26 विधायक और 4 कैबिनेट मंत्री लामबंद हो गए हैं. सिद्धू खेमे के द्वारा नियुक्त किया गया 4 कैबिनेट मंत्रियों और एक विधायक का डेलिगेशन कांग्रेस आलाकमान से जल्द दिल्ली जाकर मुलाकात करेगा. इस डेलिगेशन में कैबिनेट मंत्री सुख सरकारिया, तृप्त राजेंद्र सिंह बाजवा, सुखजिंदर सिंह रंधावा, चरणजीत सिंह चन्नी और विधायक परगट सिंह पांच नेता शामिल हैं, जो दिल्ली जाकर कांग्रेस आलाकमान से मिलकर पंजाब के मुख्यमंत्री सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह को बदलने की मांग करेंगे.
हमारा विश्वास उठ गया है
तकनीकी शिक्षा मंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने यहां मीडिया से कहा कि मुख्यमंत्री बदलना पार्टी आलाकमान का विशेषाधिकार है. लेकिन हमारा उन पर से विश्वास उठ गया है. उन्होंने कहा कि विधायकों ने सरकार द्वारा चुनावी वादों को पूरा नहीं करने पर पार्टी कार्यकर्ताओं की असहमति के बारे में पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी को जल्द से जल्द अवगत कराने के लिए सर्वसम्मति से पांच सदस्यीय समिति को अधिकृत किया.
सिद्धू का किया समर्थन
पांच सदस्यीय समिति में कैबिनेट मंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा हैं, जिन्होंने हाल के सत्ता संघर्ष में राज्य इकाई के प्रमुख नवजोत सिंह सिद्धू का समर्थन किया. तृप्त राजिंदर सिंह बाजवा और सुखबिंदर सिंह सरकारिया, चन्नी और परगट सिंह को सिद्धू का करीबी माना जाता है.
लगाये ये आरोप
चन्नी ने अधूरे चुनावी वादों, विशेषकर 2015 की बेअदबी और पुलिस फायरिंग के मामलों में कार्रवाई में देरी को लेकर मुख्यमंत्री और उनके सहयोगियों की आलोचना की.उन्होंने कहा कि पैनल कांग्रेस आलाकमान से विधायकों और मंत्रियों की शिकायतें सुनने के लिए समय मांगेगा, अन्यथा पार्टी के लिए पंजाब में फिर से आना मुश्किल होगा.
उन्होंने कहा कि विधायकों ने रेत, ड्रग, केबल और परिवहन माफियाओं के अस्तित्व सहित कई मुद्दों को उठाया है. इसके अलावा, बेअदबी और उसके बाद पुलिस फायरिंग के मामलों ने न केवल पार्टी कार्यकर्ताओं को नाराज किया है, बल्कि आम आदमी की धार्मिक भावनाओं को भी आहत किया है. उन्होंने कहा कि सरकार ड्रग डीलरों के खिलाफ वादा की गई कार्रवाई को पूरा करने में भी विफल रही है.
रंधावा ने कहा कि उनके पास सबसे अच्छे पोर्टफोलियो हैं. लेकिन हम विभागों को खोने से परेशान नहीं हैं. हमारी चिंता यह है कि बरगारी में न्याय और दोषपूर्ण बिजली खरीद समझौतों को खत्म करने जैसे चुनावी वादे अब तक पूरे नहीं हुए हैं.
दिलचस्प बात यह है कि अमरिंदर सिंह और प्रदेश अध्यक्ष सिद्धू के बीच बढ़ते तनाव को लेकर राज्य मामलों के प्रभारी हरीश रावत के चंडीगढ़ दौरे से ठीक एक दिन पहले पार्टी के भीतर कलह सामने आई.


