पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के खिलाफ बगावत पर उतरे कांग्रेस नेताओं के विरुद्ध विजिलेंस जांच और उन्हें धमकाने जैसी घटनाओं ने इन नेताओं में गुस्से को बढ़ा दिया है। राज्यसभा सांसद और पंजाब कांग्रेस के पूर्व प्रधान प्रताप सिंह बाजवा ने बुधवार को तीन मुद्दे उठाते हुए कैप्टन को 45 दिन का अल्टीमेटम दिया।
पंजाब कांग्रेस में मचा सियासी घमासान अब गहराने लगा है, मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह पर उनकी ही कैबिनेट के असंतुष्ट मंत्रियों, विधायकों और सांसदों ने हमला तेज कर दिया है. मंगलवार को कैबिनेट मंत्री चरणजीत सिंह चन्नी और जेल मंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा के आवास पर असंतुष्ट नेताओं ने बैठक की जिसमें रंधावा ने जेलमंत्री रंधावा ने बिना सीएम कैप्टन अमरिंदर का नाम लिए ही कहा कि न मैं विजिलेंस से डरता हूं और न ही जेल जाने से. वहीं, सांसद प्रताप सिंह बाजवा ने विधायक परगट सिंह को मुख्यमंत्री के सलाहकार द्वारा कैप्टन अमरिंदर का नाम लेकर विजिलेंस जांच की धमकी देने के आरोप पर कहा कि यह शर्मनाक है.
उन्होंने कहा कि वे अगले 45 दिन में हालात सुधार लें, अन्यथा इसके बाद वे (कैप्टन) भी आजाद हैं और हम भी आजाद हैं। बाजवा ने बेअदबी के मामले में बादल परिवार पर कार्रवाई, सूबे से ड्रग्स माफिया को खत्म करने और पार्टी के नेताओें पर कार्रवाई न करने की मांग की। बाजवा ने यह भी कहा- अपनी पार्टी के किसी भी नेता के खिलाफ हम कोई कार्रवाई नहीं होने देंगे। हम इन सभी नेताओं के पीछे खड़े हैं।
पत्रकारों से बातचीत में सांसद ने कैप्टन पर निशाना साधते हुए कहा कि वादे दो तरह के होते हैं। एक चुनाव के दौरान जनता से किए वादे और एक गुरु घर से किए वादे। चुनावी वादों में कुछ कमी रह सकती है और लोग नाराज होकर सत्ता से बाहर भी कर देंगे। लेकिन ऐसा पहली बार हुआ है कि एक नेता ने पवित्र ग्रंथ को हाथ में उठाकर जनता के सामने दो वादे किए थे।
साढ़े चार साल बीत चुके हैं। न तो जनता के हाथ कुछ आया है और न ही उनकी पार्टी के नेताओं को ही कोई जानकारी है कि जनता से किए वादे पूरे होंगे या नहीं। इस समय कांग्रेस पार्टी का सबसे मुख्य मुद्दा यही है कि जो गुरु साहिब से वादे किए हैं, वे निभाने ही होंगे। यही कारण है कि पार्टी में आज अलग तरह की हलचल शुरू हो गई है। बाजवा ने कहा कि बेअदबी के मामलों को लेकर आवाज उठा रहे नवजोत सिंह सिद्धू और परगट सिंह अकेले नहीं हैं। वे खुद भी बीते डेढ़ साल से इस मुद्दे पर आवाज उठा रहे हैं।
इन बैठकों के दौरान सभी नेता इस बात पर सहमत दिखे कि बेअदबी के मुददे पर कैप्टन अमरिंदर सिंह की कार्यप्रणाली से प्रदेश के लोग खुश नहीं हैं और लोगों में यह धारणा मजबूत हो गई है कि कैप्टन बादल परिवार का बचाव कर रहे हैं. बैठक में नेताओं का यह भी कहना था कि अगले साल चुनाव के लिए अब वे किस मुंह से जनता के बीच जाएंगे क्योंकि बेअदबी और कोटकपूरा फायरिंग मामलों में दोषियों को सजा दिलाने का वादा पूरा नहीं हुआ है.
जेल मंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा ने कहा कि कांग्रेस की लड़ाई श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी की बेअदबी को लेकर है, जिसे अब भटकाने की कोशिश हो रही है. मुझे कहा गया था कि लोगों को कहकर आओ बेअदबी के दोषियों को सजा दिलाएंगे. लेकिन क्या हुआ उसका.
वहीं, प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष प्रताप सिंह बाजवा ने कहा कि लोगों ने सरकार किसी और उम्मीद से चुनी थी. लोग मानते थे कि कांग्रेस की सरकार राज्य में अकाली-भाजपा गठबंधन द्वारा की गई लूट का हिसाब लेगी. बाजवा ने कहा कि उनका हिसाब तो हमने साढ़े चार साल में भी नहीं लिया.