सुनील जाखड़ पंजाब के दिग्गज हिंदू नेता हैं। वे पूर्व मंत्री बलराम जाखड़ के बेटे हैं। सुनील जाखड़ अबोहर से तीन बार विधायक रह चुके हैं। वहीं वे गुरदासपुर से सांसद भी रह चुके हैं। सुनील जाखड़ कुछ समय पहले ही कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए थे।
भारतीय जनता पार्टी ने मंगलवार को पार्टी संगठन में बड़े फेरबदल का ऐलान करते हुए प्रदेश इकाइयों में नए अध्यक्षों के नाम घोषित किए. बीजेपी ने जी. किशन रेड्डी को तेलंगाना के प्रदेश अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया. वहीं डी. पुरंदेश्वरी को आंध्र प्रदेश बीजेपी का प्रदेश अध्यक्ष, जबकि पूर्व सीएम बाबूलाल मरांडी को झारखंड का प्रदेश अध्यक्ष, और सुनील जाखड़ को पंजाब बीजेपी का अध्यक्ष बनाया गया है.
बीजेपी ने विधानसभा और लोकसभा चुनावों से पहले संगठनात्मक ढांचे को मजबूत करने के मकसद से तीन राज्यों में नए अध्यक्षों की नियुक्ति की है. आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. ऐसे में वहां संगठनात्मक फेरबदल की अटकलें पहले से लगाई जा रही थी.
ऐसे में बीजेपी के इस ताज़ा फेरबदल के बाद केंद्रीय मंत्री जी किशन रेड्डी तेलंगाना में मौजूदा अध्यक्ष बंदी संजय की जगह लेंगे. वहीं आंध्र प्रदेश में मौजूदा अध्यक्ष सोमू वीरराजू की जगह अब पुरंदेश्वरी यह जिम्मा संभालेंगी. इसके अलावा राजेंद्र एटीला को तेलंगाना बीजेपी में चुनाव प्रबंधन संमिति का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है
भारतीय जनता पार्टी ने 2024 के लोकसभा चुनाव के मद्देनजर सुनील जाखड़ (Sunil Jakhar) को पंजाब बीजेपी का प्रधान बना दिया है। माना जा रहा है कि अब बीजेपी की फिरोजपुर लोकसभा क्षेत्र में गहरी पकड़ बनेगी। जाखड़ का अच्छा राजनीतिक तजुर्बा है और वह पंजाब में हिंदू वोट बैंक पर भी पकड़ रखते हैं।
अमित शाह के करीबी माने जाते हैं जाखड़
अश्वनी शर्मा को पदमुक्त करने की चर्चा अमित शाह के गुरदासपुर दौरे से ही शुरू हो गई थी। जाखड़ केंद्रीय गृह मंत्री के काफी निकट माने जाते हैं। जाखड़ गुरदासपुर से भाजपा के लोकसभा उम्मीदवार भी हो सकते हैं। पार्टी अध्यक्ष बनाने का मुख्य कारण यही है कि वह हिंदू और जट्ट समुदाय का संयुक्त चेहरा हैं।
मालवा को साध गई भाजपा
भाजपा के पास मालवा में दमदार चेहरे हैं। कैप्टन अमरिंदर सिंह, राणा गुरमीत सिंह सोढी, केवल सिंह ढिल्लो, अरविंद खन्ना, सुनील जाखड़, गुरप्रीत सिंह कांगड़ व मनप्रीत सिंह बादल सब मालवा से हैं। भाजपा अकाली दल से अलग होकर मालवा में काफी कमजोर हो गई थी। पार्टी की तरफ से अकाली दल के साथ मिलकर चुनाव लडे़ जाते थे तो पार्टी होशियारपुर, गुरदासपुर व अमृतसर से चुनाव लड़ती थी। अकाली दल की तरफ से मालवा में कोई भी सीट भाजपा को नहीं देती थी। जिस कारण भाजपा लगातार मालवा में कमजोर होती चली गई थी।
अमृतसर व गुरदासपुर माझा में हैं जबकि होशियारपुर दोआबा में। ऐसे में भाजपा का वर्कर इन क्षेत्रों में सिमटकर रह गया था। विधानसभा चुनावों में भी भाजपा को मालवा इलाके में तरजीह नहीं दी जाती थी। 23 सीटों में अमृतसर, जालंधर, होशियारपुर व लुधियाना से ही सीट मिलती थी। कुल मिलाकर अकाली दल ने मालवा पर कब्जा कर रखा था। आप ने 2022 के चुनावों में मालवा में जबरदस्त आंधी चलाई और मजबूत सरकार बना ली।