वेद ज्ञान का सबसे बड़ा भंडार है। यदि कोई इंसान वेद की जानकारी रखता है तो समझिए उसकी हर समस्या का समाधान वेद के अंदर ही दिया गया है। बस जरूरत होती है वेदों में लिखी और कही हर बात को समझने की। इसलिए वेद को हमेशा हर समाज में विशेष महत्व दिया जाता है। लेकिन यदि आप वेदों के बारे में अच्छे से नहीं जानते हैं तो हमारे इस लेख को अंत तक पढि़ए। अपने इस लेख में हम आपको बताएंगे कि वेद क्या होते है? वेदों के कितने प्रकार हैं? वेद किसने लिखे? तो चलिए जानते हैं वेद क्या हैं?
Ved kisne likha tha यह जानने से पहले हमें यह जानना जरुरी है कि आखिर वेद क्या है, वेदों का क्या महत्त्व है और क्यों वेदों को पढ़ना जरुरी है।
वेद इस दुनिया का सबसे पहला और प्राचीन धर्म ग्रंथ है। इसी को आधार बनाते हुए दुनिया के तमाम मजहब यानि धर्म बने। जिन्होंने वेदों को अपने अपने हिसाब से अपनाने का काम किया। सामान्य भाषा में वेद का अर्थ ‘ज्ञान’ होता है। वेदों को किसी ने लिखा नहीं है। बाल्कि पुराने समय में इसे ईश्वर ने ऋषि मुनियों को सुनाया गया था। बस इसी को आधार बनाते हुए आगे चलकर वेदों की रचना की गई। आम लोगों को इसे समझने में आसानी रहे इसलिए इसे चार भागों में बांटा गया है। इससे इन्हें समझना तो आसान रहता ही है, साथ ही इन्हें इंसान अपनी जरूरत के अनुसार ही पढ़ भी सकता है।
पवित्र वेद विश्व का सबसे प्राचीन ग्रंथ होने के साथ-साथ भारत का पवित्र साहित्य भी है। यह हिंदुओं का धर्म ग्रंथ होने के साथ-साथ प्राचीनतम एवं आधारभूत ग्रंथ भी माना जाता है। इसी ग्रंथ के आधार पर दुनिया में अनेकों धर्मों के उत्पत्ति हुई और जो इसमें ज्ञान वर्णित है इसी के आधार पर सभी धर्म अपनी अपनी भाषा में इसका प्रचार प्रसार कर रहे है। वेद और पुराणों में लिखे अनमोल ज्ञान के माध्यम से ही मनुष्य को आध्यात्मिक जीवन जीने की प्रेरणा प्राप्त होती है। वेदों में लिखे ज्ञान के द्वारा ही व्यक्ति के जीवन में शांति और दूसरों के प्रति मदद करने की भावना व धैर्य रखने जैसे अनमोल ज्ञान की सीख मिलती है।
ved kitne hain ऐसा माना जाता है कि वेद अपौरुषेय है और इसमें वर्णित ज्ञान को श्रुति भी कहा जाता है श्रुति का मतलब यह होता है कि ऋषि मुनियों को जो ज्ञान प्राप्त हुआ है वह भगवान से सुनकर प्राप्त हुआ है। प्राचीन भारत और हिंदू जाति के बारे में ऐसा माना जाता है कि ऐतिहासिक रूप से वेदों को ज्ञान का स्रोत माना जाता है। पवित्र वेद में ज्योतिषी शास्त्र, औषधि गुण, विज्ञान, भूगोल, धर्म, सृष्टि व संगीत आदि अनेकों प्रकार के ज्ञान वर्णित या लिखा हुआ है।
वेद का अर्थ – Ved Ka Arth वेद शब्द का जन्म संस्कृत भाषा के विद धातु से हुआ है जिसका अर्थ “जानना” होता है यानी कि वेद का हिंदी में मतलब “ज्ञान” है। आपको बता दें वेद का ज्ञान अनंत है मतलब “जिसका कोई भी अंत नहीं_ है। वेदों में लिखा गया ज्ञान बहुत ही बहुमूल्य है जो कि मनुष्य जीवन के उत्थान के लिए महत्वपूर्ण है। वेदों के ज्ञान को समझ कर व्यक्ति अपना जीवन में सुखमय बना सकता है।
वेदों की रचना किसने की – Ved kisne likhe the वेदों की रचना किसने की इसका आज तक सही से पता नहीं लगाया जा सका है। क्योंकि मनुष्य ने तो इसे सिर्फ सरल भाषा में करने का काम किया है। माना जाता है कि हजारों साल पहले जब हमारे ऋषि मुनि गहन तपस्या में लीन थे, तो उन्होंने ही वेदों के बारे में सुना था। इसके बाद उन्होंने मानव जाति के कल्याण के लिए अपने श्ष्यिों को वेद पढ़ाना शुरू कर दिया। जिससे ये जानकारी आगे से आगे बढ़ती चली आई। जो कि आज हमारे सामने है। लेकिन इस बात से एक बात स्पष्ट है कि वेद हमारे सामने आज जो हैं वो पूरे केवल आधे अधूरे हैं। वास्तव में वेद आज से कहीं बड़े और विस्तृत होंगे।
लेकिन आगे चलकर इसे पुस्तक के रूप में लिखने का काम किया महर्षि वेदव्यास जी ने किया। उन्होंने इसे कुल चार भागों में बांट कर लिखा है। जिनके नाम हमने आपको ऊपर बता दिए हैं। लेकिन कुछ विदेशी लोग यह भी कहते हैं कि वेद की रचना वेदव्यास ने नहीं की, बाल्कि इसकी रचना तो आर्यो के द्वारा की गई थी। लेकिन ये जानकारी पूरी तरह से गलत है। इसे केवल इसलिए प्रचारित किया जाता है कि वेद जैसी महत्वपूर्ण पुस्तक की उत्पत्ति भारत के लोगों ने नहीं की। इसलिए इसका श्रेय भारत के महर्षि वेदव्यास को ना दिया जाए। आइए अब आपको बताते हैं कि चारों वेदों के अंदर क्या बताया गया है।
वेद किसने लिखे वेद के चार भाग
ऋगवेद (Rigveda)
यजुर्वेद (Yajurveda)
सामवेद (Samved)
अथर्ववेद (Atharvaveda)
ऋगवेद (Rigveda)
यह सबसे पहला वेद है। इसके अंदर देवी देवताओं के बारे में वर्णन मिलता है। उन्हें किस तरह से प्रसन्न किया जा सकता है। उन्हें प्रसन्न करने के लिए किस तरह से मंत्र आदि का उच्चारण करना चाहिए। इन सबकी जानकारी हमें ऋगवेद के अंदर मिलती है। इसके अंदर 10 मंडल और 1028 सूक्त हैं। साथ ही 11 हजार मंत्र दिए गए हैं। जो कि पूजा पाठ के दौरान बोले जाते हैं। ऋगवेद की भी पांच शाखाएं हैं। जिनका नाम है शाकल्प, वास्कल, अश्लायन, शांखायन मंडूकायन। ऋगवेद के अंदर चिकित्सा का भी वर्णन है। जिसमें जल चिकित्सा, वायु चिकित्सा, सौर चिकित्स और हवन के द्वारा की जाने वाली चिकित्सा का वर्णन है। इसके अंदर 125 औषधि का भी जिक्र किया गया है। जो कि 107 जगहों पर पाई जाती हैं। इन औषधियों में सोम का भी वर्णन मिलता है। जिसके जरिए च्वन ऋषि को दोबारो से युवा किया गया था। आज के आधुनिक युग में इस वेद का बड़ा महत्व है। क्योंकि कई बार इस वेद में बताई गई औषधि का हम लोग प्रयोग करते हैं।
यजुर्वेद (Yajurveda) यजुर्वेद का अर्थ होता है गतिशील। जबकि इसके अंदर ‘जु’ का अर्थ होता है आकाश। इस वेद के अंदर यज्ञ की विधियों का वर्णन किया गया है। यज्ञों में प्रयोग किए जाने वाले मंत्रों का जिक्र किया गया है। इसके अलावा तत्वज्ञान का जिक्र किया गया है। जिसके अंदर आप रहस्यमयी ज्ञान को अर्जित कर सकते हैं। इस वेद की दो अलग से शाखाएं भी हैं जो कि शुक्ल और कृष्ण हैं। इन दोनों शाखाओं में भी इससे जुड़ी जानकारी दी गई है।
सामवेद (Samved) एक वेद पूरी तरह से संगीत के ऊपर आधारित है। इसमें ज्यादातर मंत्र ऋगवेद से लिए गए थे। लेकिन उनमें बदलाव ये किया गया था कि उन्हें एक संगीत की तरह लिखा गया था। जिसे हम लोग गाते हुए बोल सकते हैं। इसमें कुल 1824 मंत्र दिए गए हैं। जिनमें सविता, अग्नि और इंद्र देवी देवताओं के बारे में जिक्र मिलता है। इस वेद में प्रमुख रूप से तीन शाखाएं हैं और 75 ऋचाएं हैं। इस वेद के बारे में परीक्षाओं में भी कई बार पूछा जाता है।
अथर्ववेद (Atharvaveda) इस वेद के अंदर रहस्यमयी चीजों, उनकी विधाओं और चमत्कार से जुड़ी चीजों का वर्णन किया गया है। साथ ही जड़ी बूटियों और उनसे होने वाले इलाज का वर्णन मिलता है। इस वेद के अंदर बताया गया है कि श्रेष्ठ कर्म को करते हुए जो परमात्मा की भक्ति में लीन रहता है वो एक दिन मोक्ष को प्राप्त करता है। इस वेद के अंदर कुल 10 अध्याय दिए गए हैं। जिनके अंदर 5687 मंत्रों का वर्णन है। जिनको इस वेद के माध्यम से पढ़ा जा सकता है। यूनेस्को में भी शामिल है वेद आज वेद केवल भारत और भारत के लोगों तक ही सीमित नहीं है। इसको यूनेस्को तक ने अपनी विश्व घरोहर में शामिल किया है। आज की तारीख में वेद सबसे प्राचीन और लिखित ग्रंथ माने जाते हैं। इसलिए वेदों की 28 हजार प्रतियों को पुणे में संभाल कर रखा गया है। जबकि ऋगवेद की 30 हजार प्रतियों को यूनेस्कों की तरफ से विश्व विरासत सूची में शामिल किया गया है। इन्हें सांस्कृतिक घरोहर की सूची में शामिल किया गया है। जो कि बताता है किे वेद का महत्व कितने बड़े स्तर पर है। क्या वेदों के अंदर भगवान का जिक्र है? बहुत से लोग राम, सीता, हनुमान और कृष्ण को भी वेदों के अंदर तलाशने की कोशिश करते हैं। लेकिन यह उन लोगों की ये बड़ी भूल होती है। क्योंकि इनका जन्म वेदों के समय नहीं हुआ था। वेदों की रचना तो सृष्टि के आदिकाल से कर दी गई थी। इसलिए उस दौरान तो ये थे ही नहीं। लेकिन वेद के अंदर भी सरस्वती और गंगा नदी का जिक्र आता है। जिसे उसके अदंर भी भगवान के रूप में बताया गया है। शायद इसीलिए लोग आज इन नदियों की पूजा करते हैं।
वेद के अंग – Ved ke Ang
पवित्र वेद के कुछ अंग भी हैं इन्वेद के अंग को वेदांग कहां जाता है वेद के कुल छह अंग हैं जो नीचे लिखे गए हैं। शिक्षा कल्प निरुक्त व्याकरण छंद ज्योतिषी
वेद कितने प्रकार के होते हैं? (वेदो के भाग)
1. मंत्र संहिता: वे विभिन्न देवताओं के लिए भजन, कविताएं और प्रार्थनाएं हैं।
2. ब्राह्मण: वे बताते हैं कि देवताओं को बलिदान और प्रसाद कैसे देना है।
3. आरण्यक: वे कर्मकांडों की दार्शनिक व्याख्या करते हैं।
4. उपनिषद: उन्हें सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि उनमें सभी वेदों के संपूर्ण ज्ञान का सार समाहित है। सबसे महत्वपूर्ण उपनिषद हैं: इसोपनिषत, केनोपनिषत, कथोपनिषत, प्रस्नोपनिषत, मुंडकोपनिषत, मांडुक्योपनिषत, ऐतरेयोपनिषत, तैत्तिर्योपनिषत, छांदोग्योपनिषत, बृहदारण्यकोपनिषत और श्वेताश्वतरोपनिषत।
उपवेद कितने हैं? उपवेद 4 है।
1. आयुर्वेद: आयुर्वेद रोगों के लिए हर्बल उपचार से संबंधित है।
2. धनुर्वेद: धनुर्वेद में शत्रु से बचाव और युद्ध करने का तरीका बताया गया है।
3. गंधर्ववेद: गंधर्ववेद संगीत से संबंधित है।
4. अर्थ शास्त्र: अर्थ शास्त्र राजनीति और अर्थशास्त्र से संबंधित है।
6 वेदांग कौन कौन से हैं? वेदांग (वेदों के अंग)
1. व्याकरण: व्याकरण संस्कृत भाषा के व्याकरण से संबंधित है।
2. ज्योतिष: ज्योतिष और खगोल विज्ञान से संबंधित है।
3. निरुक्त: निरुक्त वैदिक मंत्रों में निहित शब्दों की उत्पति से संबंधित है।
4. शिक्षा: शिक्षा ध्वन्यात्मकता और वैदिक मंत्रों के उच्चारण से संबंधित है।
5. छंद: वैदिक मंत्रों के छंद से संबंधित है।
6. कल्प: कल्प सूत्र बलिदान की विधियों और पालन की जाने वाली आचार संहिता से संबंधित हैं। स्मृतिया
पुराण पुराण यह पुराना होने के बावजूद आधुनिक है। इसका अर्थ भले ही पुराने प्रतीत होता हों, लेकिन उनमें बहुमूल्य ज्ञान मिलता है, जो वर्तमान आधुनिक समाज पर समान रूप से लागू होता है। इतिहास और पुराणों में वेदों का एक ही ज्ञान है, लेकिन एक सरलीकृत कहानी के रूप में एक साधारण मनुष्य भी उन्हें आसानी से समझ सकता है और उनका अनुसरण कर सकता है। अन्य 18 उप पुराणों के साथ 18 मुख्य पुराण हैं। मुख्य पुराणों की सूची निम्नलिखित है:
18 पुराण कौन कौन से हैं? 1. विष्णु पुराण, 2. नारद पुराण, 3.श्रीमद्भागवत पुराण, 4.गरुड़ पुराण, 5.पद्म पुराण, 6.वराह पुराण, 7.ब्रह्म पुराण, 8. ब्रह्माण्ड पुराण, 9.ब्रह्म वैवर्त पुराण, 10. मार्कंडेय पुराण, 11. भविष्य पुराण, 12. वामन पुराण, 13. मत्स्य पुराण, 14. कूर्म पुराण, 15. लिंग पुराण, 16. शिव पुराण, 17. स्कंद पुराण और 18 अग्नि पुराण।
आगम यह मंत्र, तंत्र और यंत्र पूजा के व्यावहारिक तरीकों के लिए हैं। वे वर्णन करते हैं, कि मंदिरों, मूर्तियों, आकर्षण और मंत्रों, रहस्यवादी आरेखों, सामाजिक नियमों और सार्वजनिक त्योहारों का निर्माण कैसे किया जाता है। आगम क्या है? आगम वेद के सम्पूरक है।
आगम तीन प्रकार के होते हैं:
1. वैष्णव आगम: मुख्य देवता के रूप में भगवान विष्णु की भक्ति करते हैं।
2. शैव आगम: जो भगवान शिव को मुख्य देवता मानते हैं।
3. शाक्त आगम: देवी माँ को ब्रह्मांड की माता मानते हैं। दर्शन इतिहास, पुराण और आगम जनसाधारण के लिए हैं, दर्शन बुद्धिजीवियों के लिए हैं। ऋषियों ने दर्शनों में अपने विचारों को संक्षिप्त छंदों (सूत्रों) के रूप में संघनित किया है। अतः भाष्यों की सहायता के बिना उन्हें समझना बहुत कठिन है। यही कारण है, कि बाद के ऋषियों द्वारा विभिन्न भाष्य उपलब्ध कराए गए हैं।