मोदी सरकार समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) को लेकर बड़ा दांव खेल सकती है. केंद्र सरकार ने संसद के मॉनसून सत्र में यूसीसी बिल लाने की तैयारी कर ली है. संसद की एक स्थायी समिति ने समान नागरिक संहिता के मुद्दे पर हितधारकों की राय जानने के लिए विधि पैनल द्वारा हाल ही में जारी एक नोटिस पर विधि आयोग और कानून मंत्रालय के प्रतिनिधियों को तीन जुलाई को बुलाया है.
मोदी सरकार संसद के मॉनसून सत्र में UCC बिल ला सकती है. सूत्रों के मुताबिक सरकार ने संसद के मॉनसून सत्र में समान नागरिक संहिता बिल लाने की तैयारी कर ली है. समान नागरिक संहिता कानून संबंधी बिल संसदीय समिति को भी भेजा सकता है. गौरतलब है कि भारत के कानून आयोग ने यूसीसी के ड्राफ्ट को सार्वजनिक डोमेन में डाला हुआ है और इसपर 13 जुलाई तक लोगों से राय मांगी है। बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के समान नागरिक संहिता पर दिए बयान के बाद से देश में ये मुद्दा चर्चा का विषय बन गया है। विपक्ष जहां इसके विरोध में लामबंद है तो भाजपा इसे जल्द देश में लागू करने की बात कह रही है।
समान नागरिक संहिता क्या है
समान नागरिक संहिता में जो विषय आते हैं उनमें शादी, तलाक, भरण पोषण, उत्तराधिकार, गोदलेना, विरासत आदि विषय ही आते हैं और यही विषय परिवार कानूनों के भी हैं। परिवार कानून के ये विषय राज्य सूची में भी आते हैं इसलिए कुछ राज्य आजकल समान नागरिक संहिता तैयार करने में लगे हैं। अब अगर 21वें विधि आयोग के परामर्श पत्र को देखा जाए तो उसमें भी इन्हीं विषयों से जुड़े कानूनों और पर्सनल ला में संशोधन और संहिताबद्ध करने की बात की गई है।
एक परिवार में कैसे चलेंगे दो कानून?
हाल ही में पीएम नरेंद्र मोदी ने एक भाषण में कहा था कि आज कल हम देख रहे हैं कि UCC के नाम पर लोगों को भड़काने का काम हो रहा है. आप मुझे बताइए कि एक घर में परिवार के एक सदस्य के लिए एक कानून हो, परिवार के दूसरे सदस्य के लिए दूसरा कानून हो तो क्या वो घर चल पाएगा. सुप्रीम कोर्ट ने बार-बार कहा है, सुप्रीम कोर्ट डंडा मारती है, कह रही है UCC लाओ.
उद्धव और ‘आप’ ने किया समर्थन:
यूनिफॉर्म सिविल कोड के मुद्दे पर मोदी सरकार को उद्धव ठाकरे और आम आदमी पार्टी का समर्थन मिला है. वैसे ये दल विपक्ष में है लेकिन यूनिफॉर्म सिविल कोड के मुद्दे पर केंद्र के सुर में सुर मिला कर चल रहे है. शिवसेना (यूबीटी) ने अपने मुखपत्र सामना में भी इसका जिक्र किया है. राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी ने कहा कि वे न तो यूनिफॉर्म सिविल कोड का समर्थन करते हैं और न ही इसका विरोध.
कांग्रेस सहित कई पार्टियां कर रही विरोध:
पीएम मोदी द्वारा इसकी वकालत किये जाने के बाद, कांग्रेस ने तीखी प्रतिक्रिया दी है. नेशनल कॉन्फ्रेंस प्रमुख फारूक अब्दुल्ला ने इस मुद्दे पर कहा कि समान नागरिक संहिता लाने से पहले सरकार को इस बात पर विचार करना चाहिए कि देश विविधताओं का देश है. यहीं जेडीयू ने भी इस मुद्दे पर सरकार को आड़े हाथों लिया है.
क्या है समान नागरिक संहिता?
समान नागरिक संहिता का अर्थ यह है कि भारत में रहने वाले प्रत्येक नागरिक के लिए एक समान कानून होगा चाहे वे किसी भी धर्म या जाति के क्यों न हो. अगर यह कानून देश में लागू होता सबके लिए एक तरह के कानून होंगे. इसके तहत शादी, तलाक, बच्चा गोद लेने जैसे कई मुद्दे पर हर नागरिक के लिए एक सामान नियम होंगे.
क्या है केंद्र सरकार का पक्ष:
यूनिफॉर्म सिविल कोड मुद्दे पर केंद्र सरकार का कहना है कि इसके कार्यान्वयन से व्यक्तिगत कानूनों में सामंजस्य स्थापित करने में मदद मिलेगी और साथ ही सभी नागरिकों के लिए समान व्यवहार सुनिश्चित होगा. यूनिफॉर्म सिविल कोड बिल पेश करने के पीछे सरकार की मंशा समानता को बढ़ावा देने और भारतीय संविधान में निहित सिद्धांतों को बनाए रखने के उसके प्रयासों को रेखांकित करता है.
जब पसमांदा मुसलमानों का PM ने किया जिक्र
पीएम नरेंद्र मोदी ने ये भी कहा कि तुष्टिकरण करके अपने स्वार्थ के लिए छोटे-छोटे कुनबे दूसरों के खिलाफ खड़े कर देते हैं और दूसरी तरफ हम भाजपा के लोग हैं, हम मानते हैं कि देश का भला करने का रास्ता तुष्टिकरण नहीं है. ये वोट बैंक की राजनीति करने वालों ने हमारे जो पसमांदा मुसलमान भाई-बहन हैं, उनका तो जीना भी मुश्किल करके रखा हुआ है. वो तबाह हो गए, उनको कोई फायदा नहीं मिला है. उनके ही धर्म के एक वर्ग ने पसमांदा मुसलमानों का इतना शोषण किया है, उन्हें आज भी बराबरी का हक नहीं मिलता.