सीबीएसई के निर्देशों के विपरीत शहर के कई बड़े स्कूलों ने मार्च में ही आरंभ कर दिया गया नया शिक्षा सत्र,एनसीईआरटी की जगह प्राइवेट पब्लिशर्स की महंगी किताबें लगाने से अभिभावकों की दिक्कत बढ़ गई है।
बोर्ड ने सभी स्कूलों के प्रिंसिपल को यह सलाह दी है कि नया एकेडमिक सेशन निर्धारित समय से पहले शुरू न करें और 31 मार्च तक शैक्षणिक सत्र का सख्ती से पालन करने की सलाह दी है।
सीबीएसई द्वारा जारी किया गया है आदेश
सीबीएसई द्वारा जारी आदेश में उल्लेखित किया गया है कि अक्सर यह देखा जा रहा है कि सीबीएसई मान्यता प्राप्त स्कूलों में मार्च से ही नया सत्र आरंभ कर दिया जा रहा है लेकिन यह सीबीएसई के नियमों का उल्लंघन है जारी आदेश में एक अप्रैल 2023 से 31 मार्च 2024 तक अकादमिक सत्र संचालित करने का कड़ा निर्देश दिया गया है लेकिन इस के विपरीत शहर के कई बड़े स्कूलों ने मार्च में ही आरंभ कर दिया गया नया शिक्षा सत्र ।
पेरेंट्स इस बार फिर ठगी का शिकार
प्राइवेट स्कूलों में बच्चों को पढ़ाने वाले पेरेंट्स इस बार फिर ठगी का शिकार हो गए। फिर वही कार्ड सिस्टम चला, जिसमें स्कूल वाले दुकान का नाम और पता लिखकर पेरेंट्स को देते हैं कि बुक्स और अन्य सामान यहीं से मिलेगा। मौजूदा समय में राइट टु एजुकेशन के बावजूद पेरेंट्स स्कूलों की इस लूट का शिकार होने के लिए मजबूर हैं। उन्हें डर रहता है कि कहीं शिकायत करने से स्कूल वाले उनके बच्चे का भविष्य खराब कर दें।
15 मार्च को पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट ने निर्देश दिए थे कि प्राइवेट स्कूल अन्य पब्लिशरों की जगह एनसीईआरटी की बुक्स ही स्टूडेंट्स को पढ़ाएं, जो प्राइवेट की तुलना में कई गुणा सस्ती होती हैं। इस बारे में जनहित याचिका आॅल इंडिया क्राइम प्रिवेंशन सोसायटी के अध्यक्ष राजिंदर शर्मा द्वारा दायर की गई थी। याचिका में उन्होंने कहा था कि पंजाब के सीबीएसई, पंजाब स्कूल शिक्षा बोर्ड और आईसीएसई से मान्यता प्राप्त निजी स्कूलों में प्रबंधकों और प्रकाशकों की मिलीभगत से एनसीईआरटी की पुस्तकों के स्थान पर प्राइवेट प्रकाशकों की कई गुणा महंगी पुस्तकें जबर्दस्ती पढ़ाई बेची जा रही हैं। यह गरीब बच्चों के साथ शिक्षा के नाम पर धोखा है।
पीएसईबी, सीबीएसआई और आईसीएसई तीनों बोर्डों से जुड़े बेखौफ होकर कैंपस के अंदर ही किताबें बेच रहे हैं। यही नहीं इस बार किताबों के दाम पिछले साल से 40 प्रतिशत तक बढ़ा दिए गए हैं। किताबों पर प्रिंट रेट ही पेरेंट्स से लिया जा रहा है। सबसे बड़ी बात पेरेंट्स पर स्कूल से ही किताबें लेने का दबाव डाला जा रहा है।
स्कूल के अंदर खुली दुकान से किताबें खरीदने का दबाव:
दूसरी तरफ शिक्षा विभाग के अधिकारी स्कूलों की इस मनमानी को रोकने के लिए कोई फिजिकल चेकिंग नहीं कर रहे है। सिर्फ आदेश जारी कर खानापूर्ति कर ली गई है। विभाग को शिकायत का इंतजार कर रहा है, जब पेरेंट्स बच्चों के भविष्य की सोच कर शिकायत नहीं कर रहे। पंजाब स्कूल एजुकेशन बाेर्ड, सीबीएसई और आईसीएसई के अधीन चल रहे कई प्राइवेट स्कूलों में भी किताबें स्कूल के अंदर बेची जा रही हैं। आप पेरेंट्स को लूटने का अंदाजा इसी बात से लगा सकते हैं कि प्राइवेट प्रकाशकों की किताबों के साथ कॉपी व अन्य स्टेशनरी का सेट कक्षा तीसरी 7300 रुपए का सेट दिया जा रहा है।
निर्देशों के विपरीत निजी स्कूलों ने स्कूल के अंदर ही किताब, ड्रेस, जूते, मोजे आदि की दुकानें खोल रखी हैं। कई स्कूलों ने कार्रवाई से बचने के लिए स्कूल से बाहर अपने ही लोगों से किताब, कॉपी व स्टेशनरी की दुकान खुलवा रखी है और अभिभावकों को इन्हीं दुकानों से किताब, कॉपी व स्टेशनरी खरीदने के लिए मजबूर किया जा रहा है।
आम आदमी एवं पालकों की जेब पर डाल रहे डाका
अनेक निजी स्कूलों में शासन के नियमों, अधिनियमों व गाइड लाइन की लगातार अवहेलना कर आम आदमी एवं पालकों की जेब पर सरेआम डाका डाला जा रहा है। इससे अभिभावकों के मन में निजी स्कूलों के खिलाफ आक्रोश व्याप्त है। अभिभावकों की समस्याओं में निजी प्रकाशकों के प्रतिवर्ष बदलते पाठ्यक्रम बंद हों एवं एमपीटीआरसी एवं एनसीईआरटी की पुस्तकें ही लगाई जाएं। विभिन्न प्रकार की फीसवृद्धि पर रोक लगाई जाए। प्रतिवर्ष बदलते महंगे यूनिफॉर्म पर रोक लगे।
पिछली सरकारों की तरह ‘आप’ सरकार भी स्कूलाें की मनमानी पर रोक लगाने में असफल : अभिभावक
अभिभावकों ने कहा कि सरकार के निर्देश के बावजूद 20 दुकानों की लिस्ट प्राइवेट स्कूलों ने नहीं दी। हर साल लेटर जारी करने के बाद डीईओ की ओर चेंकिंग केवल नाम मात्र की जाती है।
अधिकारियों की शय में स्कूल यह काम कर रहे हैं। काग्रेंस, अकाली सरकार की तरह आप सरकार भी स्कूलों पर काेई शिकंजा नहीं कस पाई है। न ताे फीस, किताबों की लिस्ट वेबसाइटों पर डाली गई है और न ही फीस बढ़ाने पर राेक लगी है। काेई भी प्राइवेट स्कूल 8 प्रतिशत से ज्यादा फीस नहीं बढ़ा सकता, लेकिन नियमों की धज्जियां सरेआम उड़ रही हैं।