दीपक सलवान / एडिटर इन चीफ / आवाज ए विरसा
Metaverse: मेटावर्स एक आभासी दुनिया है जो कि पूरी तरह से हाई-स्पीड इंटरनेट पर निर्भर करती है. बिना हाई स्पीड इंटरनेट और गैजेट्स के इस दुनिया में जाना मुमकिन नहीं.
What is Metaverse : पिछले कुछ समय से मेटावर्स (Metaverse) के बारे में काफी चर्चाएं हो रही हैं. अक्टूबर 2021 में मेटा (फेसबुक) के सीईओ मार्क जुकरबर्ग (Mark Zuckerberg) ने कंपनी का नाम मेटा (Meta) रखा. उस समय मार्क ने कहा कि हम चाहते हैं कि हम दुनिया में मेटावर्स के नाम से जाने जाएं, हालांकि मेटावर्स कोई नया शब्द नहीं है. मेटावर्स शब्द भले ही आज अचानक से चर्चा का विषय बना हुआ हो, लेकिन यह काफी पुराना शब्द है. आइए इसके इतिहास पर नज़र डालते हैं.
मेटावर्स का इतिहास
साल था 1992 में नील स्टीफेंसन ने अपने डायस्टोपियन उपन्यास “स्नो क्रैश” में मेटावर्स (Metaverse) का जिक्र किया था. स्टीफेंसन के उपन्यास में मेटावर्स का मतलब एक ऐसी दुनिया (वीडियो गेम) से था, जहां लोग गैजेट्स की मदद से आपस में कनेक्ट होते हैं. गैजेट्स में हेडफोन, वर्चुअल रियलिटी शामिल है. यह वीडियो गेम लोगो को एक आभासी दुनिया में ले जाता है, आइए आज की इस रिपोर्ट में जानते हैं कि मेटावर्स क्या है और दुनिया की बड़ी टेक कंपनियां मेटावर्स में निवेश क्यों कर रही हैं?
मेटावर्स शब्द अंग्रेजी के दो अक्षरों से मिलकर बना है Meta और Verse, इनमे Meta का मतलब होता है Beyond अर्थात “आगे” और Verse जिसे Universe वर्ड से लिया गया है जिसका मतलब होता है “ब्रह्माण्ड”, इस प्रकार मेटावर्स का पूरा मतलब होता है ब्रह्माण्ड से भी आगे, यानि मेटावर्स हम सब के बीच टेक्नोलॉजी बेस पर निर्मित एक ऐसी दुनिया होनेवाली है जो इस भौतिक दुनिया से भी आगे जानेवाली है परंतु यह एक डिजिटल वर्चुअल दुनिया होगी और ऐसा कहा जा रहा है की इसमें वो सब कुछ होगी और वो सब कुछ कर पाएंगे जो इस भौतिक दुनिया में होती है।
बताया जा रहा है कि इस डिजिटल वर्ल्ड (वर्चुअल वर्ल्ड) में घर, जमीन, जगह, शहर, पहाड़, होटल, सिनेमाघर इत्यादि सब कुछ होनेवाली है जैसा की हमारे इस फिजिकल वर्ल्ड में होता। सीधी शब्दों में कहें तो इसी फिजिकल दुनिया का एक 3D रूप इस वर्चुअल दुनिया में भी होने वाली है। इस दुनिया में भी हम सब अपने एसेट्स की खरीद – बिक्री भी कर पाएंगे, हम सब अपने दोस्तों, सगे-संबंधियों से दूर रहते हुए भी क्षण मिनटों में Virtually बिलकुल आमने-सामने महसूस करते हुए मिल पाएंगे, एक जगह से दूसरे जगह घूमने जा पाएंगे, खेल पाएंगे, दूर रहते हुए भी एक साथ क्लासरूम में पढ़ पाएंगे, यहाँ तक की एक दूसरे को छू भी पाएंगे और महसूस भी कर पाएंगे।
वर्तमान में तो ये सब असंभव सा लग रहा है परन्तु वास्तविकता यह है की जब तक कोई चीज हमारे बीच में एक्सिस्ट नहीं करती है तब तक सब कुछ हमेशा से ही असंभव ही लगता है जैसा की पहले इन्टरनेट के बारे में सुनने पर लगता था। इन्टरनेट के हमारे बीच में आने से पहले जब ऐसा कहा जाता था की इन्टरनेट के आ जाने से दुनिया बदल जाएगी और सब कुछ घर बैठे होने लगेगा जैसे- ऑफिसियल काम घर बैठे कर पाएंगे, छन मिनटों में हम अपने परिवार के सदस्य या दोस्तों से दूर रहते हुए भी बिलकुल Face to Face विडियो कॉल करके बात कर पाएंगे, ऑनलाइन पढाई कर पाएंगे, ऑनलाइन व्यापार कर पाएंगे इत्यादि, तो ये सब भी उस समय असंभव ही लगता था पर आज क्या है वो सब कुछ ऑनलाइन ही हो रहा है जिसकी कल्पना शायद पहले कोई नहीं किया होगा। वैसा ही कुछ मेटावर्स के साथ भी हो सकता है। हालाँकि जब तक यह भी हमारे बीच में एक्सिस्ट नहीं करता है तब तक इसके बारे में भी कुछ नहीं कहा जा सकता है।
मेटावर्स कैसे काम करेगा?
वास्तव में मेटावर्स सॉफ्टवेयर के उपयोग से बनाई गयी एक वर्चुअल दुनिया होगी जिसमे हमारे इस पूरी फिजिकल दुनिया का 3D रूप होगा जो किसी डाटा सेंटर के सर्वर पर होस्ट होगा और ऑनलाइन इसे इन्टरनेट के जरिए एक्सेस किया जा सकेगा। इसे ऑगमेंटेड रियलिटी, वर्चुअल रियलिटी, मशीन लर्निंग, ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी और आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस जैसी कई टेक्नोलॉजी के कॉम्बिनेशन से बनाया जायेगा और इन सब टेक्नोलॉजी के जरिए ही हम सब इसका आनंद ले सकेंगे।
जैसा की हम सब जान पा रहे है की मेटावर्स एक वर्चुअल दुनिया होगी ऐसे में ये दुनिया हमारे इस फिजिकल वर्ल्ड में सीधी कहीं दिखने वाली नहीं है परन्तु कुछ इलेक्ट्रॉनिक गैजेट और डिवाइसेस (जैसे- VR Headset) का इस्तेमाल करके इसमें एंटर कर पाएंगे और इसे महसूस किया जा सकेगा जैसा की किसी 3D Game में होता है, मेटावर्स में भी एंटर करने के लिए हमें VR Headset, Sensing Device इत्यादि लगाना होगा फिर वो दुनिया हमारे सामने दिखेगी और ऐसा महसूस होगा की हम वास्तव में किसी एक नई दुनिया में है। इसी तरह से अन्य सभी लोग भी इस वर्चुअल वर्ल्ड में एंटर करेंगे।
उदाहरण के लिए ऐसा सोचा जाय की यदि आप और आपका दोस्त दोनों एक-दुसरे से दूर रहते हुए भी यदि एक साथ इस दुनिया एंटर करते है तो ऐसा हो सकता है की हम दोनों एक प्लान के तहत किसी खास लोकेशन पर मिलने के बारे में सोचें और मिलें, फिर क्या मिलकर आमने-सामने होने जैसा महसूस कर सकते है और बातें कर सकते है, किसी दुसरे लोकेशन पर एक साथ घुमने जा सकते है।
यहाँ ध्यान देने वाली बात है की यह एक 3D वर्चुअल दुनिया होगी, इसमें किसी मानव का फिजिकल रूप एक्सिस्ट नहीं करने वाला है, बल्कि हमारे जैसे सभी मानव का एक Avtar जो एक 3D Character होता है वही एक्सिस्ट करेगा, हालाँकि हमारा Avtar बिलकुल हमारे जैसे ही दिखेंगे इसलिए यहाँ भी हम सब एक दुसरे को पहचान पाएंगे और ऐसा महसूस कर पाएंगे की हम सब आमने-सामने है जैसा की इस फिजिकल वर्ल्ड में होता है।
ऐसा कहा जा रहा है की मेटावर्स में भी हम अपने एसेट्स अर्थात संपत्ति खरीद सकेंगे, व्यापार कर सकेंगे इत्यादि। हालाँकि ये सब Blockchain Technology पर काम करेगा। हम सब सोच सकते है की जब यहाँ एक पूरी दुनिया होगी तो यहाँ कोई मुद्राएँ भी चलेगी जिसके आदान-प्रदान से हम सब खरीद-बिक्री कर पाएंगे, वास्तव में ऐसा ही कुछ होने वाला है पर यहाँ कोई रूपये या डॉलर नहीं चलने वाला है बल्कि क्रिप्टोकरेंसी वाला कांसेप्ट रहने वाला है जिसके उपयोग, आदान-प्रदान से हम इस दुनिया में अपनी दुनिया बसायेंगे।
मेटावर्स शब्द की उत्त्पत्ति कैसे हुई?
मेटावर्स शब्द हाल ही में उत्पन्न होनेवाली कोई नई शब्द नहीं है बल्कि इस शब्द का इतिहास बहुत ही पुराना है। सबसे पहले मेटावर्स शब्द का इस्तेमाल साइंस फिक्शन नॉवेल (किताब) ‘स्नो क्रैश’ में किया गया था जिस नॉवेल के लेखक नील स्टीफेंसन थे जिन्होंने ‘स्नो क्रैश’ नाम की अपनी किताब 1992 में पब्लिश की थी। इसी नावेल में सबसे पहले मेटावर्स की बात कही गई है और इस नॉवेल में उसी वक्त वर्चुअल वर्ल्ड में रियल लोगों के अवतार दिखाए गए थे।
हालाँकि जब से Facebook ने घोषणा की है की हम भविष्य में एक नई वर्चुअल दुनिया बनाने वाले है जिसका नाम मेटावर्स होने वाला है तब से ये शब्द बहुत ही ज्यादा चर्चा का विषय बन गया है।
मेटावर्स कब तक संभव है?
सही मायने में देखा जाय तो इसकी कोई निश्चित समय सीमा नहीं है क्योंकि यह कोई समोसा तलने का काम नहीं है कि पांच मिनट में खाने को रेडी हो जायेगा, इसमें दशकों लगने वाला है क्योंकि जैसा की बताया जा रहा है कि इनमें एक पूरी वर्चुअल दुनिया का समावेश होने वाला है जिसमे कई तरह के टेक्नोलॉजी का सहारा लिया जाना है तो जाहिर सी बात है कि इसके आने में समय तो लगने वाला है। हालाँकि एक अनुमानतः इसे पूरी तरह से सबको एक्सपीरियंस देने में 10 से 15 साल का वक्त लग सकता है, वैसे Facebook जैसी बड़ी-बड़ी कंपनियां इसके पीछे काम करना शुरू कर दी है।
मेटावर्स के पीछे कौन-कौन सी कंपनियां काम कर रही है?
मेटावर्स किसी एक चीज या टेक्नोलॉजी पर आधारित नहीं होने वाला है क्योंकि इसमें सॉफ्टवेयर, हार्डवेयर, एसेट क्रिएशन, इंटरफेस क्रिएशन, प्रोडक्ट और फाइनेंशियल सर्विसेस जैसी कई कैटेगरी का समावेश होने वाला है। इसलिए इसके निर्माण में Facebook के अलावा Google, Apple, Snapchat जैसी बड़ी-बड़ी कंपनियां काम कर रही हैं।
मेटावर्स के आ जाने से हमारी जिंदगी में क्या प्रभाव पड़ेगा?
अगर आपने ऊपर दी गयी जानकारी को बिलकुल सही से समझ लिया तो शायद आप भी अंदाजा लगा सकते है कि मेटावर्स के आ जाने से हम सबके जिंदगी पर क्या प्रभाव पड़ने वाला है, फिर भी मैं बताते चलूँ तो हमें उम्मीद है कि मेटावर्स के आ जाने के बाद हमारी जिंदगी पर Negative और Positive दोनों तरह के प्रभाव पड़ेंगे, हालाँकि यह हमारे ऊपर ही निर्भर करेगा की हमें इसके किस ओर जाना है Negative की ओर अथवा Positive की ओर, Negative हमारे जिंदगी के लिए हानिकारक होगा जबकि Positive हमारे जिंदगी के लिए सुविधाजनक होगा तो जाहिर सी बात है कि हम सब के लिए Positive Point को Adopt करना अच्छा रहेगा जो हमारे जिंदगी को आसान बनाने का काम करेगा, जैसा की आज हमने इन्टरनेट के साथ किया है, इन्टरनेट ने भी हमें कई तरह की सुविधा दी है तो साथ ही हमारे सामने कई तरह की समस्याएं भी खड़ी कर दी है जैसे- प्राइवेसी को लेकर, फ्रॉड को लेकर, गलत इनफार्मेशन को लेकर इत्यादि, पर इसके समस्यओं से हटकर हम इसकी सुविधाओं का फायदा उठाते है, ठीक इसी तरह ही यहाँ भी कुछ होगा पर हमें यहाँ भी इसके सुविधाओं का फायदा उठाना ही हमारे लिए सही रहेगा।
मेटावर्स के लाभ तथा विशेषताएं?
मेटावर्स की विशेषताओं की बात करें तो इसकी सबसे मुख्य विशेषता यह हो सकती है की जिन सभी कार्यों को आज हमलोग ऑनलाइन 2D में करते है या बिना फीलिंग के करते है उसे हम मेटावर्स में फीलिंग के साथ 3D दुनिया में कर पायें। ऐसे में इससे होने कुछ लाभ हो सकते है जैसे-
आज जिस ऑनलाइन क्लास को हम केवल विडियो के माध्यम से कर पाते है उस क्लास को हम मेटावर्स में बिलकुल आमने-सामने बैठे होने की फीलिंग के साथ पढाई कर सकते है और अपने टीचर से डायरेक्ट सवाल जबाब भी कर सकते है।
आज हम अपने दोस्तों और सगे-सम्बन्धियों से दूर होने पर केवल विडियो कॉल के माध्यम से ही बात कर पाते है परन्तु मेटावर्स में उसके अवतार के साथ बिलकुल आमने-सामने बैठ कर बात कर सकते है साथ ही दूर रहते हुए भी कहीं घुमने का मजा ले सकते है।
ऑनलाइन शॉपिंग करने का तरीका भी बदल सकता है, आज हमलोग ऑनलाइन शॉपिंग के दोरान केवल उस प्रोडक्ट का इमेज देखकर उसे खरीदते है पर मेटावर्स में हम उसे सप्लायर के शॉप में जाकर प्रोडक्ट का 3D इमेज देखकर शॉपिंग कर सकते है जो शायद आज के तरीके से बेहतर हो सकता है।
इस वास्तविक फिजिकल वर्ल्ड में हम दुनिया के हर एक जगह आसानी से नहीं जा सकते है जिससे हम हर एक जगह के संस्कृति को नहीं जान सकते पर मेटावर्स हम कहीं भी आसानी से जाकर वहाँ के संस्कृति से अवगत हो सकते है, इसके अलावे और भी कई सारे विशेषताएं और फायदे हो सकते है।
मेटावर्स के नुकसान?
कोई भी चीज हो चाहे उसके कितने भी फायदे हो उसके नुकसान भी होते ही है, ऐसा ही कुछ मेटावर्स आने के बाद भी होगा, इसके फायदे चाहे जो भी होंगे नुकसान भी निश्चित ही होंगे। ऐसे में मेटावर्स से हमारे मानव जीवन पर पड़ने वाले प्रतिकूल प्रभाव हो सकते है जैसे-
लोगों को इसकी लत लग सकती है जिससे उसके अपने लाइफ से जुड़े महत्वपूर्ण काम में भी बाधा पहुँच सकती है साथ ही इसकी आदत से लोग आलसी हो सकते है जिससे उसके वास्तविक मानव जीवन पर बुरा असर पड़ सकता है।
लोगों की दूरियां जब इस वर्चुअल वर्ल्ड में सिमित हो जाएगी तो ऐसा भी हो सकता है की वे लोग जो इसके आदि होंगे वे अपने लोगों के साथ इस फिजिकल दुनिया में मिलना बंद कर दे और इसी वर्चुअल दुनिया में ही मिलना पसंद करे।
कई ऐसे कार्य ऐसे भी हो सकते है जिसका वास्तविक जीवन से कोई सम्बन्ध नहीं हो फिर भी उसे करने की लोगों में होड़ मची हो।
अब तक तो लोग केवल अपने फिजिकल जीवन को बेहतर बनाने के लिए प्रयासरत रहते है परन्तु मेटावर्स के आ जाने के बाद लोग इस वर्चुअल दुनिया में भी अपने को बेहतर बनाने के मेहनत करना शुरू कर देंगे जिससे शायद ऐसा भी हो की वे इसी दुनिया में लगे रहे और उसका वास्तविक जीवन बर्बाद हो।
मेटावर्स की लत से लोगों को मानसिक समस्याएँ उत्पन्न होने की संभावना भी हो सकती है जो एक बड़ी जोखिम होगी, मनोवैज्ञानिक के अध्ययनों ने यह भी संकेत दिया कि इस डिजिटल दुनिया में खुद को वास्तविक दुनिया से अलग करने से वास्तविकता के साथ स्थायी रूप से तलाक होने की संभावना बढ़ जाएगी जिससे मनोविकृति के लक्षण भी उत्पन्न हो सकते हैं।
मेटावर्स लोगों की प्राइवेसी को लेकर भी चिंताएं बढ़ा सकता है, जैसा की इन्टरनेट के साथ भी हो रहा है। हालाँकि यह हमारे ऊपर भी निर्भर करता है की हम अपनी गोपनीयता किस प्रकार से खो रहे है इसके लिए हमें अवेयर रहना होगा।
वर्तमान में इसके उदाहरण?
वर्तमान में इसकी उदाहरण की बात करें तो जैसा कि हम सब जानते हैं की वर्तमान समय में Fortnite, Pubg जैसे बहुत सारी गेम आ गई हैं जिसमे एक 3D वर्चुअल दुनिया होती है और उसमे हम अपने अनुसार अपना एक Avtar यानि 3D Character बनाकर उस दुनिया में घुस कर अपने दुश्मनों को ढूँढ कर मरते है हालाँकि ऐसे गेम को पूरी तरह वास्तविक फीलिंग के साथ खेलने के लिए के डिवाइस की जरुरत पड़ती है जिसे VR Headset कहा जाता है जिसे आँखों के सामने लगाकर खेलते है जिससे हमे ऐसा प्रतीत होता है की हम उसी दुनिया में है और आमने सामने गेम खेल रहे है। Fortnite, Pubg जैसे गेम को खेलने वाला व्यक्ति पूरी तरह से वर्चुअल दुनिया में चला जाता है और गेम का आनंद लेता है।
इसी तरह से कुछ मेटावर्से भी होने वाला है इसमें भी दुनिया के हर के चीज का 3D रूप प्रस्तुत रहेगा जिसको आप VR Headset लगाकर घर बैठे ही पूरी तरह स्पष्ट रूप से देख पाएंगे, देश दुनिया घूम पाएंगे, वहां से शॉपिंग कर पाएंगे और ना जाने कितने ही काम आप घर बैठे आराम से कर पाएंगे।
मेटावर्स भविष्य की तकनीक है |अभी इसके ऊपर काम चल रहा है और बड़ी से बड़ी कंपनियां इस तकनीक में निवेश कर रही है और हर सम्भव कोशिश कर रही हैं के इसे सच बनाया जाये | अगर ऐसा होता है तो हम एक साथ 2 या इससे ज्यादा जिंदगियां जियेंगे , एक असली दुनिया में और एक डिजिटल दुनिया में | वो तो जब होगा तक देखा जाएगा , फ़िलहाल जो हमारी दुनिया में है हमे उसकी तरफ ध्यान देने की जरूरत है |