पंजाब भाजपा की कमान अश्वनी शर्मा के पास ही रहेगी। हालांकि पार्टी के संगठन में बड़े बदलाव की संभावना है। बताया जा रहा है कि कांग्रेस से आए वरिष्ठ नेता सुनील जाखड़ को पार्टी बड़ी जिम्मेदारी सौंप सकती है।
पंजाब में भाजपा की कार्यकारिणी का पुनर्गठन जल्द होने जा रहा है। आगामी लोकसभा चुनाव को देखते हुए पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व ऐसे नेताओं को टीम में शामिल कर बड़ी जिम्मेदारी सौंप सकता है, जिनका प्रभाव पूरे पंजाब या किसी खास इलाके में है। भाजपा नेतृत्व ने उन नेताओं को दरकिनार करने का मन बना लिया है जो प्रेस कॉन्फ्रेंस और प्रेस रिलीज तक सीमित हैं। इसी सीरीज के तहत अब प्रांतीय टीम का पुनर्गठन किया जाएगा। सूत्रों के मुताबिक सितंबर के पहले हफ्ते तक नई टीम पर मोहर लग जाएगी। इस टीम में मौजूदा टीम के कुछ सदस्यों को भी शामिल किया जाएगा जबकि कुछ नए सदस्यों को जोड़ा जाएगा। बी.जे.पी. सूत्रों के मुताबिक, जो राज्य की मौजूदा टीम में काम नहीं कर रहे हैं उनकी छुट्टी तय है। 33 जत्थेबंदक जिलों के एक दर्जन जिलाध्यक्ष भी बदले जाएंगे।
अश्वनी शर्मा को दोबारा प्रदेश की कमान संभाले हुए अभी एक साल भी नहीं हुआ था कि किसानों ने दिल्ली बार्डर पर जाकर धरना दे दिया। किसान धरने को लेकर अश्वनी शर्मा पर भी उंगलियां उठी थी कि उन्होंने दिल्ली तक सही जानकारी नहीं पहुंचाई। हालांकि कृषि बिल वापस होने और विपरीत परिस्थिति में काम करने का लाभ अश्वनी शर्मा को मिल रहा है। उधर, प्रांतीय टीम के वरिष्ठ नेता का कहना है कि अश्विनी शर्मा प्रमुख बने रहेंगे और उनकी टीम में कुछ बदलाव होंगे। उनका दावा है कि केंद्रीय लीडरशिप ने हाल ही में शर्मा को अपनी टीम के पुनर्गठन के लिए कहा है। वहीं एक केंद्रीय नेता का कहना है कि इस बदलाव के तहत प्रधान भी आ सकते हैं।
2022 के विधान सभा चुनाव के बाद 2024 का लोक सभा चुनाव भी अश्वनी शर्मा के नेतृत्व में लड़ना तय माना जा रहा है। प्रदेश प्रधान का तीन वर्ष का कार्यकाल जनवरी 2023 में खत्म रहा है, लेकिन भाजपा हाईकमान ने उन्हें नई कार्यकारिणी बनाने के संकेत दिए है।
जाखड़ को लेकर दो के बारे में दुविधा
चूंकि सुनील जाखड़ कांग्रेस अध्यक्ष थे और सांसद भी रह चुके हैं, इसलिए बी.जे.पी. उन्हें कोई छोटा पद नहीं देगी। ऐसे में केंद्रीय टीम में उनके लिए जिम्मेदारी तय की जा सकती है। बी.जे.पी. सूत्रों के मुताबिक, मोदी, अमित शाह और जगत प्रकाश नड्डा चाहते हैं कि जाखड़ को पंजाब में बी.जे.पी. की कमान सौंपी जाए, जबकि संघ पार्टी के एक पुराने नेता के पक्ष में है। हालांकि बी.जे.पी. लीडरशिप 2024 के लोकसभा चुनाव तक यह प्रयोग करने की बात कर रही है क्योंकि पंजाब में पार्टी के पास इतना बड़ा चेहरा नहीं है। फिलहाल संघ इस पर राजी नहीं हुआ है।
राजनीतिक रूप से यह भी चर्चा रही है कि भाजपा सुनील जाखड़ को बड़ी जिम्मेदारी दे सकती है। जिसका मुख्य कारण यह भी है कि भाजपा में शामिल होने के बाद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने घंटों सुनील जाखड़ के घर पर बिताया, जबकि आमतौर पर केंद्रीय गृह मंत्री किसी नेता के घर पर कम ही जाते हैं।
वहीं, 24 अगस्त तक जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी न्यू चंडीगढ़ में होमी भाभा कैंसर अस्पताल का उद्घाटन करने के लिए आए थे, तब उन्होंने 45 मिनट तक भाजपा नेताओं के साथ अलग से फीडबैक बैठक की। इस बैठक में प्रधानमंत्री ने सुनील जाखड़ को न सिर्फ विशेष तवज्जों दी, बल्कि उन्हें दिल्ली आकर मिलने के लिए भी कहा। तब से ही यह चर्चा गर्म है कि पार्टी जाखड़ को संगठन में उचित स्थान दे सकती है।
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष सुनील जाखड़ के अलावा राज कुमार वेरका, सुंदर शाम अरोड़ा, राणा गुरमीत सिंह सोढ़ी, गुरप्रीत सिंह कांगड़, बलबीर सिंह सिद्धू और फतेहजंग सिंह बाजवा बी.जे.पी. में शामिल हो गए हैं। राणा सोढ़ी संगरूर उपचुनाव में पार्टी के चुनाव प्रभारी रहे हैं। डॉ. वेरका ने दिल्ली में बी.जे.पी. के लिए एक बड़ा कार्यक्रम भी रखा है। ऐसे में बाजवा, वेरका और सोढ़ी में से किसी एक को प्रदेश पदाधिकारी बनाया जाएग। कांग्रेस से आए इन नेताओं को बराबर ओहदे दिए जाएंगे।
BJP सिर्फ 23 विधानसभा और 3 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ती थी, लेकिन अब उसे सभी 117 विधानसभा और 13 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ना है। पहले की राजनीतिक स्थिति में मौजूदा टीम पर्याप्त थी लेकिन अब जब स्थिति बदल गई है, काम का दायरा बढ़ गया है, तो टीम का आकार बढ़ना स्वाभाविक है इसलिए चर्चा चल रही है। कांग्रेस के नेताओं को भी उनकी योग्यता के अनुसार पार्टी में जगह दी जानी चाहिए।