पंजाब कांग्रेस के नेताओं ने मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी की सरकार के खिलाफ नवजोत सिंह सिद्धू द्वारा की जारी निरंतर आलोचना पर अड़ियल रवैया अख्तियार करना शुरू कर दिया है. इतना ही नहीं, कुछ नेताओं ने दावा किया है कि क्रिकेटर से नेता बने सिद्धू ने कई बार ‘सीमा’ का उल्लंघन किया.
जैसे-जैसे चुनाव के दिन नजदीक आ रहे हैं, नेताओं का कहना है कि पंजाब कांग्रेस प्रमुख सिद्धू का सोशल मीडिया अपनी ही पार्टी की सरकार के खिलाफ गड्ढे खोद रहा है. उनका मानना है कि इससे न केवल पार्टी की छवि खराब हो रही है, बल्कि चुनाव के नजरिए से भी उन्हें परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.
‘सार्वजनिक मंच पर रखने के बजाय सिद्धू मुद्दे को मुख्यमंत्री के सामने उठा सकते हैं’
नशीली दवाओं के खतरे और 2015 की बेअदबी के मामलों पर चन्नी सरकार द्वारा रिपोर्ट जारी नहीं करने को लेकर सिद्धू की भूख हड़ताल पर जाने की धमकी पर टिप्पणी करते हुए कांग्रेस विधायक कुलबीर सिंह जीरा ने कहा, “सिद्धू द्वारा उठाए जा रहे मुद्दे सही हो सकते हैं, लेकिन उसके लिए एक पार्टी मंच है. सिद्धू पार्टी के (राज्य इकाई) अध्यक्ष हैं और वह इस मुद्दे को सार्वजनिक मंच पर रखने के बजाय सीधे मुख्यमंत्री के सामने उठा सकते हैं.”
‘हर शिकायत को सार्वजनिक मंच पर उठाना पार्टी की छवि के लिए अच्छा नहीं’
जीरा से सहमति जताते हुए पार्टी के एक अन्य विधायक बरिंदरमीत सिंह पहाड़ा ने कहा, “सिद्धू द्वारा उठायी गई हर चिंता को दूर किया गया है, क्योंकि एक पार्टी के रूप में कांग्रेस भी लोगों की चिंता को दूर करना चाहती है. लेकिन हर शिकायत को सार्वजनिक मंच पर उठाना पार्टी की छवि के लिए अच्छा नहीं है.
पंजाब कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने भी वर्तमान और पिछली दोनों सरकारों पर कटाक्ष करते हुए एक ट्वीट पोस्ट किया. शुक्रवार को एक ट्वीट में जाखड़ ने सिद्धू की प्रेस कॉन्फ्रेंस का एक वीडियो साझा किया और लिखा, “बुत हम को कहे काफ़िर, अल्लाह की मर्जी है… सूरज में लगे धब्बा, फ़ितरत के करिश्मे हैं… बरकत जो नहीं होती, नीयत की खराबी है.”
अहम बात यह है कि इसी स्टेज से सिद्धू ने मुख्यमंत्री को ‘चन्नी’ कह कर संबोधित करते हुए कहा, चन्नी कहकर गया है कि पार्टी सुप्रीम होती है। सरकार पार्टी के निर्देशानुसार चलती है। मैं पार्टी का अध्यक्ष हूं, सरकार को एसटीएफ की रिपोर्ट सार्वजनिक करनी चाहिए, नहीं तो मैं मरणव्रत पर बैठ जाऊंगा। सिद्धू ने मुख्यमंत्री के नाम के आगे आदरसूचक शब्द न लगाकर साफ कर दिया कि सीएम के प्रति उनका क्या नजरिया है। सिद्धू मरणव्रत बैठते हैं तो 2022 विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस की परेशानी बढ़नी तय है।