कांग्रेस का असंतुष्ट धड़ा मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह को हटाने की मुहिम को और तेज करने की तैयारी में है। इसके संकेत उस समय मिले जब नवजोत सिंह सिद्धू, सुखजिंदर सिंह रंधावा और कुलबीर सिंह जीरा एमएलए हॉस्टल स्थित विधायक परगट सिंह के घर पर पहुंचे। यह बैठक काफी गुपचुप तरीके से हुई लेकिन मीडिया से छिपी नहीं रह सकी।
बैठक के बाद पत्रकारों ने मंत्री तृप्त सिंह रंधावा से जब इस बारे में पूछा तो वह काफी नाराज हुए और यह कहते हुए चले गए कि सब कुछ मीडिया को नहीं बताया जा सकता। उल्लेखनीय है कि पंजाब कांग्रेस के यह चारों नेता कैप्टन विरोधी खेमे के प्रमुख चेहरे है । माना जा रहा है कि पार्टी हाईकमान ने आगामी विधानसभा चुनाव कैप्टन अमरिंदर सिंह के नेतृत्व में लड़ने का एलान कर दिया, इसके बाद विरोधी खेमा नए सिरे से रणनीति बनाने में जुट गया है।
कांग्रेस आलाकमान भले ही यह विश्वास दिलाना चाहे कि पार्टी की पंजाब राज्य इकाई में अब सब ठीक है, लेकिन हालिया घटनाक्रम दिखाते हैं कि हालात बिल्कुल इसके विपरीत हैं. वास्तविकता उस छवि से बिल्कुल मेल नहीं खाती जो पार्टी बनाने की कोशिश कर रही है.
मंगलवार (24 अगस्त) को उपजे ताजा विद्रोह, जहां पार्टी की राज्य इकाई के एक वर्ग द्वारा मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह को हटाने की मांग की गई, ने ऐसी किसी भी धारणा पर विराम लगा दिया है कि राज्य में पार्टी के विभिन्न पक्ष एक समझौते पर पहुंच गए हैं. एक महीने पहले कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने दावा किया था कि अप्रैल माह में पंजाब कांग्रेस में नवजोत सिंह सिद्धू और अमरिंदर सिंह के बीच भीषण जुबानी जंग के साथ शुरू हुई अंदरूनी कलह अब सुलझ गई है.
सिद्धू-अमरिंदर के बीच खाई पाटी नहीं जा सकती
जहां सभी की निगाहें अब गांधी परिवार पर टिकी हैं, वहीं कई लोगों का मानना है कि सिद्धू-अमरिंदर का रिश्ता उस बिंदु को पार कर गया है जहां से वापसी का कोई रास्ता नहीं है. अब सवाल जो बाकी है, वो यह है कि इस लड़ाई में कौन जीतेगा?
वहीं, जब भी अवसर मिलता है, कोई भी पक्ष एक-दूसरे को नीचा दिखाने का मौका भुनाने से नहीं चूकता. ताजा उदाहरण सिद्धू के दो सहयोगियों, मलविंदर माली और प्यारे लाल गर्ग द्वारा कश्मीर और पाकिस्तान पर की गई विवादास्पद टिप्पणियों का है, जो अमरिंदर द्वारा खुले तौर पर निंदा करने के बाद एक प्रमुख मुद्दा बन गया है.