योगी सरकार ने फॉर्मूला तैयार कर लिया है, जिसके तहत जिनके पास दो से अधिक बच्चे होंगे, वे न तो सरकारी नौकरी के लिए योग्य होंगे और न ही कभी चुनाव लड़ पाएंगे। दरअसल, उत्तर प्रदेश की राज्य विधि आयोग ने सिफारिश की है कि एक बच्चे की नीति अपनाने वाले माता पिता को कई तरह की सुविधाएं दी जाएं, वहीं दो से अधिक बच्चों के माता-पिता को सरकारी नौकरियों से वंचित रखा जाए। इतना ही नहीं, उन्हें स्थानीय निकाय चुनाव लड़ने से रोकने समेत कई तरह के प्रतिबंध लगाने की सिफारिश इस प्रस्ताव में की गई है।
बढ़ती आबादी को रोकने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने नई जनसंख्या नीति का ऐलान किया है। नई जनसंख्या नीति के साथ ही सियासत में तपिश बढ़ गयी है। नई जनसंख्या नीति से जनसंख्या नियंत्रण का फॉर्मूला तैयार किया गया है। सीएम योगी आदित्यनाथ ने जनसंख्या नियंत्रण पर यूपी सरकार की नई नीति का ऐलान करते हुए कहा कि बढ़ती आबादी उत्तर प्रदेश के विकास की राह में बाधक है। इस नीति का लक्ष्य जनसंख्या स्थिरीकरण को पाना है। जनसंख्या वृद्धि की दर को बढ़ने से रोकना है। नई जनसंख्या नीति के तहत सरकार परिवार नियोजन से जुड़े तमाम कार्यक्रम शुरू करेगी। मातृ और शिशु मृत्युदर को कम करने के लिए कई उपाय किए जाएंगे। योगी आदित्यनाथ ने समाज के सभी तबकों से साथ आने की अपील की है। विपक्षी दल इस चुनावी मुद्दा बता रहे हंैं। जनसंख्या नियंत्रण को लेकर सरकार के ऐलान के साथ धर्मगुरुओं ने भी अपना मोर्चा खोल दिया है। हिंदू धर्मगुरु कड़े कानून की वकालत कर रहे हैं तो मुस्लिम धर्मगुरु इस ऐलान पर ऐतराज जता रहे हैं। राज्य विधि आयोग के तैयार ड्राफ्ट में जनसंख्या नियंत्रण के लिए कड़ी सिफारिशों की वकालत की गई। सरकारी नौकरी को लेकर तमाम सुविधाओं से वंचित किए जाने की बात है।
ड्राफ्ट में ऐसी सिफारिश
- ड्राफ्ट में कहा गया है कि दो से अधिक बच्चे वाले व्यक्ति का राशन कार्ड चार सदस्यों तक सीमित होगा। वह किसी भी प्रकार की सरकारी सब्सिडी प्राप्त करने के लिए पात्र नहीं होगा।
- कानून लागू होने के एक साल के अंदर सभी सरकारी कर्मचारियों और स्थानीय निकाय चुनाव में चुने हए जनप्रतिनिधियों को एक शपथपत्र देना होगा। इस षपथ पत्र में उन्हें बताना होगा कि नियम का उल्लंघन नहीं करेंगे।
- शपथपत्र के बाद वह तीसरा बच्चा पैदा करते हैं तो ड्राफ्ट में सरकारी कर्मचारियों का प्रमोशन रोकने और बर्खास्त करने तक की सिफारिश की गई है। तीसरे बच्चे को गोद लेने पर रोक नहीं है.
- दो बच्चों की नीति का पालन करने वाले और स्वैच्छिक नसबंदी करवाने वाले अभिभावकों को सरकार विषेश सुविधाएं देगी।
- दो बच्चों वाले सरकारी कर्मचारियों को दो अतिरिक्त सैलेरी इंक्रीमेंट, प्रमोशन, 12 महीने का मातृत्व या पितृत्व अवकाश, जीवनसाथी को बीमा कवरेज, सरकारी आवासीय योजनाओं में छूट, पीएफ में नियोक्ता का अंश बढ़ाने जैसी कई सुविधाएं मिलेगी।
- जिनके पास सरकारी नौकरी नहीं है, ड्राफ्ट में उन्हें पानी, बिजली, होम टैक्स, होम लोन जैसी कई सुविधाएं देने का प्रस्ताव किया गया है।
- दो से अधिक बच्चे वाले व्यक्ति को सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिलेगा। वह व्यक्ति सरकारी नौकरी के लिए आवेदन नहीं कर पाएगा और न ही किसी स्थानीय निकाय का चुनाव लड़ सकेगा।
एक बच्चा होने पर राहत ही राहत
वन चाइल्ड पॉलिसी स्वीकार करने वाले बीपीएल श्रेणी के माता-पिता को विशेष तौर पर प्रोत्साहित करने का प्रस्ताव रखा है। इसके तहत जो माता-पिता पहला बच्चा पैदा होने के बाद आपरेशन करा लेंगे, उन्हें कई तरह की सुविधाएं दी जाएंगी। पहला बच्चा बालक होने पर 80 हजार रुपये और बालिका होने पर एक लाख रुपये की विशेष प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। ऐसे माता-पिता की पुत्री उच्च शिक्षा तक नि:शुल्क पढ़ाई कर सकेगी, जबकि पुत्र को 20 वर्ष तक नि:शुल्क शिक्षा मिलेगी। इसके अलावा उन्हें नि:शुल्क चिकित्सा सुविधा और सरकारी नौकरी होने की स्थिति में सेवाकाल में दो इंक्रीमेंट भी दिए जाएंगे।
दो से ज्यादा बच्चे होने पर आफत ही आफत
आयोग ने दो से ज्यादा बच्चों के माता-पिता को कई तरह की सुविधाओं से वंचित करने का प्रस्ताव रखा है। इसमें उन्हें स्थानीय निकायों का चुनाव लड़ने से रोकने, सरकार से मिलने वाली सब्सिडी बंद किए जाने, सरकारी नौकरियों के लिए आवेदन करने पर रोक लगाने तथा सरकारी नौकरी कर रहे लोगों को प्रोन्नति से वंचित करने का प्रस्ताव रखा गया है। ये सभी प्रस्ताव जनसंख्या वृद्धि पर नियंत्रण करके नागरिकों को बेहतर सुविधाएं मुहैया कराने के उद्देश्य से तैयार किया गया है। आयोग ने जनसंख्या नियंत्रण से संबंधित पाठ्यक्रम स्कूलों में पढ़ाए जाने का सुझाव भी दिया है।