HIGHLIGHTS
- अमेरिकी विदेश विभाग के हाथ लगे कोविड-19 पर विस्फोटक दस्तावेज
- चीन ने 5 साल पहले कोविड को जैविक युद्ध के लिए तैयार किया
- कोरोना वायरस का ‘जैविक हथियार के नए युग’ के तौर पर उल्लेख
- कोरोना वायरस के चलते दुनिया भर में जो तबाही मच रही है, वो दैवीय आपदा नहीं है. अब इस बात के लिखित सबूत मिले हैं कि चीन 5 साल से पहले से ही जेनेटिक वेपन की तैयारी कर रहा था. ये हथियार कोरोना वायरस हो सकता है.
कोरोना वायरस को चीन के वुहान स्थित प्रयोगशाला में तैयार किया गया, इसको लेकर दुनिया के अधिसंख्य देश आरोप लगा चुके हैं. यहां तक कि इसकी जांच करने गई विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट से भी चीन को क्लीनचिट नहीं मिल सकी है. हालांकि अब एक नए खुलासे ने बीजिंग प्रशासन को कठघरे में खड़ा कर दिया है. अमेरिकी विदेश विभाग के दस्तावेजों के मुताबिक चीन (China) के वैज्ञानिकों ने कोविड-19 महामारी से पांच साल पहले कथित तौर पर कोरोना वायरस को हथियार के तौर पर इस्तेमाल करने के बारे में जांच की थी और उन्होंने तीसरा विश्व युद्ध जैविक हथियार से लड़ने का पूर्वानुमान लगाया था.
अमेरिका के पास विस्फोटक दस्तावेज
ब्रिटेन के ‘द सन’ अखबार ने ‘द ऑस्ट्रेलियन’ की तरफ से सबसे पहले जारी रिपोर्ट के हवाले से कहा कि अमेरिकी विदेश विभाग के हाथ लगे ‘विस्फोटक’ दस्तावेज कथित तौर पर दर्शाते हैं कि चीन की पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी (पीएलए) के कमांडर यह घातक पूर्वानुमान जता रहे थे. अमेरिकी अधिकारियों को मिले दस्तावेज कथित तौर पर वर्ष 2015 में उन सैन्य वैज्ञानिकों और वरिष्ठ चीनी स्वास्थ्य अधिकारियों द्वारा लिखे गए थे जोकि कोविड-19 की उत्पत्ति के संबंध में जांच कर रहे थे.
कोरोना वायरस ‘जैविक हथियार के नया युग’
चीनी वैज्ञानिकों ने सार्स कोरोना वायरस का ‘जैविक हथियार के नए युग’ के तौर पर उल्लेख किया था, कोविड जिसका एक उदाहरण है. पीएलए के दस्तावेजों में दर्शाया गया कि जैव हथियार हमले से दुश्मन के चिकित्सा तंत्र को ध्वस्त किया जा सकता है. दस्तावेजों में अमेरिकी वायुसेना के कर्नल माइकल जे के कार्यों का भी जिक्र किया गया है, जिन्होंने इस बात की आशंका जताई थी कि तीसरा विश्व युद्ध जैविक हथियारों से लड़ा जा सकता है.
चीन की पारदर्शिता पर चिंता
दस्तावेजों में इस बात का भी उल्लेख है कि चीन में वर्ष 2003 में फैला सार्स एक मानव-निर्मित जैव हथियार हो सकता है, जिसे आंतकियों ने जानबूझकर फैलाया हो. सांसद टॉम टगेनधट और ऑस्ट्रेलियाई राजनेता जेम्स पेटरसन ने कहा कि इन दस्तावेजों ने कोविड-19 की उत्पत्ति के बारे में चीन की पारदर्शिता को लेकर चिंता पैदा कर दी है. हालांकि, बीजिंग में सरकारी ग्लोबल टाइम्स समाचारपत्र ने चीन की छवि खराब करने के लिए इस लेख को प्रकाशित करने को लेकर दी ऑस्ट्रेलियन की आलोचना की है.
ट्रंप ने साफतौर पर कहा था-चीनी वायरस
पिछले साल तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने कई बार सार्वजनिक तौर पर कोरोना को ‘चीनी वायरस’ करार दिया था। ट्रंप ने कहा था-यह चीन की लैब में तैयार किया गया और इसकी वजह से दुनिया का हेल्थ सेक्टर तबाह हो रहा है। कई देशों की इकोनॉमी इसे संभाल नहीं पाएंगी। उन्होंने यहां तक कहा था कि अमेरिकी खुफिया एजेंसियों के पास इसके सबूत हैं और वक्त आने पर ये दुनिया के सामने रखेंगे।
बता दें, कोविड-19 महामारी कोरोना वायरस यानी ‘सार्स कोव-2’ दिसंबर 2019 में चीन के वुहान से फैलना शुरू हुई थी। कोरोना वायरस वायरस का बड़ा समूह या परिवार है। ये मनुष्य में सामान्य सर्दी खांसी से लेकर गंभीर श्वसन रोग यानी सीवियर एक्यूट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम (SARS) तक पैदा करते हैं। संक्रमण बहुत ज्यादा फैलने पर मरीज की मौत हो जाती है।
अब तक 15 करोड़ संक्रमित, 32 लाख मौतें
विश्व में अब तक कोविड-19 से 15.70 करोड़ लोग संक्रमित हो चुके हैं और 32.80 लाख मौतें हो चुकी हैं। रोज दुनियाभर में मामले बढ़ते जा रहे हैं। रविवार को दुनिया में 7.83 लाख नए केस आए। इस दौरान 13,022 लोगों की मौत हुई।
भारत व ब्राजील में कहर
कोरोना का कहर सबसे ज्यादा भारत और ब्राजील में देखा जा रहा है। शनिवार को दुनिया में हुई कुल मौतों के 47 प्रतिशत मामले भारत और ब्राजील में रिकॉर्ड किए गए। भारत में 4,133 और ब्राजील में 2,091 लोगों की कोरोना की वजह से मौत हो गई।