प्रॉपर्टी के इंतकाल या फिर फर्द लेने के लिए अब आपको तहसीलकर्मियों को रिश्वत नहीं देनी पड़ेगी। राजस्व कार्यालयों में भ्रष्टाचार रोकने के लिए सरकार ने रजिस्ट्री के ऑनलाइन प्रोसेस में एक ऐसा अलग से स्लॉट शुरू किया है कि प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री होते ही इसका अलर्ट पटवारी की लॉगइन आईडी पर स्वत: ही पहुंच जाएगा। अलर्ट मिलते ही पटवारी को सेम डे सरकारी दस्तावेजाें में इंतकाल चढ़ाना होगा।
डीसी घनश्याम थोरी ने राजस्व कर्मियों को चेतावनी देते हुए कहा है कि यदि इंतकाल चढ़ाने में विलंब हुआ तो तहसीलदार सहित इसमें शामिल सभी राजस्व कर्मियों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। जिले की 12 तहसील एवं सब तहसीलों में प्रतिमाह करीब 12500 प्रॉपर्टी की रजिस्ट्रियां होती हैं, जिसके बाद प्रति इंतकाल चढ़वाने के लिए लोगों को औसतन 1500 रुपए रिश्वत राजस्व कर्मियों को देनी पड़ती है। इस हिसाब से हर साल केवल इंतकाल के नाम पर ही तहसील कर्मी 22.50 करोड़ की अवैध कमाई कर रहे हैं ।
ऐसे समझें काला कारोबार, करोड़ों की रिश्वत पर लगेगी रोक- वैसे तो एक इंतकाल चढ़वाने के लिए लोगों को तहसील के महीनों चक्कर काटने पड़ते हैं। इसके एवज में उन्हें 1500 से लेकर 2000 रुपए तक खर्च करने पड़ते हैं। हर दिन पूरे जिले में करीब 500 प्राॅपर्टी की लिखा-पढ़ी होती है। इसके हिसाब से देखे तो हर रोज 7.50 लाख रुपए राजस्व कर्मियों की जेब मे जाते हैं। एक महीने यानी करीब 25 दिनों में तहसील कर्मियों की अवैध कमाई 1.87 करोड़ से अधिक की है। एक साल में यह अवैध कमाई का आंकड़ा 22.50 करोड़ तक पहुंच जाता है।
इसलिए फैला भ्रष्टाचार – रजिस्ट्रियों से संबंधित दस्तावेज तहसील में पटवारी के पास भेजे जाते रहे हैं। पटवारी देखकर इंतकाल ऑनलाइन चढ़ाता रहा है। इस कारण इंतकाल चढ़ाने के नाम पर तहसीलों में रिश्वत लेने का बड़ा खेल चल रहा था। जमीनों की रजिस्ट्री होने के बाद जब तक लोग पटवारी से मिलने नहीं आते, तब तक उनकी जमीन का इंतकाल नहीं चढ़ता। इस वजह से लोगों को सही काम कराने के लिए रिश्वत देनी पड़ रही थी।