जम्मू-कश्मीर के राजौरी सैक्टर की सीमा पर पाक सेना से लोहा लेते हुए शहादत का जाम पीने वाले सेना की 2 सिक्ख रैजीमेंट के लांसनायक गुरमेल सिंह का तीसरा श्रद्घांजलि समारोह शहीद की युनिट के सूबेदार सर्वजीत सिंह की अध्यक्षता में गांव अलकड़े में आयोजित हुआ। जिसमें शहीद सैनिक परिवार सुरक्षा परिषद के महासचिव कुंवर रविन्द्र सिंह विक्की बतौर मुख्य मेहमान शामिल हुए।
इनके अलावा शहीद की माता गुरमीत कौर, पिता तरसेम सिंह, पत्नी कुलजीत कौर, बेटी रिपनदीप, भाई हरप्रीत सिंह, बहन दलजीत कौर, पूर्व मंत्री व मौजूदा विधायक विक्रमजीत सिंह मजीठिया के राजनीतिक सलाहकार लखबीर सिंह, पुलवामा हमले के शहीद कांस्टेबल मनिन्द्र सिंह के पिता सतपाल अत्री, शहीद सिपाही जतिन्द्र कुमार के पिता राजेश कुमार, शहीद लांसनायक संदीप सिंह शौर्य चक्र के पिता जगदेव सिंह व माता कुलविन्द्र कौर, शहीद सिपाही रणधीर सिंह के पिता सुखविन्द्र सिंह आदि ने विशेष मेहमान के तौर पर शामिल होकर शहीद को श्रद्घासुमन अर्पित किए।
सर्वप्रथम श्री अखंड पाठ साहिब का भोग डालते हुए रागी जत्थे द्वारा बैरागमयी कीर्तन कर शहीद को नमन किया गया। उसके उपरांत आयोजित श्रद्घांजलि समारोह को संबोधित करते हुए मुख्यातिथि कुंवर रविन्द्र सिंह विक्की ने कहा कि पंजाब शूरवीरों की धरती है, जिसके डी.एन.ए में कुर्बानी का जज्बा भरा पड़ा है। देश की सुरक्षा को जब भी खतरा पैदा हुआ, तब-तब जहां के वीर सैनिकों ने अपने अदम्य साहस का परिचय देते हुए दुश्मन को धूल चटाई है। उन्होंने कहा कि शहीद भगत सिंह, राजगुरु व सुखदेव जैसे आजादी के परवानों ने फांसी के फंदे चूमते हुए अपने बलिदान देकर देश को जो बहुमूल्य आजादी दिलाई है, उस आजादी की गरिमा को बहाल रखते हुए आज भी शहीद लांस नायक गुरमेल सिंह जैसे रणबांकुरे अपने बलिदान दे रहे हैं।
उन्होंने कहा कि शहीदों के परिवार सारे राष्ट्र के परिवार होते हैं, जिन्होंने अपने घरों के चिराग सारे देश को रोशन करने के लिए वतन पर कुर्बान कर दिए हंै। इस मौके पर मुख्यातिथि द्वारा शहीद के परिजनों सहित पांच अन्य शहीद परिवारों को सिरोपे भेंट करके सम्मानित किया तथा गांव के युवाओं ने सभी शहीद परिवारों पर पुष्प वर्षा कर उनका पुष्पित अभिनंदन किया। इस मौके पर सरपंच गुरबेल सिंह, गुरपाल सिंह, विश्वदीप सिंह, प्रभदयाल सिंह, प्रगट सिंह, हवलदार बलवीर सिंह, हवलदार सुखविन्द्र सिंह, सूबेदार मेजर सविन्द्र सिंह, नायब सूबेदार जसविन्द्र सिंह, हरप्रीत सिंह, नवप्रीत सिंह, हरजिन्द्र सिंह, बलजीत सिंह, अवतार सिंह, विशाल सिंह आदि उपस्थित थे।