हमारी लापरवाही कई लोगों की जिंदगी खत्म कर सकती है, चांसलर अंगेला मैर्केल के ऐसे संदेश के साथ जर्मनी में 10 जनवरी तक सख्त लॉकडाउन शुरू हो रहा है. 16 दिसंबर से लागू होने वाली पाबंदियां पहले के मुकाबले कहीं ज्यादा सख्त हैं.
जर्मनी के सभी 16 राज्यों ने जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल के सख्त लॉकडाउन के प्रस्ताव को मान लिया है. प्रांतों के मुख्यमंत्रियों से बातचीत के बाद रविवार को चांसलर मैर्केल ने एलान किया कि बुधवार से ज्यादातर दुकानें, स्कूल, डे केयर सेंटर बंद कर दिए जाएंगे. नई पाबंदियां 10 जनवरी तक लागू रहेंगी. इसका सीधा सा मतलब है कि क्रिसमस का त्योहार और न्यू ईयर जैसा बड़ा इवेंट इस बार पाबंदियों में गुजरेगा.
जर्मनी कोरोना वायरस की दूसरी लहर से गुजर रहा है. इस बार मार्च-अप्रैल के मुकाबले स्थिति कहीं ज्यादा गंभीर है. बीते शुक्रवार को जर्मनी रिकॉर्ड 29,875 मामले सामने आए. यह जर्मनी के लिए 24 घंटे में संक्रमित होने वाले लोगं की सबसे बड़ी संख्या है. जर्मनी के कई शहरों में अस्पतालों की आईसीयू क्षमता 90 से 95 फीसदी भर चुकी है.
शहरों में गश्त लगाते हुए मास्क चेक कर रही है पुलिस
नए लॉकडाउन के गंभीर आर्थिक परिणाम होंगे. क्रिसमस और न्यू ईयर का वक्त आम तौर पर खरीदारी का समय माना जाता है. क्रिसमस और न्यू ईयर की छुट्टियों में लोग बड़ी संख्या में छुट्टी पर होते हैं और यह समय परिवार और दोस्तों के साथ गुजारते हैं. पाबंदियों के चलते ज्यादा से ज्यादा दो परिवारों के पांच लोग ही क्रिसमस साथ मना सकेंगे.
मार्च-अप्रैल में लगाई गई पाबंदियों के दौरान जर्मनी में रात का कर्फ्यू नहीं लगाया गया था. लेकिन इस बार रात में कर्फ्यू लगाने की चर्चा भी हो रही है.
मैर्केल ने अपील किया है कि जो लोग अपने परिवार के साथ क्रिसमस मनाना चाहते हैं, उन्हें एक हफ्ते पहले से खुद को आइसोलेट कर लेना चाहिए.
रविवार को जर्मन चांसलर ने कहा, “जो नए कदम हमने दो नवंबर से लागू किए थे, वे काफी नहीं हैं.”
उन्होंने आगे कहा, “स्वास्थ्य सेवाएं बहुत भारी दबाव में हैं और हमेशा हमारा लक्ष्य रहा है कि हेल्थ केयर सिस्टम को ओवरलोडिंग से बचाया जाए.
नई पाबंदियों के जरिए सबसे पहले संक्रमण की रफ्तार को धीमा किया जाएगा. ऐसा करने पर ही कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग मुमकिन हो सकेगी. सरकारें चाहती हैं कि प्रति एक लाख लोगों में कोरोना वायरस संक्रमण के मामले 50 से ज्यादा ना हों. इस बात से इनकार नहीं किया जा रहा है कि अगर कोरोना काबू में नहीं आया तो नई पाबंदियां 10 जनवरी के बाद भी जारी रह सकती हैं.
लॉकडाउन के एलान से ठीक पहले बाजारों में भारी भीड़ उमड़ी
आर्थिक मोर्चे पर बड़ी चुनौती
दुकानें, व्यापारिक प्रतिष्ठान और कई सेवाएं बंद रहने से होने वाले वित्तीय नुकसान की भरपाई कैसे होगी. यह एक बड़ा सवाल है. ऐसे लाखों लोग हैं जो, रेस्तरां, फूड डिलीवरी, हेयर ड्रेसिंग सैलून, कैफे और पब्स में घंटों की सैलरी के हिसाब से काम करते हैं. फ्रीलांसर के तौर पर काम करने वाले लोग भी बड़ी संख्या में हैं. इन लोगों को भी घर का किराया, महीने के जरूरी बिल, बीमा, और गुजर बसर करने के लिए पैसा चाहिए. कुछ विशेषज्ञों का अनुमान है कि यह रकम 10 से 12 अरब यूरो के बीच है.
जर्मनी और यूरोप के कई देशों के लिए क्रिसमस साल में खरीदारी का सबसे बड़ा मौसम होता है. बहुत से दुकानदार और सामान बनाने वाली कंपनियां इसी मौसम में अपने पूरे साल के लिए व्यापार कर लेती हैं. जाहिर है कि क्रिसमस के मौके पर व्यापार बंद रहने से इन पर बुरा असर होगा. इनमें से कुछ को ऑनलाइन कारोबार से थोड़ी राहत मिल सकती है.
जर्मनी के वित्त मंत्रालय के मुताबिक 16 दिसंबर के लॉकडाउन से प्रभावित होने वाले सेल्फ एंप्लॉएड लोगों, फ्रीलांसरों और कंपनियों को वित्तीय मदद दी जाएगी. ऐसी वित्तीय मदद अधिकतम पांच लाख यूरो होगी.