खुफिया सूत्रों का कहना है कि अतिवादी संगठन आने वाले दिनों में किसानों को हिंसा, आगजनी और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के लिए उकसाने की योजना बना रहे हैं.
किसान आंदोलन में नया विवाद जुड़ गया है। टिकरी बॉर्डर पर प्रदर्शन के दौरान गुरुवार को दिल्ली दंगों के आरोपियों शरजील इमाम, उमर खालिद के पोस्टर दिखाई दिए और इनमें उन्हें रिहा करने की मांग की गई।
नई दिल्ली. नए कृषि कानूनों (Farm law 2020) के विरोध में दिल्ली बॉर्डर पर किसानों का प्रदर्शन (Farmer Protest) दो सप्ताह से चालू है. केंद्र सरकार और किसान संगठनों की कई स्तर की वार्ता हो चुकी है, लेकिन नतीजा कुछ नहीं निकला है. अब अपनी मांगों के लिए किसान संगठनों ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) का दरवाजा खटखटाया है. केंद्र सरकार के अलावा अलग-अलग सुरक्षा एजेंसियों (Security Agencies) की नजर इस आंदोलन पर है. इस बीच खुफिया सूत्रों के हवाले से जानकारी मिल रही है कि अल्ट्रा-लेफ्ट नेताओं और समर्थक वामपंथी चरमपंथी तत्वों ने किसानों के आंदोलन को हाईजैक कर लिया है.
खुफिया सूत्रों का कहना है कि अतिवादी संगठन आने वाले दिनों में किसानों को हिंसा, आगजनी और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के लिए उकसाने की योजना बना रहे हैं.
टिकरी बॉर्डर पर गुरुवार को शारजील इमाम, गौतम नवलखा और उमर खालिद के पोस्टर पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने यह भी कहा कि एमएसपी, एएमपीसी किसानों का मुद्दा हो सकता है, लेकिन इस तरह के पोस्टर और इस तरह के मुद्दे को उठाने का क्या मतलब है. उन्होंने कहा कि कोर इश्यू से मुद्दे को भटकाने के लिए ऐसा किया जा रहा है.
क्या है पूरा विवाद
दरअसल, किसान आंदोलन के बीच गुरुवार को मानवाधिकार दिवस के मौके पर टिकरी बॉर्डर पर प्रदर्शन किया गया. इस दौरान किसानों के मंच पर एक पोस्टर लगाया गया, जिसमें उमर खालिद, शरजील इमाम, गौतम नवलखा, सुधा भारद्वाज, वरवरा राव समेत अन्य लोगों की रिहाई की मांग की गई थी.
आरोप लगाया गया है कि इन सभी को झूठे केसों में अंदर डाला गया है, ऐसे में सरकार को इन्हें तुरंत रिहा करना चाहिए. हालांकि, अन्य किसान नेताओं ने इस पोस्टर की जानकारी होने से इनकार किया. वहीं, भारतीय किसान यूनियन एकता (उगराहां) के नेता झंडा सिंह का कहना है कि ये सिर्फ हमारे संगठन की ओर से पोस्टर लगाए गए थे. ये सभी बुद्धिजीवी हैं और हमारी मांग है कि जिन बुद्धिजीवियों को जेल में डाला गया है, उन्हें रिहा किया जाए.
अगर ऐसे लोग दिखें तो करें कार्रवाईः राकेश टिकैत
खुफिया विभाग की रिपोर्ट पर किसान नेता राकेश टिकैत की प्रतिक्रिया सामने आई है. राकेश टिकैत ने कहा, ‘हमें तो यहां पर ऐसे लोग नजर नहीं आ रहे हैं. फिर भी अगर खुफिया एजेंसियों की निगाहें इस आंदोलन पर है तो वो उन्हें पकड़े वो कर क्या रही है.’ टिकैत ने कहा, ‘हमारी सेंट्रल इंटेलीजेंस इतनी कमजोर नही है, जो इन्हें पकड़ नहीं सकती. जो लोग गलत प्रचार कर रहे है. उन पर एजेंसी निगाहें बनाए रखे.’