कांग्रेस ने 8 दिसंबर को किसानों के द्वारा बुलाए गए भारत बंद का समर्थन करने का एलान किया है और कहा है कि पार्टी के तमाम कार्यकर्ता 8 दिसंबर को जगह-जगह प्रदर्शन करेंगे.
केंद्र सरकार के कृषि कानून के खिलाफ लगातार किसानों का प्रदर्शन बढ़ता ही जा रहा है. शनिवार को केंद्र सरकार और किसानों के बीच पांचवें दौर की बातचीत हुई है. हालांकि, किसानों ने बातचीत से पहले ही 8 दिसंबर को भारत बंद की घोषणा कर दी थी. अब किसानों के भारत बंद को कांग्रेस और बाकी कई पार्टियों ने भी अपना समर्थन दिया है. कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने कहा कि कांग्रेस ने 8 दिसंबर को भारत बंद का समर्थन करने का फैसला किया है.
पार्टी के कार्यालयों पर भी करेंगे प्रदर्शन
उन्होंने कहा कि हम अपने पार्टी कार्यालयों पर भी प्रदर्शन करेंगे. राहुल गांधी का ये कदम किसानों के आंदोलन को और मजबूत करेगा. हम यह सुनिश्चित करेंगे कि प्रदर्शन सफल रहे. बता दें कि दूसरे राज्यों के किसानों ने भी भारत बंद के लिए अपना समर्थन दिया है. कर्नाटक के किसानों ने भी इस आंदोलन के लिए अपना समर्थन जाहिर किया है.
आम आदमी पार्टी ने भी दिया समर्थन
भारत बंद को आम आदमी पार्टी ने भी अपना समर्थन दिया है. पार्टी राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल के आह्वान पर सभी राज्यों में AAP के कार्यकर्ता किसानों के भारत बंद के समर्थन में उतरेंगे. दिल्ली प्रदेश संयोजक गोपाल राय ने कहा, यह लड़ाई किसानों की नहीं, देश की है.
TRS भी भारत बंद के समर्थन में
वहीं दूसरी तरफ टीआरएस ने भी किसानों के समर्थन को 8 दिसंबर को भारत बंद का आह्वान किया है. तेलंगाना राष्ट्र समिति ने रविवार को केंद्र के नए कृषि कानूनों के खिलाफ विभिन्न किसान संगठनों द्वारा 8 दिसंबर को भारत बंद को समर्थन दिया है.
वहीं दूसरी तरफ तमिलनाडु में विपक्षी दलों ने 8 दिसंबर को भारत बंद का समर्थन दिया. DMK, कांग्रेस, CPI (M), CPI, VCK, MDMK और सहयोगी दलों ने किसानों के विरोध को समर्थन दिया है.
केंद्र सरकार को कोई भी संशोधन स्वीकार नहीं
सिंधु बॉर्डर पर पिछले कई दिनों से किसानों ने डेरा डाला हुआ है, अखिल भारतीय किसान सभा के महासचिव हन्नान मोल्लाह ने कहा कि केंद्र सरकार को कोई भी संशोधन स्वीकार नहीं किया जाएगा. इतना ही नहीं उन्होंने आगे कहा कि सरकार इसे पंजाब आंदोलन कह रही है, ये सरकार की साजिश है. किसानों ने दिखाया कि ये आंदोलन पूरे भारत में किया जा रहा है और आगे भी होगा.
बता दें कि प्रदर्शन कर रहे किसानों की मांग है कि इस सरकार नए कृषि कानून को वापस लें, किसानों ने इसे काला कानून करार दिया है. किसान चाहते हैं कि सरकार उन्हें MSP को लेकर ठोस भरोसा दें. बता दें कि सरकार कानून को वापस लेने की किसानों की मांग को मान नहीं रही हैं लेकिन, ऐसा लग रहा है कि किसानों की कुछ मांगों पर सरकार राजी होती दिखाई दे रही हैं.