सुप्रीम कोर्ट ने भारत में कोरोना वायरस संक्रमण के बढ़ते मामलों पर चिंता जताई है। कोर्ट ने कहा है कि जब तक कोरोना की वैक्सीन नहीं आती तब तक नियमों का कड़ाई से पालन होना चाहिए। मास्क का इस्तेमाल और शारीरिक दूरी का सख्ती से पालन जरूरी है, लेकिन इसकी जमीनी हकीकत क्या है? कोर्ट ने कहा कि कड़े उपाय की जरूरत है और केंद्र सरकार को पूरे देश में गाइडलाइन लागू करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने राजकोर्ट के कोरोना अस्पताल में लगी आग पर स्वत: संज्ञान लिया है। इसी मामले की सुनवाई करते हुए यह बात कही। कोर्ट ने गुजरात सरकार से रिपोर्ट भी मांगी है।
राजकोट में एक कोरोना अस्पताल में आग लगने के कारण पांच मरीजों की मौत पर नाराजगी व्यक्त करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जुलूस निकाले जा रहे हैं और 80 फीसदी लोगों ने मास्क नहीं पहन रहे हैं। कईयों के जबड़े पर मास्क लटका रहता है। एसओपी और दिशानिर्देश जाकी किए गए हैं, लेकिन इसके पालन करने को लेकर कोई इच्छाशक्ति नहीं दिख रही है।
कोरोना के मामलों में वृद्धि पर ध्यान देते हुए कहा कि राज्यों को राजनीति से ऊपर उठकर महामारी से निपटने की कोशिश करनी होगी। केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ को आश्वासन दिया कि केंद्रीय गृह सचिव शनिवार तक बैठक बुलाएंगे और पूरे भारत के सरकारी अस्पतालों में अग्नि सुरक्षा पर निर्देश जारी करेंगे। मेहता ने पीठ को बताया कि कोरोना की लहर पहले की तुलना में ज्यादा खतरनाक प्रतीत हो रही है और दस राज्य वर्तमान में कुल पॉजिटिव मामलों में 77 प्रतिशत योगदान दे रहे हैं। पीठ ने माना कि स्थिति से निपटने के लिए सख्त उपायों की आवश्यकता है और मामले की सुनवाई एक दिसंबर तक टाल दी।