क्षेत्रवासियों ने नम आंखों से दी एसआई राकेश को अंतिम विदाई
बीएसएफ की 131 बटालियन के एसआई राकेश कुमार सैनी निवासी अबरोल नगर जो मिजोरम में तैनात थे तथा साथ लगते बांग्लादेश के बॉर्डर पर अपने साथी सैनिकों के साथ मुश्तैदी से पेट्रोलिंग कर रहे थे कि अचानक उनकी छात्ती में तेज दर्द हुआ और हृदय गति रुकने से वह अपनी ड्यूटी को तनदेही से निभाते हुए शहादत का जाम पी गए। जिनका अबरोल नगर के श्मशानघाट में पूरे सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार कर दिया गया।
माधोपुर से आई 121 बटालियन की सैन्य टुकड़ी ने हवा में गोलियां दागते हुए बिगुल की मातमी धुन से शस्त्र उल्टे कर शहीद को सलामी दी। इससे पहले शहीद एसआई राकेश कुमार की पार्थिव देह को मिजोरम से एअरलिफ्ट कर अमृतसर लाया गया, जहां से 73 बटालियन अजनाला के इंस्पेक्टर ओमप्रकाश के नेतृत्व में बीएसएफ के वाहन से तिरंगे में लिपटी शहीद की पार्थिव देह को जब उनके घर अबरोल नगर लाया गया, तो माहौल अत्यंत गमगीन हो गया। शहीद की पत्नी अंजू बाला व बेटी रिद्धिमा की करुणामयी सिसकियां पत्थरों का कलेजा भी छलनी कर रही थी। इस मौके पर शहीद एसआई राकेश सैनी की युनिट 131 बटालियन के सहायक कमांडेंट राजेश कुमार यादव, शहीद सैनिक परिवार सुरक्षा परिषद के अध्यक्ष कर्नल सागर सिंह सलारिया, महासचिव कुंवर रविंदर सिंह वक्की, बीएसएफ की 121 बटालियन के इंस्पेक्टर कर्म देव सिंह, थाना प्रभारी मंदीप सलगोत्रा, पार्षद ठाकुर बलवान सिंह मन्हास, पार्षद अनीता ठाकुर व उनके पति ठा. चरणजीत सिंह हैपी, कैप्टन घनश्याम कटोच ठाकुर, जोगिंदर सिंह गोरा, राजपूत सभा अबरोल नगर के महासचिव रविंदर ठाकुर, शहीद सिपाही मक्खन सिंह के पिता हंस राज ने रीथ चढ़ाकर शहीद को सलामी दी। शहीद की चिता को मुखाग्नि जब उनके 20 वर्षीय बेटे अनुराग सैनी ने दिखाई तो सारा शमशानघाट शहीद एसआई राकेश कुमार अमर रहे, भारत माता की जय के जयघोष से गूंज उठा। इसे भाग्य की विडम्बना कहें कि एसआई राकेश कुमार सैनी की छुट्टी मंजूर हो चुकी थी तथा उसने आज ही घर पहुंचना था। राकेश घर पहुंचे तो जरुर मगर डयूटी को प्राथमिकता देकर तिरंगे में लिपटे हुए। शहीद की पत्नी अंजू बाला, बेटी रिद्धिमा सैनी व बेटे अनुराग सैनी ने तिरंगे में लिपटी एसआई राकेश की पार्थिव देह को सैल्यूट करते हुए नम अंखों से बताया कि वह बेसब्री से उनके आने का इंतजार कर रहे थे। मगर वह एक शहीद के रुप में घर पहुंचेगे, यह उन्होंने सपने में भी नहीं सोचा था। उनके चले जाने से परिवार पर जो दुखों का पहाड़ टूटा है, शायद ही वह इस सदमे से कभी ऊबर पाएंगे। इस मौके पर शहीद के भाई राजेश सैनी व राजीव सैनी, कुलदीप सैनी, रिटा. डीईओ रविंदर शर्मा, शैलेन्द्र शर्मा, तेजिंदर सिंह, नवीन सिंह, दिनेश्वर सिंह, राजिंदर सिंह, एचसी उमेश कुमार व हरलाल सिंह आदि उपस्थित थे।