दिल्ली में एक नवंबर से 16 नवंबर के बीच कोरोना वायरस के एक लाख से अधिक नये मामले दर्ज किये गये और करीब 1,200 संक्रमितों की मौत हुई है,
दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने सोमवार को कोरोना को लेकर कई जरूरी बातें कही। उन्होंने कहा कि प्रदेश में कोरोना की तीसरी लहर का पीक निकल चुका है। बढ़ते मामलों के बीच प्रदेश में दोबारा लॉकडाउन लगाए जाने की आशंकाओं को नकारते हुए उन्होंने कहा, ‘जब लॉकडाउन किया गया था तो हम सीखने की प्रक्रिया में थे। उस लॉकडाउन से जो सीख मिली, उसका फायदा लेना है, वो मास्क से भी लिया जा सकता है। इसलिए लॉकडाउन का कोई चांस नहीं है।’
दिल्ली सरकार की तरफ से इस बात को कहे 24 घंटे भी पूरे नहीं हुए थे कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने प्रेस वार्ता करते हुए इन सभी बातों को खारिज कर दिया। मंगलवार को उन्होंने कहा कि प्रदेश में कोरोना के मामले अगर इसी तेजी से बढ़ते रहे तो शहर के कई प्रमुख बाजार दोबारा बंद किए जा सकते हैं। इसके साथ ही शादी समारोह जैसे आयोजनों में जहां दो सौ लोगों तक को शामिल होने की अनुमति दी गई थी, वहीं अब इसे घटाकर केवल 50 लोगों तक ही सीमित किया जा रहा है।
दिल्ली सरकार को यह फैसला लेने की जरूरत क्यों पड़ी, इसे कुछ आंकड़ों से समझा जा सकता है। अक्टूबर महीने में अंत में दिल्ली में कुल 3113 कंटेनमेंट जोन थे। लेकिन, बीते एक पखवाड़े में ही यह संख्या 4430 हो गई है। यानी सिर्फ दो हफ्तों में ही करीब 1317 नए कंटेनमेंट जोन बनाने पड़े हैं।
यह इसलिए कि बीते दिनों में दिल्ली में प्रतिदिन कोरोना से सात-आठ हजार नए मामले सामने आए हैं। प्रदेश में जिस तेजी से कोरोना के मामले बढ़े हैं, उसी तेजी से अस्पतालों में उपलब्ध बेड की संख्या कम हुई है। विशेषतौर से आईसीयू वाले बेड बेहद कम बचे हैं और दिल्ली सरकार के लिए यही सबसे बड़ी चिंता की बात है।
दिल्ली में कोविड से निपटने के लिए जांच क्षमता दोगुनी करने समेत कई फैसले लिए गए: केंद्र
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने मंगलवार को कहा कि दिल्ली में कोरोना वायरस संक्रमण के मामलों में वृद्धि से निपटने के लिए कोविड-19 के लिए जांच क्षमता दोगुनी बढ़ाकर प्रति दिन एक लाख से 1.2 लाख तक करने और आईसीयू बेड बढ़ाकर 6,000 से अधिक करने समेत कई फैसले लिए गए हैं.
मंत्रालय ने कहा कि निरूद्ध क्षेत्रों और अन्य संवेदनशील इलाकों में उपचाराधीन मरीजों की घर-घर निगरानी बढ़ाने का भी निर्णय लिया गया है, जिसके लिए 7,000-8,000 टीमों को इस काम में लगाया जाएगा. वर्तमान में इसके लिए 3,000 टीमें हैं.