भाई व बहन के प्यार को समर्पित पर्व भाई दूज इस बार 16 नवंबर यानि कि सोमवार को है. कहते हैं इस दिन बहने अपने भाई के माथे पर टीका लगाकर उनकी लंबी उम्र, दोनों के बीच अटूट प्यार व भाई की हर क्षेत्र में सफलता की कामना करती है. और बदले में भाई बहन पर लुटाता है अपना ढेर सारा प्यार. वहीं अगर ये टीका शुभ घड़ी में किया जाए तो अत्यंत शुभ फलों की प्राप्ति की जा सकती है.
यह है भाई दूज 2020 का शुभ मुहूर्त
इस बार भाई दूज का शुभ मुहूर्त है दोपहर 12.56 बजे से लेकर 03.06 बजे तक. यानि इस शुभ समय में. यानि करीब 2 घंटों के इस शुभ मुहूर्त में भाई को टीका करने से काफी शुभ होगा.
क्यों मनाया जाता है भाई दूज का पर्व
कहते हैं यम और यमुना के बीच भाई-बहन का रिश्ता था. बहन यमुना ने कई बार अपने भाई से उसके घर आने का आग्रह किया लेकिन कई सालों तक यम अपनी बहन यमुना ने मिल ना सके. लेकिन आखिरकार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को यमराज अपनी बहन यमुना से मिलने पहुंचे थे. जिससे यमुना बहुत ही प्रसन्न हुई और अपने भाई की खूब आवभगत की. उन्हें खाना खिलाया और सेवा की. इससे यम बहुत प्रसन्न हुए और यमुना से वरदान मांगने को कहा.
भाई दूज कथा-
भगवान सूर्य नारायण की पत्नी का नाम छाया था। उनकी कोख से यमराज तथा यमुना का जन्म हुआ था। यमुना यमराज से बड़ा स्नेह करती थी। वह उससे बराबर निवेदन करती कि इष्ट मित्रों सहित उसके घर आकर भोजन करो। अपने कार्य में व्यस्त यमराज बात को टालता रहा। कार्तिक शुक्ला का दिन आया। यमुना ने उस दिन फिर यमराज को भोजन के लिए निमंत्रण देकर, उसे अपने घर आने के लिए वचनबद्ध कर लिया।
यमराज ने सोचा कि मैं तो प्राणों को हरने वाला हूं। मुझे कोई भी अपने घर नहीं बुलाना चाहता। बहन जिस सद्भावना से मुझे बुला रही है, उसका पालन करना मेरा धर्म है। बहन के घर आते समय यमराज ने नरक निवास करने वाले जीवों को मुक्त कर दिया। यमराज को अपने घर आया देखकर यमुना की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। उसने स्नान कर पूजन करके व्यंजन परोसकर भोजन कराया। यमुना द्वारा किए गए आतिथ्य से यमराज ने प्रसन्न होकर बहन को वर मांगने का आदेश दिया।
यमुना ने कहा कि भद्र! आप प्रति वर्ष इसी दिन मेरे घर आया करो। मेरी तरह जो बहन इस दिन अपने भाई को आदर सत्कार करके टीका करें, उसे तुम्हारा भय न रहे। यमराज ने तथास्तु कहकर यमुना को अमूल्य वस्त्राभूषण देकर यमलोक की राह की। इसी दिन से पर्व की परम्परा बनी। ऐसी मान्यता है कि जो आतिथ्य स्वीकार करते हैं, उन्हें यम का भय नहीं रहता। इसीलिए भैयादूज को यमराज तथा यमुना का पूजन किया जाता है।
यमुना के वरदान से ही शुरु हुई प्रथा
तब बहन यमुना ने अपने भाई से कहा कि आप इसी तरह हर वर्ष इसी तिथि पर घर आना. और इस दिन जो भी बहनें मेरी तरह अपने भाईयों का आदर सत्कार कर टीका करती है उन्हें भी कभी यम यानि कि तुम्हारा भय नहीं रहे. तब यम ने तथास्तु कहते हुए इस वरदान को सार्थक किया था. और इसीलिए आज भी यह परंपरा कायम है. आज भी बहनें इस दिन अपने भाईयों को टीका लगाकर उन्हें सूखा गोला व वस्त्र देती हैं. तो वहीं भाई भी बदले में उपहार देकर अपना प्यार व स्नेह प्रकट करता है. वहीं इस दिन विशेष रूप से यमराज व यमुना का पूजन भी किया जाता है.