महामारी के दौर में कई युवा या तो फेरीवाले बन गए हैं या कई अपने हुनर को दफन कर कोई पेशा चुनने को विवश हो गए हैं। ऐसा ही एक उदाहरण पटेल नगर निवासी सागर सोढी हैं। इस गायक के जीवन के सुर ही बदल गए। यह सोढी गायकी छोड़ कर आटो चलाकर अपने परिवार का भरण पोषण कर रहा हैं। सागर सोढी अपनी जिदगी का निर्वाह सुर-संगीत से थे। इस कला से वह अपनी पत्नी और छह महीने के बच्चे का गुजर बसर बड़े आराम से कर रहे थे, लेकिन कोरोना संकट ने उनके हाथों में गिटार की जगह सागर का कहना है कि यह मुश्किल फैसला था। क्योंकि, अभी तक तो उनकी अंगुलियां गिटार तारों पर फिसलती थीं। पैसे की कमी पहले ही थी। लाइसेंस से लेकर आटो खरीदने के लिए पैसे चाहिए। लेकिन कोई और चारा भी नहीं था। बैंक से कर्ज लेकर यह आटो खरीदा है और जब तक हालात सामान्य नहीं होते तब तक इस तरह से गुजारा करेंगे। बच्चों को संगीत सिखाकर महीने में लगभग 30 हजार रुपये कमा लेते थे। सागर को पठानकोट में शिक्षण संस्थान गेस्ट लेक्चरर के रूप में बुलाते थे, वह बच्चों को संगीत व गिटार का हुनर सिखाते थे। इसके साथ ही धार्मिक कार्यक्रमों व सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भी उन्हें अच्छा काम मिलता था।
सागर का कहना है कि यह मुश्किल फैसला था। क्योंकि, अभी तक तो उनकी अंगुलियां गिटार तारों पर फिसलती थीं। पैसे की कमी पहले ही थी। लाइसेंस से लेकर आटो खरीदने के लिए पैसे चाहिए। लेकिन कोई और चारा भी नहीं था। बैंक से कर्ज लेकर यह आटो खरीदा है और जब तक हालात सामान्य नहीं होते तब तक इस तरह से गुजारा करेंगे। बच्चों को संगीत सिखाकर महीने में लगभग 30 हजार रुपये कमा लेते थे। सागर को पठानकोट में शिक्षण संस्थान गेस्ट लेक्चरर के रूप में बुलाते थे, वह बच्चों को संगीत व गिटार का हुनर सिखाते थे। इसके साथ ही धार्मिक कार्यक्रमों व सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भी उन्हें अच्छा काम मिलता था।