वर्षो से अबैध रूप में चल रहे तीनो क्रेशर को आज तक खनन बिभाग क्यो नही करवा सका सीज
खनन बिभाग की मिलीभगत का लगाया जा रहा है अंदेशा
सुप्रीम कोर्ट ब नेशनल ग्रीन टिवयुनल के आदेश के बाबजूद भी उपमंडल इंदौरा में खनन माफिया नियमों को ताक पर रखकर धड़ले से अबैध खनन को अंजाम दे रहा है। सब कुछ जानते हुए भी सरकारी तंत्र अंजान बन कर बैठा है । ओर सख्त कारबाई का हबाला देते हुए कभी टिप्परों ओर जेसीवी मशीनों के चालान काटकर अपना पला झाड़ लेता है ओर आज तक कोई भी पक्की कार्यबाही। इन पर नही हुई है।थानां इन्दौरा ओर पुलिस चौकी ठाकुरद्वारा के अधीन पड़ता मिलवां गाँव जोकी जम्मू जालंधर राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित है। मिलबा राष्ट्रीय राजमार्ग के किनारे लगे तीनों निजी क्रेशर उद्योग जोकी खनन बिभाग की औपचारिकताए पूरी न करने के चलते बिभाग के कागजो में वर्षो से पूरी तरह बंद होने के बाबजूद भी यह तीनों क्रेशर सरेआम दिन रात चल रहे है ओर हिमाचल के राजस्व में दिन रात लाखों रुपए का घाटा डाल रहे है।इन तीनों क्रेशर उद्योगों के मालिको के हौसले इतने बुलंद है कि किसी भी बिभागीय कार्यबाही का इन्हें कोई डर नही है।ओर सरकारी तंत्र सब कुछ जानते हुए भी कोई बड़ी कार्यबाही इन पर आज तक नही कर पाया है ।अगर कभी कभार इन क्रेशर उद्योगों के अबैध खनन की खबर समाचार पत्रों में छपती है तो खनन बिभाग नामात्र चालान काटकर अपना पल्ला झाड़कर फिर कुम्भकर्णी नींद सो जाता है। यह तीनों स्टोन क्रेशर कई वर्षों से बिभाग के कागजो में बंद पड़े हुए है। परंतु धरातल पर यह एक दिन भी बंद नही दिखे है और क्षेत्र में कई जगहों से अबैध खनन कर अपने अपने क्रेशर पर कच्चे मटीरियल के ढेर लगाकर दिन रात मटीरियल तैयार कर पंजाब में सप्लाई कर चांदी कूट रहे है।अब तो यह तीनों क्रेशर उद्योग पंजाब एरिया से अबैध खनन करके कच्चा मटीरियल अपने क्रेशरो पर जे जाकर मटीरियल तैयार कर रहे है। अब देखने बाली बात यह है कि आखिर खनन बिभाग इनको आज तक पूरी तरह से सीज क्यो नही करवा पाया है और कागजो में बंद होने के चलते इनके बिजली के कुनेक्शन क्यों नही कटवाए गए है ओर जब यह क्रेशर बिभाग के कागजो में बंद है तो खनन अधिकारी इन क्रेशरो पर आकर चालान किस चीज का काटकर जाते है। यह उद्योग क्रेशर मटीरियल पंजाब में भेजते समय कौन सा पक्का बिल काटकर गाड़ियों को पंजाब में भेज रहे है।
अगर खनन बिभाग को इसकी सूचना दी जाती है तो उसी बक्त बिभाग को सूचना देने बाले व्यक्ति को क्रेशर मालिको का फोन आ जाता है और उनके द्वारा बोला जाता है कि आपने हमारे क्रेशर उद्योग की शिकायत खनन अधिकारी को कर दी है। अब देखने बाली बात यह है कि शिकायत खनन बिभाग को की जाती है जोकी यह बात मात्र खनन अधिकारी और शिकायतकर्ता के बीच तक सीमित है और तुरंत कुछ ही मिनटों के बाद क्रेशर मालिको को कैसे पता चल जाता है कि किसने शिकायत की है।और जब भी अधिकारी अपने कार्यलयों से चलते है तो उसकी सूचना पहले ही क्रेशर उद्योग तक पहुँच जाती है और लोक दिखावे के लिए क्रेशर कुछ घण्टो तक बन्द कर दिए जाते है। सोमबार को भी खनन अधिकारी द्वारा मात्र एक ही क्रेशर पर नरीक्षण कर 30 हजार का चालान काटा गया जबकी इस क्रेशर से मात्र 400 मीटर की दूरी पर दो अन्य क्रेशर भी थे जोकी मोके पर चल रहे थे और खनन अधिकारी ने उन क्रेशरो तक जाना ठीक नही समझा और बही से एक छोटा सा चालान काटकर चलते बने।
इससे तो यही अंदाजा लगाया जा रहा है कि खनन बिभाग ओर प्रशाशन की मिलीभगत से ही यह वर्षो से कागजो में बंद पड़े क्रेशर उद्योग सरेआम धड़ल्ले से चल रहे है। इससे तो कहाबत सिद्ध होती है कि यहाँ दाल में कुछ काला नही बल्कि पूरी दाल ही काली है । इस संबंध में खनन अधिकारी नूरपुर नीरज कांत से बात की गई तो उन्होने कहा के मिलवां में लगे तीनों क्रेशर बिभाग के कागजो में बंद है। कल एक क्रेशर पर जाकर औचक नरीक्षण किया गया है और उस क्रेशर को मौके ओर 30 हजार रुपये जुर्माना किया गया है।