नवरात्रि का पर्व आरंभ होते हैं शुभ कार्यों की भी शुरूआत हो जाएगी. मलमास में शुभ कार्यों को वर्जित माना गया है. मलमास में शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं. लेकिन नवरात्रि आरंभ होते ही नई वस्तुओं की खरीद, मुंडन कार्य, ग्रह प्रवेश जैसे शुभ कार्य आरंभ हो जाएंगे। लेकिन शादी विवाह देवउठनी एकादशी तिथि के बाद ही आरंभ होंगे. नवरात्रि में देरी के कारण इस बार दीपावली 14 नवंबर को मनाई जाएगी।
नवरात्रि का पर्व 17 अक्टूबर 2020 से आरंभ हो रहा है. पंचांग के अनुसार इस दिन आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि है. इस दिन चंद्रमा तुला राशि और सूर्य कन्या राशि में रहेगा. प्रतिपदा की तिथि को ही घटस्थापना की जाएगी. इसे कलश स्थापना भी कहा जाता है. मान्यता है कि नवरात्रि में घटस्थापना शुभ मुहूर्त में विधि पूर्वक करनी चाहिए. घटस्थापना का संबंध भगवान गणेश से है.
नवरात्रि में घटस्थापना का मुहूर्त
प्रतिपदा तिथि का आरंभ: 17 अक्टूबर को 01: 00 एएम
प्रतिपदा तिथि का समापन: 17 को 09:08 पीएम
17 अक्टूबर को घट स्थापना मुहूर्त का समय: प्रात:काल 06:27 बजे से 10:13 बजे तक
नवरात्रि में देवी पूजन
17 अक्टूबर: मां शैलपुत्री पूजा, घटस्थापना
18 अक्टूबर: मां ब्रह्मचारिणी पूजा
19 अक्टूबर: मां चंद्रघंटा पूजा
20 अक्टूबर: मां कुष्मांडा पूजा
21 अक्टूबर: मां स्कंदमाता पूजा
22 अक्टूबर: षष्ठी मां कात्यायनी पूजा
23 अक्टूबर: मां कालरात्रि पूजा
24 अक्टूबर: मां महागौरी दुर्गा पूजा
25 अक्टूबर: मां सिद्धिदात्री पूजा
नवरात्रि के प्रथम दिन मां शैलपुत्री की होती है पूजा
शैलपुत्री देवी की पूजा नवरात्रि के पहले दिन करने का विधान है. शैलपुत्री मां पार्वती का एक रूप माना जाता है. ये हिमालय राज की पुत्री हैं और नंदी की सवारी करती हैं. मां शैलपुत्री के दाहिने हाथ में त्रिशूल और बायें हाथ में कमल का फूल है. नवरात्रि के पहले दिन लाल रंग का विशेष महत्व बताया गया है. जो साहस, शक्ति और कर्म का प्रतीक है.
नवरात्रि पूजा विधि
नवरात्रि के व्रत और पूजा में विधि औश्र नियम का विशेष महत्व माना गया है. पूजा विधि के अनुसार प्रतिपदा तिथि को ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करें. इसके बाद घर के ही किसी पवित्र स्थान पर मिट्टी से वेदी का निर्माण करें. इस वेदी में जौ और गेहूं दोनों को मिलाकर बोएं. फिर पृथ्वी का पूजन कर वहां किसी चांदी, तांबे या मिट्टी का कलश स्थापित करें. इसके बाद गणेश पूजन करें और गणेश आरती का पाठ करें.
जानें कलश स्थापना की विधि
सुबह स्नान कर साफ सुथरें कपड़े पहने, इसके बाद एक पात्र लें. उसमें मिट्टी की एक मोटी परत बिछाएं. फिर जौ के बीज डालकर उसमें मिट्टी डालें. इस पात्र को मिट्टी से भरें. इसमें इतनी जगह जरूर रखें कि पानी डाला जा सके. फिर इसमें थोड़े-से पानी का छिड़काव करें.
घट स्थापना का शुभ मुहूर्त
नवरात्रि का पर्व 17 अक्टूबर से शुरू हो रहा है. पंचांग के अनुसार इस दिन आश्चिन मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि रहेगी. इस दिन घट स्थापना मुहूर्त का समय सुबह 06 बजकर 27 मिनट से 10 बजकर 13 मिनट तक रहेगा. घटस्थापना के लिए अभिजित मुहूर्त सुबह 11बजकर 44 मिनट से 12 बजकर 29 मिनट तक रहेगा.
पूजा की सामग्री की लिस्ट
लाल चुनरी, लाल वस्त्र, श्रृंगार का सामान, दीपक, घी/ तेल, धूप और अगरबत्ती, माचिस, चौकी, चौकी के लिए लाल कपड़ा, नारियल, कलश, चावल, कुमकुम, फूल, फूलों का हार, देवी की प्रतिमा या फोटो, पान, सुपारी, लाल झंडा, लौंग-इलायची, बताशे, कपूर, उपले, फल-मिठाई, कलावा और मेवे.
मां के 9 स्वरूपों की होती है पूजा
नवरात्रि में शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धदात्री की पूजा की जाती है. ये सभी मां के नौ स्वरूप माना जो हैं. प्रथम दिन घटस्थापना होती है. शैलपुत्री को प्रथम देवी के रूप में पूजा जाता है. 9 दिनों तक चलने वाले इस पर्व में व्रत और पूजा का विशेष महत्व बताया गया है.