शिअद के बिना छह नगर निगमों सहित 122 काउंसिल पर अक्तूबर में होने हैं चुनाव
केंद्र से भी निकाय चुनाव को लेकर रणनीति बनाने को मिल चुकी है नेताओं को हरी झंडी
अकाली दल से गठजोड़ टूटने के बाद भाजपा ने पंजाब में अकेले वर्ष 2022 के विधानसभा चुनावों की रणनीति बनानी शुरू की दी है। आज चंडीगढ़ में पार्टी की पंजाब इकाई की कोर कमेटी की बैठक में प्रांतीय अध्यक्ष अश्वनी शर्मा की प्रविष्टि में हुई। बैठक में राज्य के प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में कार्यकर्ताओं को सक्रिय होने के लिए कहा गया है। इसकी पुष्टि कोर कमेटी के सदस्य मदन मोहन मित्तल ने की।
छह नगर निगमों सहित 122 काउंसिल पर अक्तूबर में होने हैं चुनाव
अक्तूबर या नवंबर में होने वाले निकाय चुनाव के परिणाम 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव में पंजाब के रुख को भी बताएंगे। आंकड़ों की यदि हम बात करें तो सूबे की कुल आबादी 27743338 में से 10399146 लोग शहरी क्षेत्रों में निवास करते हैं। अभी तक के हुए चुनावों में यह बात सामने आई है कि भाजपा का अधिकांश कैडर वोट शहरी क्षेत्रों में निवास करता है। इसके साथ ही पंजाब की हिंदू आबादी लगभग 6282072 के करीब शहरी क्षेत्रों में ही रह रही है। कुल हिंदू आबादी का लगभग 70 फीसदी वोट भाजपा के ही खाते में जाता है।
शिअद के साथ नाता टूटने के बाद भाजपा नेता इसे अवसर के रूप में देख रहे हैं। पंजाब में छह निगमों सहित 122 काउंसिल हैं। इधर प्रदेश के भाजपा नेताओं का मानना है कि गठबंधन टूटने के बाद अब उनके पास उन इलाकों में जाने का मौका आ गया है, जहां अभी तक वह गए ही नहीं हैं। हालांकि नई जगह जड़ें जमाना आसान नहीं होगा, लेकिन अब मेहनत पर निर्भर करेगा कि इन जगहों पर अपनी जड़ें कितनी जल्दी जमा पाते हैं। केंद्र से भी निकाय चुनाव को लेकर हरी झंडी मिल चुकी है, जिसके बाद प्रदेश स्तर पर रणनीति बनाकर स्थानीय निकाय चुनाव की तैयारी शुरू कर दी गई हैं।
अकाली दल के साथ गठजोड़ में भाजपा पंजाब में 117 सीटों में से 23 पर चुनाव लड़ती थी।
पंजाब भाजपा की कोर ग्रुप की बैठक में प्रांतीय अध्यक्ष अश्वनी शर्मा के अतिरिक्त राष्ट्रीय महासचिव तरुण चुघ, मदन मोहन मित्तल, अविनाश राय खन्ना, श्वेत मलिक, विजय सांपला, ब्रिज लाल रथवा, मनोरंजन कालिया, प्रो रजिन्दर भंदरी, तीक्ष्ण सूद, जीवन गुप्ता, जीवन गुप्ता, डॉ। सुभाष शर्मा और मलविंदर सिंह कंग भी शामिल थे। कोर कमेटी की बैठक में शर्मा ने कहा कि पंजाब भाजपा का मत है कि शिरोमणि अकाली दल का एनडीए से अलग होना बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है। भाजपा ने हमेशा एनडीए के घटक दलों का सम्मान किया है। पंजाब में भी भाजपा ने हमेशा पंजाब की शांति व भाईचारे के लिए अकाली दल के साथ गठबंधन धर्म निभाया है। अब जिन मुद्दों को लेकर अकाली दल ने नाता तोड़ा है, भाजपा उन पर अकाली दल से सहमत नहीं है। भाजपा पंजाब का अब दृढ़ मत है कि मोदी सरकार द्वारा पारित किए गए कृषि क़ानून किसानों के हित मे हैं। भाजपा ने इन क़ानूनों के बारे में लगातार शिरोमणि अकाली दल के साथ विचार-विमर्श किया है। पिछले तीन महीनों के दौरान इन क़ानूनों के बारे में जो भी सवाल अकाली दल ने उठाए, केंद्र सरकार ने उन सब के जवाब दिए। भाजपा पंजाब का मानना है कि अब आखिरी मौके पर अकाली दल का विरोध करना राजनीतिक मकसद सिद्ध करने के लिए है।
उन्होंने कहा कि मोदी सरकार द्वारा किसानों के हित में पिछले 6 साल में किए गए कार्य बेमिसाल हैं। स्वामीनाथन कमेटी की रिपोर्ट को लागू करते हुए किसानों को लागत मूल्य से डेढ़ गुना शैलपी देना, सरकारी खरीद में हर साल रिकॉर्ड उठाना, 11 करोड़ किसानों के खातों में बिल्कुल हर साल 6000 रुपए भेजना, नीम कोटेड यूरिया की आपूर्ति सुनिश्चित करना, किसान क्रेडिट कार्ड की व्यवस्था को मजबूत बनाना और गांवों के इन्फ्रास्ट्रक्चर के लिए डेढ़ लाख करोड़ रुपये का फंड जारी करना सहित अनेकों कदम उठाए गए हैं। अजेशनी शर्मा ने कहा कि यह दुख की बात है कि अकाली दल आज पंजाब मे गुमराहपूर्ण प्रचार कर रही है और आम है। आदमी पार्टी के साथ खड़ी दिखाई दे रही है। पंजाब भाजपा पंजाब के किसानों को विश्वास दिलाती है कि जीएमपी थी, सीपीपी है और एमएसपी रहेगी।
पंजाब भाजपा किसानों और किसान संगठनों से अपील करती है कि वह आंदोलन का रास्ता छोड़ कर बातचीत के लिए आगे आएं।