बीजेपी (BJP) पार्टी अध्यक्ष जे पी नड्डा (JP Nadda) ने शनिवार को संगठन में बड़े फेरबदल करते हुए पदाधिकारियों की नई लिस्ट जारी की है. बीजेपी की नई टीम में इस बार महिलाओं और युवाओं को जगह मिली है. साथ ही किसी न किसी रूप में अधिकतर राज्यों को प्रतिनिधित्व देने की कोशिश भी की गई है.
पार्टी ने पहली बार 12 उपाध्यक्षों के नाम की घोषणा की है. इसमें छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह और राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को उपाध्यक्ष पद पर बरकरार रखा गया है. माना जा रहा था कि राजस्थान में पिछले दिनों जो सियासी घटनाक्रम घटा था, उसमें वसुंधरा की भूमिका से नेतृत्व बहुत खुश नहीं रहा. लेकिन उनके कद और प्रदेश में वर्चस्व को देखते हुए उपाध्यक्ष पद पर फिर से रखा गया है.
उसी तरह झारखंड में बाबूलाल मरांडी को एक तरह से फ्री हैंड देने के लिए रघुबर दास को उपाध्यक्ष बनाया गया है. प्रदेश के दूसरे कद्दावर नेता अर्जुन मुंडा केंद्र में मंत्री हैं. पूर्व कृषि मंत्री राधामोहन सिंह को भी केंद्रीय संगठन में जगह मिल गई है. उन्हें उपाध्यक्ष बनाया गया है. ये साफ है कि उनकी फिलहाल केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिलने वाली. बंगाल में तृणमूल कांग्रेस से मोर्चा लेने में अग्रणी भूमिका निभा रहे मुकुल रॉय को भी उपाध्यक्ष बनाकर उनका कद बढ़ाया गया है.
इसी तरह ओडिशा में नवीन पटनायक के कभी काफी करीबी रहे जय पांडा को उपाध्यक्ष बनाया गया है. यानी ओडिशा में पार्टी को मजबूत बनाने में धर्मेंद्र प्रधान और जोएल ओरांव के अलावा जय पांडा की भी भूमिका काफी महत्वपूर्ण होगी. उपाध्यक्षों में झारखंड से सांसद अन्नपूर्णा देवी को भी जगह मिली है. अन्नपूर्णा देवी कभी लालू यादव के करीबी रही थीं.
इन नेताओं की उपाध्यक्ष पद से हुई विदाई
उपाध्यक्षों में खास बात ये भी रही कि कई कद्दावर नेताओं की विदाई हो गई है. उमा भारती, प्रभात झा, विनय सहस्त्रबुद्धे, रेणु देवी, ओम माथुर, श्याम जाजू, अविनाश राय खन्ना को उपाध्यक्ष पद पर नहीं रखा गया. शिवराज सिंह चौहान को मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री बनने के कारण इस पद से हटा दिया गया है. शिवराज पार्टी संसदीय बोर्ड के सदस्य हैं.
महासचिव पद पर हुआ बड़ा उलटफेर
जहां तक शक्तिशाली महासचिव पद की बात करें तो वहां बहुत उलटफेर हुआ है. केवल 4 ही महासचिव अपना पद बरकरार रखने में सफल हुए है. भूपेंद्र यादव, जिनके बारे में माना जा रहा था कि उनको मोदी मंत्रिमंडल में जगह मिलेगी, वे महासचिव बने रहेंगे. यानी फिलहाल वे संगठन में ही काम करेंगे ये तय हो गया है. हालांकि कयास लगाया जा रहा है उनको पार्टी के सर्वोच्च निर्णायक बॉडी यानी संसदीय बोर्ड में भी लिया जा सकता है. जहां वे सदस्य के साथ-साथ सचिव की भी भूमिका निभाए.
शाह के साथ नड्डा के भी खास बने अरुण सिंह
इसके साथ ही कैलाश विजयवर्गीय महासचिव बने रहेंगे. इनके अलावा राज्य सभा सांसद अरुण सिंह भी महासचिव बने रहेंगे. अरुण सिंह कार्यालय प्रभारी पद पर भी बने रहेंगे. ऐसी चर्चा है कि अरुण सिंह अब पूर्व अध्यक्ष अमित शाह के साथ-साथ मौजूदा अध्यक्ष जे पी नड्डा के भी विश्वासपात्र बन गए हैं. हालांकि संगठन महासचिव और सह संगठन पदाधिकारियों के नाम में कोई बदलाव नहीं हुआ है. वैसे भी ये पद संघ से जुड़ा माना जाता है. यानी बी एल संतोष, सौदान सिंह, शिव प्रकाश और वी सतीश अपने अपने पदों पर बने रहेंगे.
इन नेताओं की हुई तरक्की
जिनकी तरक्की हुई है उनमें पंजाब के तरुण चुग का नाम लिया जा सकता है. उसी तरह से हरियाणा से राज्य सभा से सांसद बने दुष्यंत गौतम को भी महासचिव बनाया गया है. पुरुन्देश्वरी, कर्नाटक में विधायक सीटी रवि और असम के सांसद दिलीप सैकिया पहली बार महासचिव बने हैं. लेकिन जिन हाई प्रोफाइल महासचिवों की विदाई हुई है, वो काफी उल्लेखनीय है.
इन नेताओं को पद से हटाया गया
जम्मू और कश्मीर के साथ-साथ उत्तर पूर्व के प्रभारी रहे राम माधव को महासचिव से हटा दिया गया है. माना जा रहा है कि कद्दावर राम माधव को मोदी मंत्रिमंडल में जगह मिल सकती है. उसी तरह एक बड़ा चेहरा मुरलीधर राव की महासचिव पद से विदाई भी काफी महत्वपूर्ण है. हो सकता है कि संघ या संगठन में उनके लिये कोई और भूमिका निर्धारित की गई होगी. एक और महत्वपूर्ण महासचिव अनिल जैन का हटाया जाना भी आश्चर्यजनक ही है. हरियाणा के प्रभारी अनिल जैन को अमित शाह का काफी करीबी माना जाता है. एक और खास बात रही है नड्डा की टीम में. और वो है पहली बार आधिकारिक तौर पर 23 प्रवक्ताओं की भारी भरकम फौज बनाई गई है.
मीडिया प्रभारी के पद पर बने रहेंगे बलूनी
राज्य सभा सांसद अनिल बलूनी को मुख्य प्रवक्ता और एक बार फिर मीडिया प्रभारी बनाया गया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सत्ता में आने के बाद से ही परोक्ष और अपरोक्ष तौर पर मीडिया से सामंजस्य बनाने में बलूनी की महत्वपूर्ण भूमिका रही है. श्रीकांत शर्मा के उत्तर प्रदेश से विधायक और मंत्री बनने के बाद बलूनी ही मीडिया को देख रहे हैं. खास बात ये भी है कि बलूनी को इस बार मुख्य प्रवक्ता भी बनाया गया है, जिस पद पर कभी स्वर्गीय अरुण जेटली और केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद रह चुके हैं.
युवा चेहरों के साथ अनुभवी नेताओं को मिला स्थान
प्रवक्ताओं की फौज में पूर्व के केंद्रीय मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौर को भी जगह मिली है. जो खुद सांसद और पूर्व सूचना प्रसारण मंत्री हैं. इसी तरह शाहनवाज हुसैन, राजीव प्रताप रूडी, सुधांशु त्रिवेदी, संबित पात्रा, गौरव भाटिया, जफर इस्लाम, के के शर्मा, नूपुर शर्मा भी प्रवक्ता बनाये गए हैं. कभी सोनिया गांधी के खास रहे टॉम वडककन को भी प्रवक्ता बनाया गया है. कुल मिलाकर कहा जाए तो टीम नड्डा में युवा चेहरे हैं तो अनुभवी लोगों को भी जगह मिली है. उसी तरह संगठन में 33 फीसदी महिलाओं के प्रतिनिधित्व का भी ख्याल रखा गया है. साथ ही लगभग हर राज्य से किसी न किसी को प्रतिनिधित्व देने की कोशिश की गयी है.
आज ये भी कहा जा सकता है कि संगठन की घोषणा होने से मंत्रिमंडल में शामिल कुछ मंत्रियों को निश्चित तौर पर राहत मिली होगी. क्योंकि इनमें से कुछ के मोदी मंत्रिमंडल में शामिल होने के कयास लगाए जा रहे थे. उसी तरह संगठन में शामिल कुछ लोगों को निराशा हुई हो, जो केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल होने की उम्मीद पाले हुए थे.
संसदीय बोर्ड पर निगाहें
बहरहाल अब सबकी निगाहें नड्डा की कार्यकारिणी पर खासकर संसदीय बोर्ड पर है. अभी संसदीय बोर्ड में आठ सदस्य हैं. चार पद खाली हैं. ये पद सुषमा स्वराज,अरुण जेटली और अनंत कुमार की मृत्यु के बाद और वैंकैया नायडू के उपराष्ट्रपति बनने के बाद से ही खाली हैं. माना जा रहा है कि इसमें उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को जगह मिल सकती है. वैसे देवेंद्र फडणवीस के नाम का भी कयास लग रहा है. इसके अलावा केंद्रीय चुनाव समिति में भी नए चेेहरे आ जाएंगे. संसदीय बोर्ड के सभी सदस्य और महिला मोर्चा की अध्यक्ष इसके पदेन सदस्य होते है. इनके अलावा 2 और सदस्य को पार्टी अध्यक्ष नामित करते हैं. अभी तक इस महत्वपूर्ण समिति में पूर्व केंद्रीय मंत्री शाहनवाज हुसैन एक सदस्य रहे हैं. नड्डा की टीम में शाहनवाज फिलहाल प्रवक्ता बने हुए हैं.