जिला पठानकोट जिस के सामाजिक दृष्टि से एक तरफ हिमाचल की सरहद दूसरी तरफ जम्मू कश्मीर की और तीसरी तरफ पाकिस्तान की सरहद लगती है और आज भी जिला पठानकोट के कुछ गांव ऐसे हैं जहां के लोग आजादी के बाद से लेकर अब तक अपनी बदहाली के आंसू रो रहे हैं लेकिन अब लगता है कि वाकई में इन लोगों को आजादी के सही मायने पता चल सकेंगे और ऐसा ही एक गांव है भारत पाक सरहद से सट्टा सिंबल स्कोल यहां के लोग आजादी के बाद से आज तक 6 महीने के लिए देश के साथ जुड़े रहते थे और 6 महीने के लिए देश से कट जाते थे क्योंकि इस गांव के तीन तरफ पाकिस्तान की सरहद है और बीच में तरना दरिया बहता है जिस वजह से बरसात के दिनों में यहां पर जो पलटून पूल डाला जाता था वह उठा लिया जाता था और लोगों को बड़ी दिक्कत का सामना करना पड़ता था लेकिन अब पंजाब सरकार और केंद्र सरकार दोनों के प्रयासों सदका इस दरिया पर पक्का पुल बनने जा रहा है जिससे गांव वासियों में खुशी की लहर है।
इस संबंधी जब स्थानीय लोगों से बात की गई तो उन्होंने कहा कि आजादी के बाद से वह एक टापू पर अपनी जिंदगी बसर कर रहे थे क्योंकि पुल ना होने की वजह से 6 महीने के लिए वह देश के बाकी हिस्सों से कट जाते थे लेकिन अब भारत एवं पंजाब सरकार के सहयोग से तरना दरिया पर पक्का पुल बनने जा रहा है जिससे अब वह देश का अभिन्न अंग बन सकेंगे और कभी भी कहीं भी आ जा सकेंगे
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