पंजाब यूटी मुलाजिम और पेंशनर सांझा फ्रंट के आह्वान पर मुलाजिमों और पेंशनरों ने मांगों को लेकर शुरू की भूख हड़ताल दूसरे दिन भी जारी रखी। वीरवार को भी एडमिनिस्ट्रेटिव कांप्लेक्स में विभिन्न जत्थेबंदियों के फकीर चंद, सुरेश कुमार, लक्ष्मण सिंह, पवन, हरजीत सिंह, विक्रम कुमार, लखविंद्र सिंह समेत 11 कर्मचारी नेता सुबह 10 से लेकर शाम 4 बजे तक भूख हड़ताल पर बैठे। इस अवसर पर फ्रंट के जिला कन्वीनर गुरनाम सैनी, पेंशनर एसोसिएशन के सीनियर कन्वीनर नरेश कुमार और डीसी ऑफिस इंप्लाइज एसोसिएशन के महासचिव गुरदीप कुमार सफरी ने बताया कि रिटायर्ड मुलाजिमों ने 30 से 40 साल वेतन में से डीए और मेडिकल के लिए फंड कटवाया है। जब डीए और मेडिकल की जरूरत है तो सरकार आनाकानी कर रही है। डीए की किश्तें रोक कर सरकार ने कमर तोड़ दी है।
इस मौके पर छठे वेतन आयोग की रिपोर्ट जनवरी 2016 से जारी कर कर्मचारियों को लाभ देने की मांग की गई। उन्होंने कहा कि मुलाजिम 30 से 40 साल नौकरी करता है और पेंशन ही उसका आखिरी सहारा है, लेकिन सरकार ने साल 2004 के बाद भर्ती मुलाजिमों का पेंशन का हक छीन लिया है जबकि एमपी और एमएमए एक की बजाए दो से तीन पेंशन ले रहे हैं।
उन्होंने कहा कि सरकार पेंशन को बोझ मानती है तो पहले अपने एमपी और एमएलए की पेंशन को बंद करे। अन्यथा मुलाजिमों की पेंशन को भी बहाल किया जाए। उन्होंने बताया कि फ्रंट द्वारा पंजाब के सभी जिलों डीसी दफ्तरों के बाहर 30 सितंबर तक भूख हड़ताल की जाएगी। 19 अक्टूबर से जेल भरो आंदोलन किया जाएगा। इस अवसर पर नर्वेश डोगरा, राजन, स्विटी, रीना, हीरा लाल, जगदीप काटल, सुरजीत सिंह, मास्टर सत्य प्रकाश उपस्थित थे।
यह हैं मांगें: .मार्च 2019 को जारी किए पत्र के अनुसार जनवरी-जुलाई 2018, जनवरी 2019 के तीन डीए की किस्तों का बकाया जारी कराना, प्रोबेशन पीरियड 3 से घटाकर 2 साल करना व पूरा वेतन देना, मेडिकल भत्ता 2 हजार रुपए करना, पुरानी पेंशन स्कीम बहाल करना और छठा वेतनमान लागू कराना, ठेकेदारी प्रथा बंद करना, सभी कर्मचारियों को इलाज की कैशलेस सुविधा देना और अस्थायी कर्मचारियों को नियमित करना।