पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने रेत और बजरी के खनन के लिए नदियों में जेसीबी के प्रयोग पर रोक लगा दी है। नवांशहर, लुधियाना और जालंधर में सतलुज नदी के किनारों पर अवैध खनन पर नजर रखने के लिए जस्टिस राजीव शर्मा और जस्टिस हरिन्दर सिंह सिद्धू की खंडपीठ ने तीनों जिलों के एसएसपी को आदेश दिए हैं कि नदी के किनारे पर किसी भी तरह का अवैध खनन न हो। इसके साथ ही नदियों पर बने पुलों की सुरक्षा के लिए बड़े पुलों से एक किलोमीटर और छोटे पुलों से आधे किलोमीटर की दूरी तक खनन पर रोक लगा दी है।
हाई कोर्ट ने इसके साथ ही राज्य में राष्ट्रीय राजमार्गों से एक किलोमीटर और राज्य राजमार्गों से आधा किलोमीटर की दूरी तक खनन किए जाने पर पूरी तरह से रोक लगाने के आदेश दिए हैं। जालंधर निवासी बख्शीश सिंह द्वारा सतलुज नदी के किनारे अवैध खनन के संबंध में दायर की गई याचिका पर निर्देश जारी करते हुए हाई कोर्ट ने नदी के किनारों पर 3 मीटर से अधिक गहराई तक खनन किए जाने पर भी रोक लगा दी है।
याचिका में कहा गया है कि नदी के किनारों पर अवैध खनन के चलते नदी का रुख बदलने लगा है जिसकी वजह से इसके किनारे पर बसे क्षेत्रों में बाढ़ का खतरा बढ़ने लगा है। हाई कोर्ट ने अवैध खनन से जुड़े पर्यावरण विषयों को गंभीर मानते हुए राज्य सरकार को अवैध खनन को नजरअंदाज करने वाले अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के भी आदेश दिए हैं।
जिलों के डीसी और पुलिस अधीक्षकों को अवैध खनन पर नजर रखने के लिए दो सप्ताह के अंदर स्पेशल उडऩ दस्ता बनाने के आदेश दिए हैं। इनमें खनन विभाग, राजस्व विभाग और पुलिस के अधिकारी शामिल होंगे। राज्य प्रशासन को अवैध खनन पर नजर रखने के लिए ड्रोन की तैनाती करने के भी आदेश दिए गए हैं।
रेत की खरीद और बिक्री की योजना तैयार करे सरकार
हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को छह महीने में नदियों की पुन:पूर्ति का अध्ययन करवाने के आदेश देते हुए कहा है कि राज्य सरकार रेत की खरीद और बिक्री पर नजर रखने की योजना भी तैयार करे। कोर्ट ने अगली सुनवाई पर नवांशहर, लुधियाना और जालंधर के डीसी और पुलिस अधीक्षकों को स्टेटस रिपोर्ट दायर करने के भी आदेश दिए हैं।