80 करोड़ रुपये के एनपीए होने के बाद आरबीआइ द्वारा पैसे के लेनदेन पर लगाई गई पाबंदियों से जूझ रहे हिदू बैंक को डिफाल्टरों की प्रॉपर्टियों नीलाम करने के पहले दिन कोई खरीददार नहीं मिला। बैंक प्रबंधन की ओर से बुधवार को कुल सात डिफाल्टरों की आठ प्रॉपर्टियों की नीलामी रखी गई थी। इस नीलामी से अनुमानित आठ करोड़ रुपये की धनराशि एकत्र होने की आशा जताई जा रही थी परंतु पहले दिन इन प्रॉपर्टियों को खरीदने के लिए कोई नहीं आया।
अब बैंक प्रबंधन की नजर वीरवार को नीलाम की जाने वाली छह डिफाल्टरों की सात प्रॉपर्टियों पर है। यदि इन प्रॉपर्टियों में कोई खरीददार मिलता है तो बैंक प्रबंधन को साढ़े दस करोड़ रुपये का राजस्व होगा जोकि बैंक के एनपीए को कम करने के लिए बेहद लाभप्रद हो सकता है। 80 करोड़ रुपये का एनपीए एकत्र करना बैंक प्रबंधन के लिए टेड़ी खीर-
जानकारी के अनुसार डेढ़ सौ के करीब डिफाल्टरों की ओर से बैंक के 80 करोड़ रुपये का दबाया गया है। इस लोन के रिकवर न होने के कारण ही आज बैंक के यह हालात बने हैं वहीं अब इसकी भरपाई करना भी प्रबंधन के लिए टेडी खीर के सामान है। यदि ऋणधारकों से साथ-साथ ही पैसा एकत्र होता रहता तो आज हालात कुछ ओर होते। वहीं दूसरी ओर बैंक मुलाजिमों को अन्य कोऑपरेटिव बैंकों में शिफ्ट करने की जरूरत न पड़ती। उधर, खाता धारक रजत प्रिस बाली,कमलेश कटारिया तथा अन्य का कहना है कि बैंक इन प्रॉपर्टियों को नीलाम कर जल्द से जल्द बैंक को पांव पर लाए अन्यथा बैंक बंद कर उनकी जमा राशि वापस करें।
डिफाल्टरों में 10 से ज्यादा लोन राजनीतिक लोगों के पेंडिग
हिदू बैंक को इस स्थिति में पहुंचाने में जिला भर के कुछेक राजनीतिज्ञ लोग भी शामिल हैं। उनकी ओर से बैंक से लोन तो ले लिया, परंतु अब वापस करने में आनाकानी कर रहे हैं। लोन डिफाल्टरों से रिकवरी करना इसलिए भी मुश्किल लग रहा है। बैंक पर करीब 80 करोड़ रुपये का रिकवरी का बोझ है, जो डिफाल्टरों से लेना है। इनमें से 50 करोड़ से ज्यादा लोन ऐसे लोगों का है जो राजनीतिक दलों से संबंध रखते हैं। इसमें भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के कई बड़े और रसूख वाले नेता भी शामिल हैं। इसके अलावा बड़े उद्योगपति घराने जो हर राजनीति पार्टी के साथ अच्छे संबंध रखते हैं उनके नाम भी डिफाल्टरों में शामिल हैं।