सरकार ने कंपोजीशन स्कीम के तहत आने वाले डीलरों को राहत दी है. उसने इनके लिए वित्त वर्ष 2019-20 का जीएसटी रिटर्न दाखिल करने की समयसीमा को दो महीने के लिए बढ़ा दिया है. इसे बढ़ाकर 31 अक्टूबर 2020 तक कर दिया गया है.
पिछले कुछ महीनों में यह दूसरी बार है जब समयसीमा को बढ़ाया गया है. इससे पहले यह रिटर्न भरने की अंतिम तारीख 15 जुलाई थी. इसे बढ़ाकर 31 अगस्त कर दिया गया था. पिछले कुछ महीनों में यह दूसरी बार है जब समयसीमा को बढ़ाया गया है. इससे पहले यह रिटर्न भरने की अंतिम तारीख 15 जुलाई थी. इसे बढ़ाकर 31 अगस्त कर दिया गया था.
पिछले कुछ महीनों में यह दूसरी बार है जब समयसीमा को बढ़ाया गया है. इससे पहले यह रिटर्न भरने की अंतिम तारीख 15 जुलाई थी. इसे बढ़ाकर 31 अगस्त कर दिया गया था.
केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) ने एक ट्वीट में कहा, वित्त वर्ष 2019- 20 का जीएसटीआर 4 भरने की अंतिम तारीख को बढ़ाकर 31 अक्टूबर 2020 कर दिया गया है. केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) ने एक ट्वीट में कहा, वित्त वर्ष 2019- 20 का जीएसटीआर 4 भरने की अंतिम तारीख को बढ़ाकर 31 अक्टूबर 2020 कर दिया गया है.
केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) ने एक ट्वीट में कहा, वित्त वर्ष 2019- 20 का जीएसटीआर 4 भरने की अंतिम तारीख को बढ़ाकर 31 अक्टूबर 2020 कर दिया गया है.
वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) के तहत कोई भी टैक्सपेयर जिसका सालाना कारोबार डेढ़ करोड़ रुपये तक है, वह कंपोजीशन स्कीम को अपना सकता है. इस स्कीम के तहत आने वाले मैन्यूफैक्चरर्स और व्यापारियों को एक फीसदी की दर से जीएसटी का भुगतान करना होता है. जबकि एल्कोहल नहीं परोसने वाले रेस्तरां को पांच फीसदी की दर से जीएसटी देना होता है. वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) के तहत कोई भी टैक्सपेयर जिसका सालाना कारोबार डेढ़ करोड़ रुपये तक है, वह कंपोजीशन स्कीम को अपना सकता है. इस स्कीम के तहत आने वाले मैन्यूफैक्चरर्स और व्यापारियों को एक फीसदी की दर से जीएसटी का भुगतान करना होता है. जबकि एल्कोहल नहीं परोसने वाले रेस्तरां को पांच फीसदी की दर से जीएसटी देना होता है.
वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) के तहत कोई भी टैक्सपेयर जिसका सालाना कारोबार डेढ़ करोड़ रुपये तक है, वह कंपोजीशन स्कीम को अपना सकता है. इस स्कीम के तहत आने वाले मैन्यूफैक्चरर्स और व्यापारियों को एक फीसदी की दर से जीएसटी का भुगतान करना होता है. जबकि एल्कोहल नहीं परोसने वाले रेस्तरां को पांच फीसदी की दर से जीएसटी देना होता है.