India China Border : 29-30 अगस्त की रात पैंगोग लेक के पास फिंगर एरिया में चीन के सैनिकों ने घुसपैठ करने की कोशिश की है. भारतीय सेना ने चीनी घुसपैठ का मुंहतोड़ जवाब दिया है. सूत्रों के मुताबिक इस झड़प में कोई भारतीय सैनिक हताहत नहीं हुआ है
सीमा पर जारी तनाव के बीच लद्दाख में पैंगोंग भारत-चीन के सैनिकों के बीच फिर से झड़प होने की खबर आ रही है. यह झड़प 29-30 अगस्त की रात को हुई है. भारतीय सेना ने चीन की सैनिकों की घसपैठ का करारा जवाब दिया. यह झड़प ऐसे समय हुई है जब दोनों देशों के बीच सीमा पर तनाव को कम करने के लिए बातचीत का दौर जारी है. हालांकि, झड़प से किसी तरह के नुकसान की खबर नहीं है. चीन की चालबाजी को लेकर भारतीय सेना पूरी तरह अलर्ट है. चीन एक तरफ बातचीत का नाटक करता है, दूसरी तरफ उसकी सेना घुसपैठ को कोशिश कर रही है. भारतीय सेना ने चीन के सैनिकों की गुस्ताखी का करारा जवाब दिया.
क्यों महत्वपूर्ण है पेंगोंग झील
पेंगोंग झील या पेंगोंग त्सो लद्दाख में भारत-चीन सीमा क्षेत्र में स्थित है। यह 4350 मीटर की ऊंचाई पर स्थित 134 किलोमीटर लंबी है और लद्दाख से तिब्बत तक फैली हुई है।
इस झील का 45 किलोमीटर क्षेत्र भारत में स्थित है जबकि 90 किलोमीटर क्षेत्र चीन में पड़ता है। वास्तविक नियंत्रण रेखा इस झील के मध्य से गुजरती है।
इसका जल खारा होने के कारण इसमें मछली या अन्य कोई जलीय जीवन नहीं है। परंतु यह कई प्रवासी पक्षियों के लिए एक महत्वपूर्ण प्रजनन स्थल है। इसे रैमसर कन्वेंशन के तहत अंतरराष्ट्रीय महत्व की नमभूमि स्थल घोषित किए जाने की चर्चा चल रही है।
19वीं शताब्दी के मध्य में यह झील जॉनसन रेखा के दक्षिणी छोर पर थी। जॉनसन रेखा अक्साई चीन क्षेत्र में भारत और चीन के बीच सीमा निर्धारण का एक प्रारंभिक प्रयास था।
इस क्षेत्र में खर्नाक किला है जो इस झील के उत्तरी किनारे पर स्थित है। यह किला अब चीन के नियंत्रण में है। 20 अक्तूबर, 1962 के भारत-चीन युद्ध के दौरान चीनी सेना ने यहां सैन्य कार्रवाई की थी।
पूर्व में इस झील से श्याक नदी (सिंधु नदी की एक सहायक नदी) निकलती थी लेकिन प्राकृतिक बांध के कारण यह बंद हो गई है।
इस झील का भ्रमण करने के लिए एक इनर लाइन परमिट की आवश्यकता होती है क्योंकि यह भारत-चीन वास्तविक नियंत्रण रेखा पर स्थित है।
भारतीय नागरिक व्यक्तिगत परमिट प्राप्त कर सकते हैं, अन्य लोगों को एक मान्यता प्राप्त मार्गदर्शक के साथ समूह परमिट (कम-से-कम तीन व्यक्तियों के साथ) होना चाहिए।
लेह में स्थित पर्यटन कार्यालय यह परमिट जारी करता है। सुरक्षा कारणों से भारत इस झील में नौकायन की अनुमति नहीं देता है।