कृषि कानूनों में बदलाव को लेकर करीब एक दर्जन बार केंद्र सरकार और किसान नेताओं के बीच बातचीत हुई थी। किसान नेताओं के कानूनों की पूरी तरह वापसी पर ही अड़ जाने के बाद केंद्र सरकार ने बातचीत ही बंद कर दी और यह आंदोलन एक साल तक जारी रहा। अब प्रकाश पर्व के मौके पर पीएम नरेंद्र मोदी ने अचानक देश के नाम संबोधन में तीन नए कृषि कानूनों की वापसी का ऐलान कर दिया। भले ही इसका श्रेय किसान आंदोलन के नेता और विपक्ष लेने की कोशिश कर रहा है, लेकिन असर में पीएम नरेंद्र मोदी ने खुद ही सरप्राइज देकर उनसे यह मौका छीन लिया है। राकेश टिकैत समेत कई नेता अकसर यह बात दोहरा रहे थे कि बातचीत एक ही शर्त होगी कि तीनों कानूनों को वापस लिया जाए।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का ऐलान कर दिया। बड़ी संख्या में पंजाब के किसान इन कृषि कानूनों के विरोध में चल रहे आंदोलन में शामिल थे। ऐसे में ठीक गुरुपर्व के लिए प्रधानमंत्री द्वारा इन कानूनों को वापस लेने का ऐलान करना कई राजनीतिक संकेत भी देता है। खासतौर पर यह देखते हुए कि पंजाब में अगले साल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। आइए जानते हैं पीएम का यह फैसला पंजाब के चुनावी माहौल में किस तरह का सियासी असर डाल सकता है…
एकतरफा ऐलान कर किसान नेताओं को श्रेय लेने से रोका
यदि सरकार बातचीत के बाद किसान नेताओं के साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस कर ऐसा कोई ऐलान करती तो उन्हें भी इसका श्रेय मिलता और फिर चुनावी राजनीति में भी इसका असर दिख सकता था। ऐसा कुछ करने की बजाय पीएम नरेंद्र मोदी ने एकतरफा ऐलान करते हुए कानूनों की वापसी का ऐलान कर दिया और देशवासियों से क्षमा भी मांगी। सभी किसानों से घरों की वापसी की अपील करते हुए पीएम मोदी ने संकेत दिया कि वह नेताओं से नहीं बल्कि सीधे किसानों से ही संवाद करना चाहते हैं। इसके साथ ही उन्होंने अब गेंद किसान नेताओं के पाले में ही डाल दी है।
इन शब्दों में झलकी पीएम मोदी की वेदना
देश के नाम संबोधन में 59 सेकंड का यह अंश प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मन में मची उथल-पुथल को व्यक्त करने के लिए काफी है। इस छोटे वक्त में पीएम मोदी ने ‘क्षमा, तपस्या, पवित्र हृदय, प्रकाश जैसा सत्य, किसान भाइयों, समझा नहीं पाया’ जैसे शब्दों का प्रयोग किया जिनसे उनमें तीन नए कृषि कानूनों की वापसी की वेदना को महसूस किया जा सकता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि 2014 में उन्हें राष्ट्र सेवा का दायित्व मिला तो उन्होंने सबसे ज्यादा चिंता किसानों की ही की। वो मानो कहना चाह रहे हों कि जिसका सबसे ज्यादा ख्याल रखा, उसी ने उनपर भरोसा नहीं किया।
राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि किसानों की स्थिति को सुधारने के महाअभियान में देश में तीन कृषि कानून लाए गए थे। मकसद ये था कि देश के किसानों को, खासकर छोटे किसानों को और ताकत मिले, उन्हें अपनी उपज की सही कीमत और उपज बेचने के लिए ज्यादा से ज्यादा विकल्प मिले। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार देश के कृषि जगत के हित में, देश के हित में, किसानों के प्रति समर्पण भाव से नेक नीयत से ये कानून लेकर आई थी।
इसी के साथ पीएम मोदी ने कहा, ‘इतनी पवित्र बात, पूर्ण रूप से शुद्ध, किसानों के हित की बात, हम अपने प्रयासों के बावजूद कुछ किसानों को समझा नहीं पाए। कृषि अर्थशास्त्रियों, वैज्ञानिकों और प्रगतिशील किसानों ने भी उन्हें (किसानों) कृषि कानूनों के महत्व को समझाने का भरपूर प्रयास किया।’ पीएम मोदी ने ऐलान करते हुए कहा कि इस महीने के अंत से शुरू होने वाले संसद सत्र के दौरान तीनों कृषि कानूनों को वापस ले लिया जाएगा।