पठानकोट के पास रणजीत सागर डैम में बीते मंगलवार (3 अगस्त) को आर्मी का ALH रुद्रा हेलिकॉप्टर क्रैश हो गया था। घटना के बाद लापता हुए हेलिकॉप्टर के पायलट व को-पायलट का अभी तक कुछ पता नहीं चला है। इस हेलिकॉप्टर को पायलट एएस बाठ और को-पायलट जयंत जोशी उड़ा रहे थे। सेना ने तीन दिन से दोनों को ढूंढने के लिए रणजीत सागर डैम में सर्च ऑपरेशन चला रखा है मगर कोई सफलता न मिलती देखकर अब दिल्ली से स्पेशल टीम बुलाने का आग्रह किया गया है। गौरतलब है कि 254 आर्मी एविएशन का यह हेलिकॉप्टर ट्रेनिंग उड़ान पर था और इसके पायलट को कम ऊंचाई पर उड़ाने का प्रशिक्षण दिया जा रहा था। हादसे के बाद चॉपर के कलपुर्जे खोज लिए गए हैं।
आर्मी पीआरओ ने बताया था कि रणजीत सागर डैम में क्रैश हुए हेलिकॉप्टर के पायलट एएस बाठ और को-पायलट जयंत जोशी अभी तक लापता हैं। आर्मी हेलिकॉप्टर क्रैश होने की खबर मिलते ही NDRF और पंजाब पुलिस ने रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू कर दिया था। लेकिन डैम की गहराई ज्यादा होने की वजह से अभी तक उन्हें खोजा नहीं जा सका।
सैन्य सूत्रों ने बताया कि अधिकारियों का कयास है कि हेलीकॉप्टर क्रैश होने से पहले ही चालक दल ने छलांग लगा दी होगी। इसके लिए उनकी तलाश पंजाब और जम्मू-कश्मीर में झील किनारे के जंगल में की जा रही है। वहीं, झील में मार्कोस कमांडो की टीम ने मोर्चा संभाला है। लेकिन अभी तक उनके हाथ कोई सफलता नहीं लगी है। समाचार लिखे जाने तक टीमें बचाव कार्य में जुटी थी।
सेना ने दो किमी के दायरे में बनाए कैंप, पुलिस को भी इजाजत नहीं
हादसे के बाद से सेना ने पंजाब और जम्मू-कश्मीर में झील के दो किमी दायरे में अपने अस्थाई टेंट लगा लिए हैं। जहां आम नागरिक, मीडिया और पुलिस को भी जाने की मनाही है। सिर्फ जम्मू-कश्मीर पुलिस के चंद अधिकारियों को मौका देखने की इजाजत दी गई है।
झील की गहराई और सिल्ट बनी बचाव कार्य में रोड़ा
सैन्य सूत्रों के मुताबिक हादसे वाले स्थान पर गहराई अधिक है। वहीं, झील का तल कच्चा होने के कारण वहां 5-7 मीटर से अधिक सिल्ट जमा है। बताया जा रहा है कि मुंबई से पहुंचे भारतीय नौसेना के स्पेशल कमांडो काफी गहराई तक गोता लगा चुके हैं। लेकिन, अभी तक कोई सफलता नहीं मिली। गहराई में पानी मटमैला होने के कारण भी गोताखोरों को इतनी दूरी तक दिखाई नहीं दे रहा। इसके लिए ऑटोमेटिक रिमोट कैमरा और स्पेशल दूरबीन का सहारा लिया जा रहा है।