एक तरफ मुख्यमंत्री अपील करते हैैं कि गांवों में ठीकरी पहरा लगाया जाए, दूसरी तरफ राज्य में लगभग 58 जगह धरनों में किसान हर रोज खुद ही टोल पर कोविड नियमों की परवाह किए बिना आते-जाते व बैठते हैैं। ऐसे में कोरोना कैसे रुकेगा?
सीएम कर रहे गांवों में ठीकरी पहरे की अपील, लेकिन कोई असर नहीं
प्रदेश के 14 जिलों में 58 पक्के धरने लगे हुए हैैं। अब शहरी इलाकों की तुलना में सूबे के गांवों में लगातार कोरोना पैर पसार रहा है और इसकी वजह पक्के धरने भी हैैं। ऐसा तब है जब पंजाब में मृत्यु दर देश में मृत्यु दर से दोगुना से ज्यादा है। देश में मृत्यु दर 1.09 फीसद है तो पंजाब में यह 2.40 फीसद है। राज्य में कुल मौतों में 58 फीसद ग्रामीण इलाकों में हो रही हैैं। शहरों से ज्यादा गांव महामारी की जद में हैैं और किसान जिद पर अड़े हुए हैैं।
धरनों में शामिल होने वाले किसान नहीं पहन रहे मास्क
धरनास्थलों पर 99 फीसद किसान बिना मास्क के दिखाई दिए। लगभग धरनास्थलों पर 20 से 300 तक किसानों की भीड़ जुट रही है। मास्क पहनना तो दूर किसान कोरोना को भी मानने को तैयार नहीं हैं। इसके चलते कोरोना संक्रमण की दर भी लगातार बढ़ रही है और किसान खुद कोरोना को दावत दे रहे हैं।
ऐसे बढ़ रही है चेन… रोटेशन में रोजाना करीब 600 गांवों के लोग धरनों में हो रहे हैं शामिल
पक्के तौर पर चलने वाले ज्यादातर धरनों में रोजाना रोटेशन के रूप में 10 से 300 तक किसान शामिल हो रहे हैं। यह किसान जिन भी स्थानों पर धरने लगे हैं उनके आस-पास के गांवों से शामिल हो रहे हैं। हर धरने में रोजाना अगर 10 गांवों के किसान शामिल हो रहे हैं तो 58 धरनों में 600 से ज्यादा गांवों के किसान शामिल हो रहे हैं। सुबह धरनों में शामिल होने वाले किसान शाम को घर लौटते हैैं और वहां कोई सतर्कता नहीं बरतते हैैं।
गुरदासपुर में धरने में शामिल सतबीर सिंह सुलतानी व बलबीर सिंह रंधावा ने बताया कि रोजाना रोटेशन में किसान धरने में शामिल हो रहे हैं। पठानकोट के धरने में शामिल भारतीय किसान यूनियन राजेवाल के दीनानगर इंजार्च गुरप्रीत सिंह धुम्मन का कहना है कि कम संख्या में किसान जत्थेबंदी बैठते हैं। धरनास्थल पर बाकायदा रजिस्टर लगा हुआ है।
मुख्य बिंदु
- – पंजाब के 14 जिलों के 58 स्थानों पर चले रहे पक्के धरने।
- – रोजाना इन धरनों में शामिल हो रहे हैैं करीब 600 गांवों के लोग।
- – देश में कोरोना से मृत्यु दर 1.09 फीसद तो पंजाब यह 2.40 फीसद है।
- – राज्य में कुल मौतों में 58 फीसद हो रही हैैं ग्रामीण इलाकों में।
- सरकार की ओर से बनाए गए कोरोना प्रोटोकाल को नहीं मानते हैैं किसान।
- – रोटेशन में धरनों में शामिल होते हैैं किसान, शाम को लौट जाते हैैं घर।