बीते वर्ष पर्यटन कारोबार को हुए नुकसान की भरपाई अभी तक नहीं हुई है। कई लोगों का रोजगार छीन गया है।इस बार सीजन को लेकर कारोबारी उत्साहित थे मगर कोरोना की नई लहर ने फिर से सीजन फ्लाप होने के आसार बन रहे हैं।
महामारी का सबसे ज्यादा असर पर्यटन उद्योग पर पड़ा है. वायरस संक्रमण के चलते लगे लॉकडाउन से लोग अपने घरों में कैद रहे. जिससे पर्यटन स्थल सूने हो गए
दूसरा पर्यटन सीजन भी कोरोना संक्रमण की भेंट चढ़ने लगा है। अभी पर्यटन सीजन की शुरूआत ही हुई थी कि कोरोना संक्रमण के मामलों में इजाफा होने व सरकार की ओर से लगाई गई बंदिशों के चलते होटलों की 90 फीसदी से अधिक बुकिंग रद हो गई है। इसका सीधा असर होटल, टैक्सी, ऑटो, टेंटिंग साइट्स, ट्रैकिंग गाइड्स सहित रेहड़ी-फड़ी से लेकर बड़े कारोबार तक पर पड़ रहा है। होटलों सहित अन्य पर्यटन कारोबार से जुड़े संस्थानों में काम करने वाले हजारों ही कर्मचारियों की नौकरी पर फिर से संकट के बादल मंडराने लगे हैं। होटल मालिकों ने कर्मचारियों को अनिश्चतकालीन छुट्टी पर घर भेजना शुरू कर दिया है। पर्यटन कारोबार से जुड़े तमाम लोग तबाही के कगार पर पहुंचने लगे हैं। पिछले वर्ष भी पूरा साल कारोबार कोरोना की भेंट चढ़ गया।
इस बार भी पर्यटन सीजन की शुरूआत में ही कोरोना डराने लगा है। इसके चलते हिमाचल के कारोबारी बुरी तरह से प्रभावित हो रहे हैं। आलम यह है कि होटलों सहित अन्य पर्यटन संस्थानों में काम करने वाले सैकड़ों लोगों को कारोबारियों ने घर भेज दिया है। यानी उन्हें इस साल भी वेतन न मिलने से परिवार का भरण-पोषण करना मुश्किल हो जाएगा। इसके अलावा नए बने होटलों और अन्य नए शुरू किए गए काम-धंधों वाले लोगों को भी बैंक लोन और अन्य कर्ज भरने का डर सताने लगा है। ऐसे ही हालात रहे, तो हैरान करने वाले परिणाम सामने आ सकते हैं। समय रहते सरकार और प्रशासन को ऐसी विकट परिस्थितियों से निपटने की तैयारियां करनी होंगी। होटल एसोसिएशन के महासचिव विवेक महाजन व विनोद जोड़ा की मानें तो होटलों में काम करने वाले सैकड़ों लोग बेरोजगार हो गए हैं और कई होने वाले हैं, जिससे होटल इंडस्ट्री में हाहाकार मची हुई है।
कोरोना के कारण पहले ही राज्य में पर्यटन कारोबार पर असर पड़ा हुआ है। अब जंगलों में तेजी से बढ़ती आग से अलग नुकसान पहुंचने की आशंका नजर आ रही है। गर्मी से राहत को पर्यटक पहाड़ पहुंचते हैं, लेकिन धधकते जंगलों ने पहाड़ का ही तापमान और जोखिम बढ़ा दिया है। राज्य में पर्यटन का पिछला पूरा सीजन कोरोना की भेंट चढ़ गया। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि चार धाम यात्रा में 32 लाख श्रद्धालुओं की संख्या चार लाख के करीब जाकर सिमट गई। ओवरऑल पर्यटन कारोबार भी बहुत बेहतर नहीं रहा। इस बार उम्मीद थी कि कारोबार उठेगा। लेकिन यहां नैनीताल, अल्मोड़ा समेत अन्य जगह भी जंगल आग से धधक रहे हैं।
ऐसे में पर्यटन कारोबार भी प्रभावित होना तय है। उत्तराखंड में जंगलों में फैली आग की खबरों से पर्यटक नये सिरे से अपना कार्यक्रम तय करेंगे। क्योंकि जंगलों में आग लगने की तस्वीरें बढ़ी ही भयावह आ रही हैं। इसके कारण पर्यटकों का इन क्षेत्रों में मूवमेंट थम सकता है। पर्यटन कारोबार के जानकार भी इस स्थिति को पर्यटन के लिहाज से बेहतर नहीं मान रहे हैं। क्योंकि मीडिया, सोशल मीडिया पर फैली इन खबरों, फोटो के कारण पर्यटक अपना कार्यक्रम बदल लेते हैं। वैसे भी सुकून के लिए आने वाले पर्यटक, आग, धुंए के गुबार के बीच ऐसे पर्यटन स्थलों की ओर रुख करने से बचेंगे। इसका सीधा नुकसान पर्यटन कारोबार को पड़ेगा।
पर्यटन सीजन में टैक्सियों की टूर बुकिंग हुईं रद
कोरोना एक बार फिर तेजी से फैल रहा है। संक्रमितों के नए मामलों में इजाफा होने से सरकार और प्रशासन अलर्ट हो गया है। बाहरी राज्यों से आने वालों के लिए आरटीपीसीआर जांच रिपोर्ट लाने की अनिवार्यता से यहां आ रहे पर्यटकों की संख्या में कमी आई है। इसका असर टैक्सी कारोबार पर पड़ना शुरू हो गया है। हल्द्वानी में पर्यटन सीजन में लम्बे टूर पर चलने वाली टैक्सियों की एडवांस बुकिंग रद हो गई हैं। कुमाऊं यात्रा के अहम पड़ाव हल्द्वानी में हर साल अप्रैल से जून और अक्तूबर, नवंबर में 5 करोड़ रुपये तक पर्यटन आधारित टैक्सी कारोबार होता है।
इस सीजन काम नहीं चला तो काम छोड़ देंगे टैक्सी संचालक
पिछले साल कोरोना की दस्तक और फिर उसके बाद लॉकडाउन लगने से परिवहन सेवाएं बंद हो गई थीं। इससे टैक्सी संचालन से जुड़े लोगों पर भी मार पड़ी थी। टैक्सी संचालक नवंबर के बाद काम पटरी पर लौटने की बात कह रहे हैं। मगर अप्रैल की शुरुआत से दोबारा हालात पहले की तरह होने की बात भी कह रहे हैं। पिछले साल जैसा सीजन जाने पर टैक्सी का काम छोड़ने की बात तक कह रहे हैं।