ब्रिटेन में मौजूद बहुत से भारतीय छात्र आर्थिक तंगी के शिकार हो रहे हैं। ये वे छात्र हैं जो पढ़ाई के साथ अपने खर्चो को पूरा करने के लिए नौकरी भी कर रहे थे लेकिन कोविड-19 महामारी के दौर में उनका रोजगार चला गया। कई विश्वविद्यालयों ने ऐसे छात्रों की मदद के लिए फंड भी बनाया लेकिन उसका विदेशी छात्रों को ज्यादा लाभ नहीं मिल पा रहा है। प्रवासियों के लिए कार्य करने वाली एक संस्था ने अपने सर्वे में पाया है कि टीयर वीजा-4 पर उच्च शिक्षा के लिए ब्रिटेन आए विदेशी छात्रों की मदद के लिए पर्याप्त साधन मौजूद नहीं हैं। संस्था को आशंका है कि मदद के साधन न होने की वजह से तमाम छात्र अपने देशों को वापस लौट सकते हैं और उनके अनुभवों से नए आने वाले छात्रों की संख्या भी कम हो सकती है।
यह सर्वे ब्रिटेन के 31 विश्वविद्यालयों में पढ़ रहे 28 देशों के छात्र-छात्राओं के बीच जून में हुआ, जब ब्रिटेन में कोविड महामारी चरम पर थी। पीडि़त छात्रों में 54 प्रतिशत भारतीय छात्र थे। उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय की ओर से उनकी आर्थिक मदद करने से इन्कार किया जा चुका है। इनमें से कुछ अपने खर्चो को कम करने के लिए मुफ्त में खाना खाने को मजबूर थे।
बेडफोर्डशायर विश्वविद्यालय के एक भारतीय छात्र ने बताया कि उसने अपनी पढ़ाई की पूरी फीस जमा कर दी है। वह आवास के किराए और खाने का खर्च नौकरी करके निकालता था। लेकिन नौकरी जाने की वजह से अब उसके सामने रहने और खाने का संकट खड़ा हो गया है। ऐसे तमाम छात्र-छात्रा मुफ्त भोजन की सरकारी और सामाजिक व्यवस्थाओं की शरण में हैं। इसके चलते इनकी पढ़ाई तो मुश्किल में पड़ी हुई है, साथ ही इनमें मानसिक अवसाद भी पैदा हो रहा है।