चंडीगढ़ में सोलर पावर प्लांट लगाने के लिए अपने घर की छत देने वालों को अब बिना कोई राशि खर्च किए सोलर पावर प्लांट मिलेगा। इससे उन्हें बिजली के भारी बिलों से भी निजात मिलेगी। 15 वर्ष बाद यह प्लांट भी घर के मालिक का हो जाएगा।
चंडीगढ़ के वन संरक्षक एवं क्रेस्ट के मुख्य कार्यकारी अधिकारी देबेंद्र दलाई ने यह जानकारी सोमवार को दी। दलाई ने खुड्डा अलीशेर में ‘गो ग्रीन-गो सोलर’ जागरुकता शिविर का उद्घाटन करते हुए बताया कि स्वच्छ भारत अभियान के तहत गो ग्रीन ,गो सोलर प्रोग्राम का आयोजन चंडीगढ़ के पर्यावरण विभाग की ओर से शहर की स्वयंसेवी संस्था युवसत्ता, खुड्डा अलीशेर के यूथ क्लब, सुखमणि सोसायटी और पंजाब यूनिवर्सिटी के इग्नू सेंटर की ओर से संयुक्त रूप से किया गया।
दलाई ने कहा कि पर्यावरण के प्रति जागरूक नागरिक स्मार्ट सिटी की रीढ़ हैं। चंडीगढ़ को स्वच्छता में नंबर वन शहर बनाने के लिए सभी सरकारी विभागों के साथ आम लोगों की भागीदारी बहुत जरूरी है। चंडीगढ़ ने 500 वर्ग गज या इससे अधिक एरिया की प्रॉपर्टी पर सोलर प्रोजेक्ट अनिवार्य कर रखा है। 31 मार्च तक कोई प्रोजेक्ट नहीं लगवाता तो इसे बिल्डिंग बायलॉज की वॉयलेशन मानकर कार्रवाई होगी।
उनका कहना था कि छत पर सोलर पावर प्रोजेक्ट लगने से न बिल का झंझट रहेगा और न ही पावर कट की टेंशन रहेगी। उनका कहना था कि इस प्रोजेक्ट के लिए कोई पैसा खर्च नहीं करना पड़ेगा। केवल घर की छत ही देनी होगी। उनका कहना था कि रिन्यूएबल एनर्जी सर्विस कंपनी (रेस्को) मॉडल के तहत यह प्लांट कंपनी लगाएगी। इतना ही नहीं प्लांट से जेनरेट होने वाली बिजली घर में इस्तेमाल होने के बाद जो बचेगी उससे कंपनी को पैसा जाता रहेगा। इससे कंपनी के पैसे पूरे हो जाएंगे। जबकि 15 साल बाद कंपनी इस प्रोजेक्ट को प्रॉपर्टी ऑनर को ही दे देगी। इसके बाद प्रॉपर्टी मालिक का इस पर पूर्ण अधिकार होगा। कंपनी ही प्रोजेक्ट की इंस्टालेशन से लेकर मेंटेनेंस का काम भी देखेगी।

रेस्को मॉडल में यह खास
-बिल्डिंग ऑनर को छत पर सोलर प्लांट लगाने की मंजूरी देनी होगी।
-प्रोजेक्ट की पूरी इन्वेस्टमेंट कंपनी ही करेगी।
-गवर्नमेंट सोलर प्रोजेक्ट पर सब्सिडी कंपनी को जारी करेगी।
-बिल्डिंग ऑनर को इलेक्ट्रिसिटी डिपार्टमेंट के निर्धारित टैरिफ की तुलना में कम रेट में बिजली मिलेगी।
-जितनी बिजली बचेगी उसे इलेक्ट्रिसिटी डिपार्टमेंट की ग्रिड में दिया जाएगा। इसके लिए इलेक्ट्रिसिटी डिपार्टमेंट जेईआरसी द्वारा तय टैरिफ अनुसार कंपनी को भुगतान करेगा।
-15 साल के बाद सोलर प्लांट बिल्डिंग ऑनर का हो जाएगा। कंपनी का इससे कोई लेना-देना नहीं रहेगा। इन घरों पर सोलर प्रोजेक्ट अनिवार्य
500-999 स्क्वेयर यार्ड – एक किलोवाट
1000-2999 स्क्वेयर यार्ड – दो किलोवाट
3000 या इससे अधिक – तीन किलोवाट रेस्को मॉडल में मकान मालिक को छत पर सोलर प्रोजेक्ट लगाने की मंजूरी देनी होगी। बाकी काम कंपनी का होगा। इस मॉडल को एमएनआरई में भी सराहा गया है। जल्द इसके तहत प्रोजेक्ट लगने शुरू होंगे।