ऊपरी सदन में एनडीए अब बहुमत के आंकड़े से सिर्फ 9 सांसद दूर,राज्यसभा में विपक्ष के 95, अकेले बीजेपी के हैं 92 सांसद
भारतीय जनता पार्टी के लिए अब राज्यसभा में बिलों को पास कराने की राह आसान हो गई है. ऐसा उत्तराखंड की एक और यूपी की 10 राज्यसभा सीटों के चुनाव नतीजों की वजह से हुआ है. यूपी की 10 सीटों में बीजेपी के खाते में 8 सीटें और उत्तराखंड की भी एक सीट बीजेपी के खाते में ही आई है. इसी के साथ बीजेपी राज्यसभा में 92 सांसदों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बन गई है. दूसरी तरफ कांग्रेस 38 सीटों के साथ ऊपरी सदन में अपने न्यूनतम स्तर पर है.
राज्यसभा में बीजेपी के सहयोगी दलों के पास 22 सांसद हैं. इनमें एआईएडीएमके के 9, जेडीयू के 5, मनोनीत 4 के अलावा रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया, बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट, एजीपी, पीएमके और एनपीपी का एक-एक सांसद है. राज्यसभा में बीजेपी के 92 सांसद और सहयोगी दलों के 22 सांसद हैं यानी एनडीए के कुल सांसद 114 हैं.
राज्यसभा में कुल सांसदों की संख्या 245 है यानी कि किसी भी बिल को पास कराने के लिए सरकार को 123 सांसदों की जरूरत होगी. फिलहाल राज्यसभा में एनडीए के पास 114 सांसद हैं यानी कि बहुमत से 9 सांसद दूर.
ऐसे में कई मौके आए हैं जब बीजेडी, टीआरएस, वाईएसआर कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और बीएसपी ने समय-समय पर महत्वपूर्ण बिल को लेकर सरकार का साथ दिया. इनमें ट्रिपल तलाक़, जम्मू-कश्मीर से धारा 370 को हटाने, सीएए जैसे बिल का नाम लिया जा सकता है. ऐसे में पूरी संभावना है कि अब सरकार को राज्यसभा में किसी भी महत्वपूर्ण बिल को लेकर कोई खास अड़चन पेश नहीं आएगी.
कम होती जा रही विपक्षी सांसदों की संख्या
राज्यसभा में विपक्ष के सांसदों की संख्या लगातार कम होती जा रही है. कांग्रेस के 38, टीएमसी के 13, एनसीपी के 4, डीएमके के 7, शिवसेना के 3, आरजेडी के 5, जेडीएस का 1, पीडीपी के 2, समाजवादी पार्टी के 5, आम आदमी पार्टी के 3, लेफ्ट के 6, टीडीपी और जेएमएम के भी एक-एक सांसद हैं.
इसके अलावा 6 सांसद अन्य छोटे दलों के हैं. राज्यसभा में विपक्षी दलों का आंकड़ा 95 सांसदों का है. यानी पूरे विपक्ष के 95 सांसद हैं, वहीं बीजेपी के पास 92 सांसदों की संख्या है. मतलब पूरे विपक्ष के आंकड़े से भी बीजेपी के पास अब सिर्फ 3 ही सांसद कम हैं.
इस बार यूपी के विधानसभा चुनाव में सबसे खास बात ये रही कि एक निर्दलीय प्रत्याशी का नामांकन खारिज होने के बाद सभी 10 उम्मीदवार निर्विरोध चुने गए. बीजेपी के 8, समाजवादी पार्टी और बीएसपी के एक-एक उम्मीदवार निर्विरोध सदस्य चुने गए.
हालांकि, समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव के समर्थन से निर्दलीय प्रत्याशी प्रकाश बजाज ने मैदान में उतर कर और बीएसपी के 7 विधायकों से बगावत कराकर मायावती का खेल बिगाड़ने की व्यूह रचना की थी. लेकिन अंतिम समय में चुनाव आयोग ने निर्दलीय प्रत्याशी प्रकाश बजाज का नामांकन रद्द कर दिया. इससे बीएसपी के उम्मीदवार की जीत का रास्ता साफ हो गया.